अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 33/ मन्त्र 1
ऋषिः - ब्रह्मा
देवता - मरुद्गणः, पूषा, बृहस्पतिः
छन्दः - पथ्यापङ्क्तिः
सूक्तम् - दीर्घायु सूक्त
1
सं मा॑ सिञ्चन्तु म॒रुतः॒ सं पू॑ष॒ सं बृह॒स्पतिः॑। सं मा॒यम॒ग्निः सि॑ञ्चतु प्र॒जया॑ च॒ धने॑न च दी॒र्घमायुः॑ कृणोतु मे ॥
स्वर सहित पद पाठसम् । मा॒ । सि॒ञ्च॒न्तु॒ । म॒रुत॑: । सम् । पू॒षा । सम् । बृ॒ह॒स्पति॑: । सम् । मा॒ । अ॒यम् । अ॒ग्नि: । सि॒ञ्च॒न्तु॒ । प्र॒ऽजया॑ । च॒ । धने॑न। च॒ । दी॒र्घम् । आयु॑: । कृ॒णो॒तु॒ । मे॒ ॥३४.१॥
स्वर रहित मन्त्र
सं मा सिञ्चन्तु मरुतः सं पूष सं बृहस्पतिः। सं मायमग्निः सिञ्चतु प्रजया च धनेन च दीर्घमायुः कृणोतु मे ॥
स्वर रहित पद पाठसम् । मा । सिञ्चन्तु । मरुत: । सम् । पूषा । सम् । बृहस्पति: । सम् । मा । अयम् । अग्नि: । सिञ्चन्तु । प्रऽजया । च । धनेन। च । दीर्घम् । आयु: । कृणोतु । मे ॥३४.१॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
सब सम्पत्तियों के बढ़ाने का उपदेश।
पदार्थ
(मरुतः) वायु के झोंके (मा) मुझे (सम्) भले प्रकार (सिञ्चन्तु) सींचे, (पूषा) पृथिवी (सम्) भले प्रकार और (बृहस्पतिः) बड़े-बड़ों का रक्षक सूर्य [वा मेघ] (सम्) भले प्रकार [सींचे]। (अयम्) यह (अग्निः) अग्नि [शारीरिक अग्नि वा बल] (मा) मुझको (प्रजया) सन्तान भृत्य आदि (च) और (धनेन) धन से (सम्) भले प्रकार (सिञ्चतु) सींचे (च) और (मा) मेरी (आयुः) आयु को (दीर्घम्) दीर्घ (कृणोतु) करे ॥१॥
भावार्थ
मनुष्य वायु आदि सब पदार्थों से उपकार लेकर शारीरिक आत्मिक बल, सन्तान भृत्य आदि बढ़ा कर यश प्राप्त करें ॥१॥
टिप्पणी
१−(सम्) सम्यक् (मा) माम् (सिञ्चन्तु) आर्द्रीकुर्वन्तु। वर्धयन्तु (मरुतः) वायुगणाः (पूषा) पृथिवी-निघ० १।१। (बृहस्पतिः) बृहतां पालकः सूर्यो मेघो वा (मा) (अयम्) (अग्निः) जाठराग्निः (सिञ्चतु) (प्रजया) सन्तानभृत्यादिना (धनेन) वित्तेन। अन्यत्पूर्ववत् ॥
विषय
प्रजा+धन+दीर्घायु
पदार्थ
१. (मरुतः) = प्राण (मा संसिञ्चन्तु) = मुझे शक्ति से सम्यक् सिक्त करें। प्राणसाधना द्वारा मेरे शरीर में शक्ति का सेचन हो । प्राणसाधना से ही बीर्य की ऊर्ध्वगति सम्भव होती है। इसी प्रकार (पूषा) = अपनी किरणों में सब पोषक तत्वों को लिये हुए यह सूर्य मुझे (सं) [सिञ्चतु] = शक्ति से युक्त करे, (बृहस्पति:) = ज्ञान का स्वामी प्रभु (सम्) मुझे शक्ति-सिक्त करे । सूर्यकिरणों में [खुले में] यथासम्भव जीवन-यापन तथा स्वाध्याय की प्रवृत्ति भी शक्ति की रक्षा करने में सहायक होती है। २. (अयं अग्नि:) = यह शरीरस्थ जाठराग्नि [वैश्वानर अग्नि] (मा) = मुझे (संसिञ्चतु) = सम्यक् शक्ति-सिक्त करे और इसप्रकार ये सब (प्रजया च धनेन च) = उत्तम सन्तान व ऐश्वर्य के साथ में (आयुः) = मेरे आयुष्य को (दीर्घम्) = दीर्घ (कृणोतु) = करें।
भावार्थ
हम प्राणसाधना करनेवाले हों, सूर्यकिरणों के सम्पर्क में हमारा निवास हो, हम स्वाध्यायशील बनें, भोजन की मर्यादा से जठराग्नि को सदा दीस रक्खें। इससे हमें उत्तम सन्तान, ऐश्वर्य व दीर्घजीवन प्राप्त होगा।
गतमन्त्र के अनुसार दृढ़ता से मार्ग का अनुसरण करनेवाला व्यक्ति 'अथर्वा' [न डाँवाडोल] बनता है। अगले ५ सूक्तों का ऋषि 'अथर्वा' ही है -
भाषार्थ
(मा) मुझे (मरुतः) मानसून वायुएं (संसिञ्चन्तु) [जल द्वारा] सम्यक् सींचे, (पूषा) रश्मियों से पुष्ट सूर्य (सं= संसिञ्चतु) [रश्मियों द्वारा] सींचे, (बृहस्पतिः) विद्युत् या वायु भी (सं= संसिञ्चतु) जल और शुद्ध वायु द्वारा सींचे। (मा) मुझे (अयम् अग्निः) यह अग्नि (संसिञ्चतु) यज्ञधूम द्वारा सींचे, (प्रजया च) प्रजा और (धनेन च) धन द्वारा सींचे, और (मे) मेरी (दीर्घम् आयुः) दीर्घ आयु (कृणोतु) करे।
टिप्पणी
[मरुतः= मानसून वायुएं (अथर्व० ४।२७।४, ५)। पूषा= यद् रश्मिपोषं पुष्यति (निरुक्त १२।२।१६)। बृहस्पतिः (निरुक्त १०।१।१०)]।
इंग्लिश (4)
Subject
Prayer for Prosperity
Meaning
May the Maruts, refreshing breezes, refresh and energise me, may Pusha, lord of health and nourishment, Brhaspati, lord of expansive nature and natural knowledge of life, and this Agni, fire and passion of will for action and enlightenment, bless me wholly with progeny, wealth and long age of good health and make me strong against all odds.
Subject
Marutah, Pusan, Brhaspatih and Agnih
Translation
May the cloud-bearing winds sprinkle (siñeantu) properly, may the nourisher, and the Lord supreme sprinkle me profusely with progeny and wealth; may this fire divine make my life span long.
Comments / Notes
MANTRA NO 7.34.1AS PER THE BOOK
Translation
Let vital airs pour on me the good health, let protective energy pour on me good health, let the soul pour on me good health, let this bodily heat pour on me good health bearing progeny wealth and let it make my life long.
Translation
Let fresh, pure breezes, strong mind, soul or God, and this digestive fire bestow on me long life, with children and riches.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१−(सम्) सम्यक् (मा) माम् (सिञ्चन्तु) आर्द्रीकुर्वन्तु। वर्धयन्तु (मरुतः) वायुगणाः (पूषा) पृथिवी-निघ० १।१। (बृहस्पतिः) बृहतां पालकः सूर्यो मेघो वा (मा) (अयम्) (अग्निः) जाठराग्निः (सिञ्चतु) (प्रजया) सन्तानभृत्यादिना (धनेन) वित्तेन। अन्यत्पूर्ववत् ॥
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