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ऋग्वेद मण्डल - 7 के सूक्त 56 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 56/ मन्त्र 1
    ऋषिः - वसिष्ठः देवता - मरुतः छन्दः - आर्चीगायत्री स्वरः - षड्जः

    क ईं॒ व्य॑क्ता॒ नरः॒ सनी॑ळा रु॒द्रस्य॒ मर्या॒ अधा॒ स्वश्वाः॑ ॥१॥

    स्वर सहित पद पाठ

    के । ई॒म् । विऽअ॑क्ताः । नरः॑ । सऽनी॑ळाः । रु॒द्रस्य॑ । मर्याः॑ । अध॑ । सु॒ऽअश्वाः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    क ईं व्यक्ता नरः सनीळा रुद्रस्य मर्या अधा स्वश्वाः ॥१॥

    स्वर रहित पद पाठ

    के। ईम्। विऽअक्ताः। नरः। सऽनीळाः। रुद्रस्य। मर्याः। अध। सुऽअश्वाः ॥१॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 56; मन्त्र » 1
    अष्टक » 5; अध्याय » 4; वर्ग » 23; मन्त्र » 1
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    अथ के मनुष्याः श्रेष्ठा भवन्तीत्याह ॥

    अन्वयः

    हे विद्वन्नध क ईं रुद्रस्य स्वश्वा व्यक्ताः सनीळा मर्या नरस्सन्तीति ब्रूहि ॥१॥

    पदार्थः

    (के) (ईम्) सर्वतः (व्यक्ताः) विशेषेण प्रसिद्धाः कमनीयाः (नरः) नेतारो मनुष्याः (सनीळाः) समानं नीळं प्रशंसनीयं गृहं येषां ते (रुद्रस्य) रोगाणां द्रावकस्य निस्सारकस्य (मर्याः) मनुष्याः (अधा) अथ। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (स्वश्वाः) शोभना अश्वाः तुरङ्गा महान्तो जना वा येषां ते ॥१॥

    भावार्थः

    अत्र संसारे क उत्तमाः प्रसिद्धाः प्रशंसनीयाः मनुष्यास्सन्तीत्यस्याग्रस्थे मन्त्रे समाधानं वेद्यमिति ॥१॥

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    हिन्दी (3)

    विषय

    अब पच्चीस ऋचावाले छप्पनवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में अब कौन मनुष्य श्रेष्ठ होते हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

    पदार्थ

    हे विद्वान् ! (अध) अनन्तर इस के (के) कौन (ईम्) सब ओर से (रुद्रस्य) रोगों के निकालनेवाले के (स्वश्वाः) सुन्दर घोड़े का महान् जल जिस में विद्यमान हैं (व्यक्ताः) विशेषता से प्रसिद्ध (सनीळाः) समान घरवाले (मर्याः) मरणधर्मा (नरः) नायक मनुष्य हैं, इस को कहो ॥१॥

    भावार्थ

    इस संसार में कौन उत्तम प्रशंसा करने योग्य मनुष्य हैं, इस का अगले मन्त्र में समाधान जानना चाहिये ॥१॥

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    विषय

    रुद्र सेनापति के वीरजन। आचार्य के जितेन्द्रिय शिष्यों का वर्णन। उनके कर्त्तव्य।

    भावार्थ

    ( ईम् ) सब प्रकार से (वि-अक्ताः ) विशेष रूप से तेजस्वी, कान्तियुक्त, कमनीय गुणों से सम्पन्न, ( सनीडा: ) एक ही समान स्थान में रहने वाले, ( रुद्रस्य ) दुःखों, कष्टों को दूर करने वाले, दुष्टों के रुलाने वाले, प्रभु, परमेश्वर, विद्योपदेष्टा आचार्य के ( के मर्याः ) कौन विशेष मनुष्य ( नरः ) उत्तम नायक और ( सु-अश्वाः ) उत्तम अश्वों वाले वा जितेन्द्रिय हैं । (२) रुद्र, सेनापति के नायक विशेष कान्तियुक्त, (स-नीडाः) नीले तुर्रे वाले, ( मर्याः ) शत्रु को मारने में समर्थ, उत्तम घुड़सवार सब ओर रहें । ( ३ ) रुद्र परमेश्वर के ( नरः ) जीव ( स-नीडा: ) देह सहित, मरणधर्मा, उत्तम इन्द्रियों से सम्पन्न हैं ।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    वसिष्ठ ऋषिः ।। मरुतो देवताः ॥ छन्दः -१ आर्ची गायत्री । २, ६, ७,९ भुरिगार्ची गायत्रीं । ३, ४, ५ प्राजापत्या बृहती । ८, १० आर्च्युष्णिक् । ११ निचृदार्च्युष्णिक् १२, १३, १५, १८, १९, २१ निचृत्त्रिष्टुप् । १७, २० त्रिष्टुप् । २२, २३, २५ विराट् त्रिष्टुप् । २४ पंक्तिः । १४, १६ स्वराट् पंक्तिः ॥ पञ्चविंशत्यृचं सूक्तम् ॥

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    विषय

    वीर पुरुष

    पदार्थ

    पदार्थ- (ईम्) = सब प्रकार से (वि-अक्ताः) = विशेष तेजस्वी, (सनीडा:) = समान स्थान वासी, (रुद्रस्य) = दुष्टों के रोदक, प्रभु, विद्योपदेष्टा आचार्य के (के मर्या:) = कौन विशेष मनुष्य (नरः) = उत्तम नायक और (सु-अश्वा:) = उत्तम अश्वोंवाले वा जितेन्द्रिय हैं?

    भावार्थ

    भावार्थ- सेनापति अपनी सेना में उत्तम वीर पुरुषों को नायक नियुक्त करे जो क्रान्तियुक्त, साथ रहनेवाले, शत्रु को मारने में कुशल तथा उत्तम घुड़सवार हों।

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    मराठी (1)

    विषय

    या सूक्तात वायू, विद्वान, राजा, शूरवीर, अध्यापक, उपदेशक व रक्षक यांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

    भावार्थ

    या जगात उत्तम, प्रसिद्ध, प्रशंसा करण्यायोग्य कोणती माणसे आहेत याचे पुढच्या मंत्रात उत्तर आहे. ॥ १ ॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    What for sure are these individual, specified, kindred, mortal and human life forces of Rudra, cosmic vitality, the soul, the commander, the destroyer of suffering, forces which ride noble steeds like currents of wind?

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