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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 131 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 131/ मन्त्र 1
    ऋषिः - देवता - प्रजापतिर्वरुणो वा छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
    1

    आमि॑नोनि॒ति भ॑द्यते ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आऽअमि॑नोन् । इ॒ति । भ॑द्यते ॥१३१.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आमिनोनिति भद्यते ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आऽअमिनोन् । इति । भद्यते ॥१३१.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 131; मन्त्र » 1
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

    पदार्थ

    (आ-अमिनोन्) उन [विद्वानों] ने [विघ्न को] सब ओर से हटाया है, (इति) यह (भद्यते) कल्याणकारी है ॥१॥

    भावार्थ

    मनुष्य पूर्वज विद्वानों के समान विघ्नों को हटाकर अनेक प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त करें ॥१-॥

    टिप्पणी

    १−(आ-अमिनोन्) डुमिञ् प्रक्षेपणे-लङ् छान्दसः। मिनोतिर्वधकर्मा-निघ० २।१९। समन्तात् नाशितवन्तः, ते विद्वांसो विघ्नम् (इति) अवधारणे (भद्यते) भदि कल्याणे सुखे च। कल्याणकरं भवति ॥

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    विषय

    मन्दन व भञ्जन

    पदार्थ

    १. गतमन्त्रों में वर्णित धन के प्रकरण में ही कहते हैं कि एक [श्वा-] प्रवृद्ध ऐश्वर्यवाले व्यक्ति के (आ अमिनोन्) = समन्तात् धन का प्रक्षेपण हुआ है [मि प्रक्षेपणे]-मेरे चारों ओर धन ही धन है (इति) = यह सोचकर (भद्यते) = सुखी होता है-आनन्द का अनुभव करता है। अपने को धन में लोटता हुआ [rolling in the wealth] देखकर प्रसन्न होता है। २. परन्तु यह प्रसन्नता स्थायी नहीं होती। यह व्यक्ति धन के मद में विषयों में फंस जाता है और (अनु) = इस भोगप्रवणता के कुछ बाद (तस्य अनु निभञ्जनम्) = उस भोगासक्त धनी पुरुष का भजन [आमर्दन-विनाश] हो जाता है।

    भावार्थ

    जो व्यक्ति धनमदमत्त हुआ-हुआ भोगासक्त हो जाता है, वह थोड़े दिनों के विलास के बाद शीघ्र ही विनष्ट हो जाता है।

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    भाषार्थ

    और जो (आमिनोनिति) सांसारिक भोगों को त्याग देता है, वह (भद्यते) कल्याणमय और सुखी हो जाता है।

    टिप्पणी

    और जो (आमिनोनिति) सांसारिक भोगों को त्याग देता है, वह (भद्यते) कल्याणमय और सुखी हो जाता है।

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    विषय

    missing

    भावार्थ

    इतना छोटी सी शलाका या मानदण्ड है। पर वह ही (आमिनोति) सब भूमि को माप लेता है। वह (विभिद्यते) स्वयं भी नाना अंशों में बटी होती है। इसी प्रकार राजा की शक्ति मानदण्ड के समान है। वह छोटी होकर भी समस्त पृथ्वी को मापती है। और स्वयं भी नाना खण्डों या विभागों में बंटती है।

    टिप्पणी

    ‘आमिनो निति भद्यते’ इति श० पा०।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    missing

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prajapati

    Meaning

    One who forsakes sensual temptations comes to good for mind and soul.

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    Translation

    These learned men have lifted the obstruction, it is very good.

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    Translation

    These learned men have lifted the obstruction, it is very good.

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    Translation

    There are hundreds of controlling means with the chief soul.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १−(आ-अमिनोन्) डुमिञ् प्रक्षेपणे-लङ् छान्दसः। मिनोतिर्वधकर्मा-निघ० २।१९। समन्तात् नाशितवन्तः, ते विद्वांसो विघ्नम् (इति) अवधारणे (भद्यते) भदि कल्याणे सुखे च। कल्याणकरं भवति ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    ঐশ্বর্যপ্রাপ্ত্যুপদেশঃ

    भाषार्थ

    (আ-অমিনোন্) তাঁরা [বিদ্বানগণ বিঘ্নকে] সর্বদিক থেকে দূর করে/করেছে, (ইতি) তা (ভদ্যতে) কল্যাণকারী হয় ॥১॥

    भावार्थ

    মনুষ্য পূর্বজ বিদ্বানদের মতো বিঘ্নসমূহ দূর করে অনেক প্রকার ঐশ্বর্য প্রাপ্ত করুক॥১-৫॥

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    भाषार्थ

    এবং যে (আমিনোনিতি) সাংসারিক ভোগ ত্যাগ করে, সে (ভদ্যতে) কল্যাণময় এবং সুখী হয়/হয়ে যায়।

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