अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 11/ मन्त्र 1
ऋषिः - ब्रह्मा
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - त्रिष्टुप्
सूक्तम् - शान्ति सूक्त
1
शं नः॑ स॒त्यस्य॒ पत॑यो भवन्तु॒ शं नो॒ अर्व॑न्तः॒ शमु॑ सन्तु॒ गावः॑। शं न॑ ऋ॒भवः॑ सु॒कृतः॑ सु॒हस्ताः॒ शं नो॑ भवन्तु पि॒तरो॒ हवे॑षु ॥
स्वर सहित पद पाठशम्। नः॒। स॒त्यस्य॑। पत॑यः। भ॒व॒न्तु॒। शम्। नः॒। अर्व॑न्तः। शम्। ऊं॒ इति॑। स॒न्तु॒। गावः॑। शम्। नः॒। ऋ॒भवः॑। सु॒ऽकृतः॑। सु॒ऽहस्ताः॑। शम्। नः॒। भ॒व॒न्तु॒। पि॒तरः॑। हवे॑षु ॥११.१॥
स्वर रहित मन्त्र
शं नः सत्यस्य पतयो भवन्तु शं नो अर्वन्तः शमु सन्तु गावः। शं न ऋभवः सुकृतः सुहस्ताः शं नो भवन्तु पितरो हवेषु ॥
स्वर रहित पद पाठशम्। नः। सत्यस्य। पतयः। भवन्तु। शम्। नः। अर्वन्तः। शम्। ऊं इति। सन्तु। गावः। शम्। नः। ऋभवः। सुऽकृतः। सुऽहस्ताः। शम्। नः। भवन्तु। पितरः। हवेषु ॥११.१॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
इष्ट की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थ
(सत्यस्य) सत्य के (पतयः) पालन करनेवाले पुरुष (नः) हमें (शम्) सुखदायक (भवन्तु) हों, (अर्वन्तः) घोड़े (नः) हमें (शम्) सुखदायक, (उ) और (गावः) गौएँ और बैल (शम्) सुखदायक (सन्तु) हों। (ऋभवः) बुद्धिमान् (सुकृतः) बड़े काम करनेवाले (सुहस्ताः) हस्तक्रिया में चतुर लोग (नः) हमें (शम्) सुखदायक हों, (पितरः) पितर [पिता आदि रक्षक पुरुष] (नः) हमें (हवेषु) बुलावों पर [यज्ञों वा संग्रामों में] (शम्) सुखदायक (भवन्तु) हों ॥१॥
भावार्थ
मनुष्यों को सत्यव्रती पुरुषों का अनुकरण करके ऐसा प्रयत्न करना चाहिये कि घोड़े शीघ्रगामी और गौवें दुधैल, बैल रथादि चलानेवाले, बुद्धिमान् लोग हस्तक्रिया में चतुर और कर्तव्यपरायण हों ॥१॥
टिप्पणी
यह मन्त्र ऋग्वेद में है−७।३५।१२ ॥ १−(शम्) सुखप्रदाः (नः) अस्मभ्यम् (सत्यस्य) यथार्थव्यवहारस्य (पतयः) पालकाः (भवन्तु) (शम्) (नः) (अर्वन्तः) अश्वाः (शम्) (उ) चार्थे (सन्तु) (गावः) धेनवो वृषभाश्च (शम्) (नः) (ऋभवः) मेधाविनः (सुकृतः) महाकर्माणः (सुहस्ताः) हस्तक्रियायां कुशलाः (शम्) (नः) (भवन्तु) (पितरः) पित्रादिरक्षकाः (हवेषु) आह्वानेषु। यज्ञेषु। सङ्ग्रामेषु ॥
विषय
सत्यस्य पतयः
पदार्थ
१. (सत्यस्य पतयः) = अपने में सत्य वेदज्ञान का रक्षण करनेवाले ब्राह्मण (नः शं भवन्तु) = हमारे लिए शान्तिकर हों। (न:) = हमारे लिए (अर्वन्तः) = घोड़े (शम्) = शान्ति दें, (उ) = और (गाव:) = गौएँ शं सन्तु शान्तिकर हों। २. ये (ऋभव:) = [उरुभान्ति] उस-उस कला से दीप्त होनेवाली (सुकृत:) = उत्तमता से वस्तुओं का निर्माण करनेवाले (सुहस्ता:) = उत्तम हस्तकौशलवाले शिल्पी (नः शम्) = हमें शान्ति प्राप्त कराएँ, (पितर:) = सब रक्षक लोग (हुवेषु) = संग्रामों में (नः शं भवन्तु) = हमारे लिए शान्ति देनेवाले हों।
भावार्थ
ब्राह्मण, घोड़े, गौएँ, शिल्पी व रक्षक लोग हमें शान्ति प्राप्त कराएँ।
भाषार्थ
(सत्यस्य पतयः) सत्य के अधिपति अर्थात् सत्यव्रती [सत्य के उपदेशों द्वारा] (नः) हमें (शम्) सुखदाता (भवन्तु) हों। (अर्वन्तः) घोड़े [सवारी द्वारा] (नः) हमें (शम्) सुखदायी हों, (उ) तथा (गावः) गौएँ [दूध द्वारा] (शं सन्तु) सुखदायी हों। (ऋभवः) मेधावी (सुहस्ताः) तथा हस्तक्रिया में कुशल (सुकृतः) श्रेष्ठ कारीगर (नः) हमें (शम्) सुख प्रदान करें। (पितरः) माता-पिता आचार्य आदि (हवेषु) सत्कारपूर्वक आह्वानों में (नः) हमें (शम् भवन्तु) सुखदायी हों।
टिप्पणी
[ऋभवः= ऋभुः मेधाविनाम (निघं० ३.१५)।]
इंग्लिश (4)
Subject
Shanti
Meaning
May the noble people dedicated to truth and the defence of truth be for our peace and righteousness. May the horses be for peace. May the cows be for peace. May the expert artists, skilful artisans, expert technologists, be for our peace. May our parents and parental seniors be kind and blissful in yajnas for our peace in our struggles for progress.
Subject
For well-being
Translation
May the sustainers of eternal truths be propitious to our happiness; may the horses, the cattle, contribute to our happiness; may the virtuous, the dexterous men of experience and wisdom, confer felicity on us; may the senior sages be kind to us and respond to our invocations in rituals and ceremonies. (Rg. VII.35.12)
Translation
May the custodians of truth be auspicious for us, may the horses be for our pleasant service, may the cows give us pleasure, may the righteous Dexter wise persons lead us to happiness, and may the parents’ guide us to acquisition of happiness.
Translation
May the protectors of truth and justice, like the religious leaders, judges and administrators be peace-giving to us. Let the horses and cows be sources of comforts to us. Let the expert technicians, well-versed in production of fine articles, be a source of well-being for us. Let the elders, vested with the authority to look after the welfare of the people bring us peace and tranquility.
Footnote
cf. Rig, 7.35.12
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
यह मन्त्र ऋग्वेद में है−७।३५।१२ ॥ १−(शम्) सुखप्रदाः (नः) अस्मभ्यम् (सत्यस्य) यथार्थव्यवहारस्य (पतयः) पालकाः (भवन्तु) (शम्) (नः) (अर्वन्तः) अश्वाः (शम्) (उ) चार्थे (सन्तु) (गावः) धेनवो वृषभाश्च (शम्) (नः) (ऋभवः) मेधाविनः (सुकृतः) महाकर्माणः (सुहस्ताः) हस्तक्रियायां कुशलाः (शम्) (नः) (भवन्तु) (पितरः) पित्रादिरक्षकाः (हवेषु) आह्वानेषु। यज्ञेषु। सङ्ग्रामेषु ॥
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