अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 48/ मन्त्र 1
रा॒काम॒हं सु॒हवा॑ सुष्टु॒ती हु॑वे शृ॒णोतु॑ नः सु॒भगा॒ बोध॑तु॒ त्मना॑। सीव्य॒त्वपः॑ सू॒च्याच्छि॑द्यमानया॒ ददा॑तु वी॒रं श॒तदा॑यमु॒क्थ्य॑म् ॥
स्वर सहित पद पाठरा॒काम् । अ॒हम् । सु॒ऽहवा॑ । सु॒ऽस्तु॒ती । हु॒वे॒ । शृ॒णोतु॑ । न॒: । सु॒ऽभगा॑ । बोध॑तु । त्मना॑ । सीव्य॑तु । अप॑: । सू॒च्या । अच्छि॑द्यमानया । ददा॑तु । वी॒रम् । श॒तऽदा॑यम् । उ॒क्थ्य᳡म् ॥५०.१॥
स्वर रहित मन्त्र
राकामहं सुहवा सुष्टुती हुवे शृणोतु नः सुभगा बोधतु त्मना। सीव्यत्वपः सूच्याच्छिद्यमानया ददातु वीरं शतदायमुक्थ्यम् ॥
स्वर रहित पद पाठराकाम् । अहम् । सुऽहवा । सुऽस्तुती । हुवे । शृणोतु । न: । सुऽभगा । बोधतु । त्मना । सीव्यतु । अप: । सूच्या । अच्छिद्यमानया । ददातु । वीरम् । शतऽदायम् । उक्थ्यम् ॥५०.१॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
स्त्रियों के कर्तव्यों का उपदेश।
पदार्थ
(राकाम्) राका, अर्थात् सुख देनेवाली वा पूर्णमासी के समान शोभायमान पत्नी को (सुहवा) सुन्दर बुलावे से और (सुष्टुती) बड़ी स्तुति से (अहम्) मैं (हुवे) बुलाता हूँ, (सुभगा) वह सौभाग्यवती [बड़े ऐश्वर्यवाली] (नः) हमें (शृणोतु) सुने और (त्मना) अपने आत्मा से (बोधतु) समझे। और (अच्छिद्यमानया) न टूटती हुई (सूच्या) सुई से (अपः) कर्म [गृहस्थ कर्तव्य] को (सीव्यतु) सीये, और (शतदायम्) सैकड़ों धनवाला, (उक्थ्यम्) प्रशंसनीय (वीरम्) वीर सन्तान (ददातु) देवे ॥१॥
भावार्थ
पुरुष सुखदायिनी, अनेक शुभगुणों से शोभायमान पूर्णमासी के समान पत्नी को आदर से बुलावे और वह ध्यान देकर पति के सम्मति से गृहस्थ कर्तव्य को लगातार प्रयत्न से करती हुई वीर पुरुषार्थी सन्तान उत्पन्न करे, जैसे अच्छी दृढ़ सुई से सींकर वस्त्र को सुन्दर बनाते हैं ॥१॥ मन्त्र १, २ कुछ भेद से ऋग्वेद में है−२।३२।४, ५। और महर्षिदयानन्दकृत संस्कारविधि, सीमन्तोन्नयन प्रकरण में हैं। और मन्त्र एक-निरु० ११।३१। में व्याख्यात है ॥
टिप्पणी
१−(राकाम्) कृदाधारार्चिकलिभ्यः कः। उ० ३।४०। रा दाने-क, टाप्। अनुमती राकेति देवपत्न्याविति नैरुक्ताः। पौर्णमास्याविति याज्ञिका या पूर्वा पौर्णमासी सानुमतिर्योत्तरा सा राकेति विज्ञायते-निरु० ११।२९। राका रातेर्दानकर्मणः-निरु० ११।३०। राका पदनाम-निघ० ५।५। सुखदात्रीम्। पौर्णमासीम्। पौर्णमासीसमानशोभायमानाम् (अहम्) पतिः (सुहवा) अ० ७।४७।१। शुभाह्वानेन (सुष्टुती) शोभनया स्तुत्या (हुवे) आह्वयामि (शृणोतु) (नः) अस्मान् (सुभगा) शोभनैश्वर्ययुक्ता (बोधतु) जानातु (त्मना) स्वात्मना (सीव्यतु) षिवु तन्तुसन्ताने। सन्तनोतु (अपः) कर्म (सूच्या) सिवेष्टेरू च। उ० ४।९३। इति षिवु तन्तुसन्ताने−चट्, ङीप्। स्वनामख्यातया सीवनसाधनया (अच्छिद्यमानया) छेत्तुमनर्हया। अन्यद् व्याख्यातम्-अ० ७।४७।१ ॥
विषय
राका
पदार्थ
१. (राकाम्) = [राका पूर्णे निशाकरे] पूर्ण निशाकर [चन्द्र] के समान शोभायमान इस गृहपत्नी को मैं (सुहवा) = उत्तम प्रकार से तथा (सुष्टुती) = उत्तम स्तुतिवचनों द्वारा (हुवे) = पुकारता हूँ। यह (सुभगा) = सौभाग्यवती पत्नी (नः शृणोतु) = हमारी पुकार को सुने। (त्मना बोधतु) = और स्वयं ही कुशलता से हमारे अभिप्राय को समझनेवाली हो। २. हमारे अभिप्राय को समझती हुई यह (अच्छिद्यमानया सूच्या अप: सीव्यतु) = न छिन्न होती हुई सूचीस्थानीया 'सीवनी' नाड़ी से प्रजनन लक्षण कर्म को सतत करे [षिवु तन्तुसन्ताने] [राका ह वा एतां पुरुषस्य सेवनी सीव्यति यैषा शिश्नेऽधि, पुमांसो अस्य पुत्रा जायन्ते-ऐ०३।३७]। २. यह राका हमारे लिए (वीरम्) = वीरता से युक्त, (शतदायम्) = सैकड़ों धनों का दान करनेवाले, (उक्थ्यम्) = प्रशंसनीय पुत्र को (ददातु) = दे, हमारे लिए 'प्रशस्त, उदार, वीर' सन्तानों को प्राप्त कराए।
भावार्थ
पत्नी पूर्णचन्द्र के समान चमके, सब गुणों से युक्त हो। यह पति के अभिनाय को समझती हुई 'प्रशस्त, उदार, बीर' सन्तान को जन्म दे।
भाषार्थ
(सुहवाम्) शोभन शब्दों द्वारा बुलाई जाने वाली (राकाम्) दानशीला पत्नी को (सुष्टुती) उत्तम स्तुतिपूर्वक (अहं हुवे) में पति बुलाता हूं, (सुभगा) उत्तम ऐश्वर्यो वाली वह (नः शृणोतु) हमारी बात सुने और (त्मना) स्वयम् [हमारे अभिप्राय को] (बोधतु) जान ले (अच्छिद्यमानया सूच्या) और अटूट सुई द्वारा (अपः) गृहस्थ के कर्म-पट को (सीव्यतु) सीया करे, (शतदायम्, उक्थ्यम् वीरम् ददातु) और सैकड़ों को दान देने वाला प्रशस्त वीर पुत्र दे। राका=रा दाने (अदादिः) + कृ + टाप्।
टिप्पणी
[राका=रां (दानम्) करोतीति (कृ+डः) स्त्रीलिङ्ग। राका दानशीला देवपत्नी है। और सुभगा१ है, ऐश्वर्यों की स्वामिनी है। पति के कथन को ध्यान से सुनती और कथन के अभिप्राय को जान लेती है। गृह्यकर्मों का सिलसिला जारी रखती, उसे छिन्न भिन्न नहीं होने देती, सम्भवतः गुलवस्त्रों को भी सीती। तथा दानी और प्रशस्त वीर अपत्य को माता भी बनती]। [१. ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसः श्रियः। ज्ञानवैराग्ययोश्चैव षण्णां भग इतीरणा।।]
विषय
राका नाम राजसभा और स्त्री के कर्त्तव्यों का वर्णन।
भावार्थ
(अहं) मैं पुरुष (राकाम्) पूर्ण चन्द्रवाली पूर्णिमा के समान शोभना, षोडश कलायुक्त गुणवती स्त्री का (सु-हवा) उत्तम ज्ञान और (सुस्तुती) उत्तम गुण वर्णन युक्त वाणी से (हुवे) वर्णन करता हूं। वह (सुभगा) शुभ, सौभाग्य सम्पन्न स्त्री (नः) हमारे उपदेशों का (शृणोतु) श्रवण करे। और (त्मना बोधतु) अपने भीतरी अन्तःकरण से उसको समझे, विचार करे कि वह (अच्छिद्यमानया) कभी न टूटने वाली (सूच्या) सूची से (अपः) सन्तति कर्म को (सीव्यतु) सीये। अर्थात् न टूटते हुए प्रजाजन्तु को बनाये रखे। और (शत-दायम्) सैकड़ों दाय धन को प्राप्त करने वाले (उक्थ्यम्) प्रशंसनीय (वीरम्) पुत्र को (ददातु) उत्पन्न करे। अर्थात् सर्वांग गुणसम्पन्ना महिलाएं वीर, उत्तम राजा होने योग्य यशस्वी पुत्रों को उत्पन्न करें।
टिप्पणी
(प्र०) ‘सुहवाम्’ इति पैप्प० सं०, ऋ०।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अथर्वा ऋषिः। राका देवता। जगती छन्दः। द्वयृचं सुक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Enlightened Love
Meaning
With sweetest words of love and adoration I solicit my noble and admirable lady love of light, Raka, who, harbinger of all good fortune, I pray, may listen to me, appreciate my sincerity from the depth of her heart, give me a brave, adorable progeny of hundredfold creativity, and thus weave the web of familial duties with the faultless needle of love and wisdom in conjugal cooperation.
Subject
Raka - Full Moon Night
Translation
I invoke the full moon's night (raka) easy to call, worthy of praise. May she, the propitious, listen to us and understand by herself our purpose. May she saw her work with the needle (sucya). Which is never broken. May she bless us with a son, donor of abundant wealth, and praise-worthy.
Comments / Notes
MANTRA NO 7.50.1AS PER THE BOOK
Translation
Praise the house-hold lady like the final phase of the full-mooned night with nice words and reverent expressions, may she auspicious, hear and observe herself, may she sew her actions with never-breaking needle, give a glorious son who is able to give a hundred gifts.
Translation
With fair laud and reverent cry I call my pleasure-giving wife, brilliant like the full moon. May she, auspicious, hear us and herself observe, with never-breaking needle may she sew her work of bearing children. May she give us a charitable, praiseworthy heroic son.
Footnote
(1- 2) Raka has been translated by Pt. Jaideva Vidyalankara as Lok Sabha or Parliament.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१−(राकाम्) कृदाधारार्चिकलिभ्यः कः। उ० ३।४०। रा दाने-क, टाप्। अनुमती राकेति देवपत्न्याविति नैरुक्ताः। पौर्णमास्याविति याज्ञिका या पूर्वा पौर्णमासी सानुमतिर्योत्तरा सा राकेति विज्ञायते-निरु० ११।२९। राका रातेर्दानकर्मणः-निरु० ११।३०। राका पदनाम-निघ० ५।५। सुखदात्रीम्। पौर्णमासीम्। पौर्णमासीसमानशोभायमानाम् (अहम्) पतिः (सुहवा) अ० ७।४७।१। शुभाह्वानेन (सुष्टुती) शोभनया स्तुत्या (हुवे) आह्वयामि (शृणोतु) (नः) अस्मान् (सुभगा) शोभनैश्वर्ययुक्ता (बोधतु) जानातु (त्मना) स्वात्मना (सीव्यतु) षिवु तन्तुसन्ताने। सन्तनोतु (अपः) कर्म (सूच्या) सिवेष्टेरू च। उ० ४।९३। इति षिवु तन्तुसन्ताने−चट्, ङीप्। स्वनामख्यातया सीवनसाधनया (अच्छिद्यमानया) छेत्तुमनर्हया। अन्यद् व्याख्यातम्-अ० ७।४७।१ ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal