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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 68 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 68/ मन्त्र 1
    ऋषिः - मधुच्छन्दाः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-६८
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    सु॑रूपकृ॒त्नुमू॒तये॑ सु॒दुघा॑मिव गो॒दुहे॑। जु॑हू॒मसि॒ द्यवि॑द्यवि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सु॒रू॒प॒ऽकृ॒त्नुम् । ऊ॒तये॑ । सु॒दुघाम्ऽइव । गो॒ऽदुहे॑ ॥ जु॒हू॒मसि॑ । द्यवि॑ऽद्यवि ॥६८.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सुरूपकृत्नुमूतये सुदुघामिव गोदुहे। जुहूमसि द्यविद्यवि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सुरूपऽकृत्नुम् । ऊतये । सुदुघाम्ऽइव । गोऽदुहे ॥ जुहूमसि । द्यविऽद्यवि ॥६८.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 68; मन्त्र » 1
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    मनुष्य के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (सुरूपकृत्नुम्) सुन्दर स्वभावों के बनानेवाले [राजा] को (ऊतये) रक्षा के लिये (द्यविद्यवि) दिन-दिन (जुहूमसि) हम बुलाते हैं, (इव) जैसे (सुदुघाम्) बड़ी दुधेल गौ को (गोदुहे) गौ दोहनेवाले के लिये ॥१॥

    भावार्थ

    जैसे दुधेल गौ को दूध दोहने के लिये प्रीति से बुलाते हैं, वैसे ही प्रजागण विद्या आदि शुभ गुणों के बढ़ानेवाले राजा का आश्रय लेकर उन्नति करें ॥१॥

    टिप्पणी

    मन्त्र १-३ आचुके हैं-अ० २०।७।१-३ ॥ १-३−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।७।१-३ ॥

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    विषय

    व्याख्या देखें अथर्व० २०.५७.१-३

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    भाषार्थ

    देखो—२०.५७.१।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    In dr a Devata

    Meaning

    Just as the generous mother cow is milked for the person in need of nourishment, so every day for the sake of light and knowledge we invoke and worship Indra, lord omnipotent of light and life, maker of beautiful forms of existence and giver of protection and progress.

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    Translation

    Every day we call the king who is the doer fair deeds to give us assistance as men Praise a good cow to be given to him who milks it.

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    Translation

    Every day we call the king who is the doer fair deeds to give us assistance as men praise a good cow to be given to him who milks it.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    मन्त्र १-३ आचुके हैं-अ० २०।७।१-३ ॥ १-३−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।७।१-३ ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    মনুষ্যকর্তব্যোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (সুরূপকৃত্নুম্) শোভন স্বভাবের নির্মাণকারী [রাজা] কে (ঊতয়ে) রক্ষার জন্য (দ্যবিদ্যবি) প্রতিদিন (জুহূমসি) আমরা আহ্বান করি, (ইব) যেমন (সুদুঘাম্) উত্তম দুগ্ধবতী গাভীকে (গোদুহে) দুগ্ধ দোহনকারী আহ্বান করে ॥১॥

    भावार्थ

    যেমন উত্তম দুগ্ধবতী গাভীকে দুগ্ধ দোহনকারী দুগ্ধ দোহনের জন্য প্রীতিপূর্বক আহ্বান করে, অনুরূপভাবে প্রজাগণ বিদ্যাদি শুভ গুণ-সমূহের বৃদ্ধিকারী রাজার আশ্রয় নিয়ে উন্নতি করুক ॥১॥

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    भाषार्थ

    দেখো—২০.৫৭.১।

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