अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 19/ मन्त्र 1
वार्त्र॑हत्याय॒ शव॑से पृतना॒षाह्या॑य च। इन्द्र॒ त्वा व॑र्तयामसि ॥
स्वर सहित पद पाठवार्त्र॑ऽहत्याय । शव॑से । पृ॒त॒ना॒ऽसह्या॑य । च॒ ॥ इन्द्र॑ । त्वा॒ । आ । व॒र्त॒या॒म॒सि॒ ॥१९.१॥
स्वर रहित मन्त्र
वार्त्रहत्याय शवसे पृतनाषाह्याय च। इन्द्र त्वा वर्तयामसि ॥
स्वर रहित पद पाठवार्त्रऽहत्याय । शवसे । पृतनाऽसह्याय । च ॥ इन्द्र । त्वा । आ । वर्तयामसि ॥१९.१॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
राजा और प्रजा के गुणों का उपदेश।
पदार्थ
(इन्द्र) हे इन्द्र ! [परम ऐश्वर्यवाले सेनापति] (वार्त्रहत्याय) वैरियों के मारनेवाले (च) और (पृतनाषाह्याय) सङ्ग्राम में हरानेवाले (शवसे) बल के लिये (त्वा) तुझको (आ वर्तयामसि) हम अपनी ओर घुमाते हैं ॥१॥
भावार्थ
युद्धकुशल सेनापति सेनाजनों को उत्साही करके शत्रुओं को जीते ॥१॥
टिप्पणी
यह सूक्त ऋग्वेद में है-३।३७।१-७ और मन्त्र १ यजुर्वेद में है-१८।६८ ॥ १−(वार्त्रहत्याय) तस्येदम्। पा० ४।३।१२०। इत्यण्। शत्रुहनननिमित्ताय (शवसे) बलाय (पृतनाषाह्याय) शकिसहोश्च। पा० ३।१।९९। षह अभिभवे-यत्, षत्वं दीर्घत्वं च। सङ्ग्रामे पराभवसमर्थाय (च) (इन्द्र) हे परमैश्वर्यवन् सेनापते (त्वा) त्वाम् (आ वर्तयामसि) आवर्तयामः। अभिमुखं कुर्मः ॥
विषय
वृत्रहनन, पृतना-सहन
पदार्थ
१. हे (इन्द्र) = सब शत्रुओं का विद्रावण करनेवाले प्रभो! (वार्त्रहत्याय) = ज्ञान की आवरणभूत वासना के विनाश के निमित्तभूत (शवसे) = बल के लिए-बल की प्राप्ति के लिए हम (त्वा) = आपको (आवर्तयामसि) = अपने अभिमुख करते हैं-आपका आराधन करते हैं। आपके द्वारा ही तो हम इन काम, क्रोध का विनाश कर सकेंगे २.(च) = और (पृतनाषाह्माय) = शत्रु-सैन्यों के पराभव के निमित्तभूत बल के लिए हम आपका आवर्तन करते हैं। आपका आराधन ही हमें वह बल प्राप्त कराएगा, जिससे हम सब शत्रुओं को पराभूत कर पाएंगे।
भावार्थ
प्रभु की आराधना से हम वृत्रहनन में तथा शत्रुसैन्यों के पराभव में समर्थ हों।
भाषार्थ
(वार्त्रहत्याय) पाप-वृत्रों के हनन के लिए, (शवसे) इस निमित्त आपसे बल की प्राप्ति के लिए (च) और (पृतनाषाह्याय) कामादि की समग्र सेना के पराभव के लिए, (इन्द्र) हे परमेश्वर! हम (त्वा) आपको (वर्तयामसि) आपकी ओर प्रवृत्त करते हैं।
इंग्लिश (4)
Subject
Self-integration
Meaning
Indra, lord of honour and valour, commander of the forces of life and freedom, we pledge to abide by you and exhort you for breaking of the clouds of rain, for the destruction of darkness and evil, for rousing courage and valour, and for challenging and beating back the enemy in battle. And we pray, inspire and exhort us too with full power and preparation.
Translation
O God Almighty, we turn you towards us for the strength that is required to destroy the internal evils and strength that is needed to dispel the calamities.
Translation
O God Almighty, we turn you towards us for the strength that is required to destroy the internal evils and strength that is needed to dispel the calamities.
Translation
O mighty God, king, commander or electricity, we turn to Thee for acquiring power and daring to destroy the mischief-monger and conquer the fighting forces of the foes.
Footnote
Rig, 3.37. (1-7)
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
यह सूक्त ऋग्वेद में है-३।३७।१-७ और मन्त्र १ यजुर्वेद में है-१८।६८ ॥ १−(वार्त्रहत्याय) तस्येदम्। पा० ४।३।१२०। इत्यण्। शत्रुहनननिमित्ताय (शवसे) बलाय (पृतनाषाह्याय) शकिसहोश्च। पा० ३।१।९९। षह अभिभवे-यत्, षत्वं दीर्घत्वं च। सङ्ग्रामे पराभवसमर्थाय (च) (इन्द्र) हे परमैश्वर्यवन् सेनापते (त्वा) त्वाम् (आ वर्तयामसि) आवर्तयामः। अभिमुखं कुर्मः ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
রাজপ্রজাগুণোপদেশঃ
भाषार्थ
(ইন্দ্র) হে ইন্দ্র! [পরম ঐশ্বর্যবান্ সেনাপতি] (বার্ত্রহত্যায়) শত্রুদের হননকারী (চ) এবং (পৃতনাষাহ্যায়) যুদ্ধে পরাজিতকারী (শবসে) বলের জন্য (ত্বা) তোমাকে (আ বর্তয়ামসি) আমরা নিজ অভিমুখী করি।।১।।
भावार्थ
যুদ্ধকুশল সেনাপতি সৈন্যদের উৎসাহিত করে শত্রুদের জয় করুক।।১।। এই সূক্ত ঋগ্বেদে আছে-৩।৩৭।১-৭ এবং মন্ত্র ১ যজুর্বেদে আছে-১৮।৬৮ ॥
भाषार्थ
(বার্ত্রহত্যায়) পাপ-বৃত্র-সমূহের হননের জন্য, (শবসে) আপনার প্রতি বল/শক্তি প্রাপ্তির জন্য (চ) এবং (পৃতনাষাহ্যায়) কামাদির সমগ্র সেনার পরাজয়ের জন্য, (ইন্দ্র) হে পরমেশ্বর! আমরা (ত্বা) আপনাকে (বর্তয়ামসি) আপনার দিকে প্রবৃত্ত করি।
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal