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अथर्ववेद के काण्ड - 6 के सूक्त 106 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 106/ मन्त्र 1
    ऋषिः - प्रमोचन देवता - दूर्वा, शाला छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - दूर्वाशाला सूक्त
    1

    आय॑ने ते प॒राय॑णे॒ दूर्वा॑ रोहन्तु पु॒ष्पिणीः॑। उत्सो॑ वा॒ तत्र॒ जाय॑तां ह्र॒दो वा॑ पु॒ण्डरी॑कवान् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ॒ऽअय॑ने । ते॒ । प॒रा॒ऽअय॑ने । दूर्वा॑: । रो॒ह॒न्तु॒ । पु॒ष्पिणी॑: । उत्स॑: । वा॒ । तत्र॑ । जाय॑ताम् । ह्र॒द: । वा॒ । पु॒ण्डरी॑कऽवान् ॥१०६.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आयने ते परायणे दूर्वा रोहन्तु पुष्पिणीः। उत्सो वा तत्र जायतां ह्रदो वा पुण्डरीकवान् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आऽअयने । ते । पराऽअयने । दूर्वा: । रोहन्तु । पुष्पिणी: । उत्स: । वा । तत्र । जायताम् । ह्रद: । वा । पुण्डरीकऽवान् ॥१०६.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 6; सूक्त » 106; मन्त्र » 1
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    गढ़ बनाने का उपदेश।

    पदार्थ

    [हे मनुष्य !] (ते) तेरे (आयने) आगमनमार्ग और (परायणे) निकास में (पुष्पिणीः) फूलवाली (दूर्वाः) दूब घासें (रोहन्तु) उगें। (वा) और (तत्र) वहाँ (उत्सः) कुआँ (वा) और (पुण्डरीकवान्) कमलोंवाला (ह्रदः) ताल (जायताम्) होवे ॥१॥

    भावार्थ

    मनुष्य दुर्ग और घरों के आस-पास के दृश्य को सुख बढ़ानेवाले दूध, जल, कमल आदि से स्वस्थता के लिये सुशोभित रक्खें ॥१॥ यह मन्त्र कुछ भेद से ऋग्वेद में है−म० १० स० १४२ म० ८ ॥

    टिप्पणी

    १−(आयने) आङ्+इण् गतौ−ल्युट्। आगमने (ते) तव (परायणे) इण्−ल्युट्। बहिर्गमने (दूर्वाः) दूर्वी हिंसायाम्−अ। स्वनामख्यातघासाः। सहस्रवीर्याः। हरिताः (रोहन्तु) उद्भवन्तु (पुष्पिणीः) बहुपुष्पयुक्ताः (उत्सः) अ० १।१५।३। कूपः−निघ० ३।२३। (वा) चार्थे (तत्र) तस्मिन् देशे (जायताम्) वर्तताम् (ह्रदः) अगाधजलाशयः (पुण्डरीकवान्) फर्फरीकादयश्च। उ० ४।२०। इति पुडि खण्डने−यद्वा पुण शुभकर्मणि−ईकन्, उभयपक्षे पृषोदरादित्वात्साधुः। कमलैर्युक्तः ॥

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    विषय

    आदर्शगृह

    पदार्थ

    १. हे शाले! (ते) = तेरे (आयने) = आगमन मार्ग में और (परायणे) = निकास में अथवा अगले तथा पिछले भाग में (पुष्पिणी:) = फूलोंवाली (दूर्वा:) = घास (रोहन्तु) = उगें (वा) = और (तत्र) = वहाँ (उत्सः) = उदकप्रस्त्रवण [चश्मा] (जायताम्) = हो (वा) = अथवा (पुण्डरीकवान्) = कमलोंवाला (ह्रदः) = तालाब हो।

    भावार्थ

    घर में आगे-पीछे दूर्वा लगी हो। उसमें उत्स व कमलयुक्त तालाब की भी व्यवस्था की जाए।

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    भाषार्थ

    हे शाला ! (ते) तेरे (आयने) आने के मार्ग में, (परायणे) और जाने के मार्ग में (पुष्पिणीः) फुलों से पुष्पित (दूर्वाः) घास (रोहन्तु) उगें, (तत्र) वहां अर्थात् शाला में (वा) या तो (उत्सः) फुआरा (जायताम्) हों, (वा) या (पुण्डरीकवान्) कमलों से युक्त (ह्रदः) तालाब।

    टिप्पणी

    [शाला (मन्त्र ३) आने और जाने के मार्ग अलग-अलग होने चाहिये, ताकि एक मार्ग द्वारा शाला में आ सकें, और दूसरे मार्ग द्वारा शाला से वापिस जा सकें]।

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    विषय

    गृहों की रक्षा और शोभा।

    भावार्थ

    गृहों की रक्षा और सुन्दरता के लिये उत्तम उपायों का उपदेश करते हैं। हे शाले ! (ते) तेरे (आ-अयने) आनें के स्थान में और (परा-अयने) पीछे के या दूर के स्थानों में भी (पुष्पिणीः) फूलों वाली (दूर्वाः) दूब और नाना वनस्पतियाँ (रोहन्तु) खूब उगें। और (तत्र) वहाँ (उत्सः वा) कूंआ भी (जायताम्) हो। (वा) और (पुण्डरीकवान्) कमलों वाला (ह्रदः) तालाब भी हो। रहने के घर के समीप और दूर तक भी घास से हरा भरा मैदान, फुलवाड़ी, कूंआ और पुखरिया होनी चाहिये। ऐसे घरों में अग्नि आदि का भी भय नहीं रहता।

    टिप्पणी

    (तृ० च०) ‘ह्रदा वा पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमे’ इति ऋ०॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    प्रमोचन ऋषिः। दूर्वा शाला देवता। अनुष्टुभः। तृचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Ideal House

    Meaning

    At the entrance and at the rear, let holy grasses grow and flowers bloom, and let there be a spring or fountain playing to form a little pool, or let there be a pleasure pool with blooming lotus flowers.

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    Subject

    Darva : Grass : Sama

    Translation

    At your approach and at the exit, may the durva (Panicum dactylon) grass grow with flowers. May there appear a fountain spring or a water pond with lotuses.

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    Translation

    Let about the approach and exit of the house there grow the flowery Durva-grass (the Panicuny Dactylon) let there be well of water and let there be a lake of covered with blooming lotus.

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    Translation

    In front and behind thy house, let flowery Dūrvā, grass grow. There let a spring of water rise, or a tank with blooming lotuses.

    Footnote

    Dūrva grass Panicum Dactyion, a creeping grass with flower-bearing branches erect. By far the most common and useful grass in India. It grows everywhere abundantly, and flowers all the year round. In Hindustani it is called dub.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १−(आयने) आङ्+इण् गतौ−ल्युट्। आगमने (ते) तव (परायणे) इण्−ल्युट्। बहिर्गमने (दूर्वाः) दूर्वी हिंसायाम्−अ। स्वनामख्यातघासाः। सहस्रवीर्याः। हरिताः (रोहन्तु) उद्भवन्तु (पुष्पिणीः) बहुपुष्पयुक्ताः (उत्सः) अ० १।१५।३। कूपः−निघ० ३।२३। (वा) चार्थे (तत्र) तस्मिन् देशे (जायताम्) वर्तताम् (ह्रदः) अगाधजलाशयः (पुण्डरीकवान्) फर्फरीकादयश्च। उ० ४।२०। इति पुडि खण्डने−यद्वा पुण शुभकर्मणि−ईकन्, उभयपक्षे पृषोदरादित्वात्साधुः। कमलैर्युक्तः ॥

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