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ऋग्वेद मण्डल - 1 के सूक्त 11 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 11/ मन्त्र 2
    ऋषिः - जेता माधुच्छ्न्दसः देवता - इन्द्र: छन्दः - निचृदनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः

    स॒ख्ये त॑ इन्द्र वा॒जिनो॒ मा भे॑म शवसस्पते। त्वाम॒भि प्रणो॑नुमो॒ जेता॑र॒मप॑राजितम्॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स॒ख्ये । ते॒ । इ॒न्द्र॒ । वा॒जिनः॑ । मा । भे॒म॒ । श॒व॒सः॒ । प॒ते॒ । त्वाम् । अ॒भि । प्र । नो॒नु॒मः॒ । जेता॑रम् । अप॑राऽजितम् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सख्ये त इन्द्र वाजिनो मा भेम शवसस्पते। त्वामभि प्रणोनुमो जेतारमपराजितम्॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सख्ये। ते। इन्द्र। वाजिनः। मा। भेम। शवसः। पते। त्वाम्। अभि। प्र। नोनुमः। जेतारम्। अपराऽजितम्॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 11; मन्त्र » 2
    अष्टक » 1; अध्याय » 1; वर्ग » 21; मन्त्र » 2

    Bhajan -

     वैदिक भजन ११३०वां
                        राग यमन कल्याण
                 गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर
                               ताल अद्धा
    तुम्हें सखा जाना है, हे प्रभु प्यारे !
    अब जगत से क्या डरना क्या जब 
    सखा हो हमारे, हे प्रभु प्यारे!
    तुम्हें सखा...........
    'शवसस्पति 'हो तुम सब बलों के स्वामी
    बने ज्ञान बल पाकर तेरे अनुगामी
    तुम हो तो कैसा भय? अभय अभिरामी !
    रक्षक तुम हो चाहे आए कलकानि ।।
    अब जगत से...........
    दु:ख, पीड़ा,जग-हंसाई, अर्थनाश, वियोग 
    ईर्ष्या-द्वेष, अत्याचार करें चाहे लोग 
    सत्य मार्ग पर तुम्हारे ना है अवरोध
    अभयता के कारण ही हट जाते बोझ 
    निर्भय बनाने वाले सख्य हो हमारे 
    अब जगत से ........
    इस अभय अवस्था में भी अभिमान कैसा ?
    क्योंकि यह अवस्था भी तू ही हमें देता 
    संसार की विजय सब जिसके तुम हो जेता
    शक्तियां है अपराजित सर्वशक्ति नेता 
    तुम्हें पा के आत्माभियान, बढ़ गई बहारें
    अब जगत से ..........
    आत्माभियान ने ही नम्रता बढ़ाई 
    तुम्हारी ही ललित कृपा में अभयता समाई 
    हे अभय दाता भ्राता ! तुम हो सहाई
    इसी से तुम्हारी भक्ति मन में जा समाई 
    'वाजी'हो के अभयता क,े गायें गुण तुम्हारे।।
    अब जगत से.........
    तुम्हें सखा......
                      ०२.०८.२०२३
                          ९.३७ रात्रि
                            शब्दार्थ:-
    शवसस्पति=बलों के स्वामी
    अनुगामी=पीछे पीछे चलने वाला
    अभिरामी=आनन्द देने वाला
    कलकानि=कष्ट दु:ख
    अवरोध= रुकावट
    जेता=सदा जीतने वाला
    अपराजित= न हारने वाला
    ललित =सुंदर मनमोहक
    वाजी=बल और ज्ञान से युक्त

     🕉🧘‍♂️द्वितीय श्रृंखला का 123 वां वैदिक भजन  और अब तक का  1130 वां वैदिक भजन🌹🙏🎧
    🕉🧘‍♂️वैदिक श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएं🎧🌹🙏

     

    Vyakhya -

    परमेश्वर की मित्रता में अभय प्राप्ति
    हे परमेश्वर तुम्हें अपना सखा जानकर अब संसार में और किसी से क्या डरना ! सब बल के स्वामी 'शवसस्पति 'तो तुम हो। तुमसे बलज्ञान पाकर,' वाजी 'होकर कैसा डरना ?
    तुम्हारा सहारा पकड़कर अब कैसा भय?अदूर भविष्य चाहे कितना अंधकार में दीख रहा हो सामने चाहे कितना विकट संकट आता दीखता हो, फिर भी हम निर्भय है, क्योंकि हम जानते हैं कि इस सब को यदि तुम चाहो तो एक क्षण में टाल सकते हो। जब तुम से नाता जोड़ लिया, जब तुम्हारी राह में चल पड़े, तो दुख पीड़ा, अर्थनाश, संबंधियों का वियोग, जग- हंसाई आदि के सह लेने में क्या पड़ा है? तुम महाबली का नाम लेते हुए हम भारी -से -भारी अत्याचारों को हंसते- हंसते सहते जाते हैं। तुम्हारे प्यारे सच्चे मार्ग पर चलते हुए एक बार नहीं, लाख बार यदि मौत आए तो हम उसे भी आनन्ददमग्न होकर स्वीकार करते जाते हैं। इनमें भय की क्या बात है? सचमुच,हे इन्द्र! तेरे सख्य को पाकर हम निर्भय हो गए हैं, दुर्लभ 'अभयपद को पा गए हैं, अभय बन गए हैं, पर इससे उच्च अभय अवस्था को प्राप्त होकर भी, हे मेरे स्वामिन् ! हम कभी मन में अभिमान को कैसे ला सकते है? क्या हम नहीं जानते कि संसार की सब विजय तुम्हारे बल द्वारा ही प्राप्त हो रही है, तुम ही संसार में एकमात्र जेता हो, विजयी होने वाले हो  तुम्हें, तुम्हारी शक्ति को संसार में और कोई नहीं पराजित कर सकता यह अनुभव करते हुए, हे मेरे सखा ! ज्यो- ज्यों हममें तुम्हें पाकर आत्माभिमान बढ़ता गया है, त्यों-त्यों हममें तुम्हारे प्रति नम्रता भी बढ़ती गई। ज्यों-ज्यों तुम्हारी कृपा से हम हमें 
    अभयता आती गई है, त्यों-त्यों तुम्हारे चरणों में भक्ति भी बढ़ती गई है। इसलिए हमें अभयपद प्रदान करने वाले ही प्रभु! हम तुम्हें प्रणाम करते हैं। हे जेत: हे अपराजित !
    हम तुम्हारा स्तुति गान करते हैं । तुम्हारा नित्य निरंतर गुण कीर्तन करते हैं। ओह! तुम्हारा गुण कीर्तन करते हुए हम कभी नहीं थकते, हम कभी नहीं थकते।

    1130
    Safety in God's friendship
                             Vedic Mantras
     O Indra, O lord of the dead, do not be afraid of those horses in your friend.
     We bow to you, the conqueror and the invincible
                      Vedic Psalms 1130th
                         Raag Yemen Welfare
                  Singing time First hour of the night
                                Rhythm Half
     You have to be a friend, dear Lord!
     Now what to fear from the world when
     Be our friend, O dear Lord!
     Tumhe Sakha.
     'Shavasspati 'be you the lord of all forces
     Become your followers by gaining knowledge and strength
     What kind of fear if you are?  Abhay Abhirami!
     Raksha tum ho chahe aaye kalkani.
     Now from the world.
     Suffering, pain,world-laughter, destruction of wealth, separation
     Jealousy, hatred, oppression or people
     You have no obstacles on the path of truth
     The burdens would be removed because of safety
     Be our friends who make us fearless
     Now from the world.
     How about pride even in this state of safety?
     Because you would have given us this state
     The victory of the world all whose you would be
     Powers is the undefeated omnipotent leader
     Finding you, the soul-searching, increased the spring
     Ab Jagat Se
     It was the soul campaign that increased humility
     In your grace alone safety is contained
     O brother of safety!  You are the helper
     This is why your devotion is instilled in the mind
     'Wazi' being fearless, sing your virtues.
     Now from the world.
     You're a friend.
                       02.08.2023
                           9.37 pm
                             Semantics:-
     Shavasspati=lord of forces
     Follower=following behind
     Abhirami=giving pleasure
     Kalkani=suffering and suffering
     Obstruction= interruption
     Jeta=always winning
     Unbeaten= not losing
     Lalit = beautiful charming
     Vaji=with strength and knowledge

      🕉🧘 ♂️123rd Vedic Bhajan of the second series and 1130th Vedic Bhajan so far🌹🙏🎧
     🕉🧘 ♂️Welcome to the Vedic listeners🎧🌹🙏

    Safety in God's friendship
     O God, knowing you as my friend, what else can I fear in the world?  You are the lord of all forces, 'Shavasspati'  How can I be afraid of being a 'gambler', having received strength from you?
     What fear now, holding on to your support? No matter how dark the distant future looks, no matter how terrible the crisis seems to be coming, we are still fearless, because we know that you can avoid all this in an instant if you want.  When I have joined you, when I have walked in your path, what is there to endure suffering, loss of wealth, separation of relatives, laughter of the world, etc.?  Taking the name of you, the mighty, we endure the heaviest atrocities with laughter.  If death comes not once, but a million times while following your beloved true path, we accept it with joy.  What is there to fear in these?  Indeed, O Indra!  Having attained Thy Sakhya, we have become fearless, have attained the rare 'Abhayapada, have become Abhaya, but even having attained a higher Abhaya state, O my Lord!  How can we ever bring pride into our minds?  Do we not know that all the victory of the world is being achieved by your strength, you are the only conqueror in the world, you are the one to be victorious, feeling that no one else can defeat your power in the world, O my  Sakha!  As our pride in finding you has grown, so has our humility towards you.  As by your grace we us
     As safety has come, so has devotion to Your feet.  Therefore, O Lord, who grants us safety!  We bow to you.  O Jet: O Unconquered!
     We sing your praises.  They constantly chant your virtues.  Oh!  We never tire of chanting Your virtues, we never tire of chanting Your virtues.
                             Vedic Mantras
     O Indra, O lord of the dead, do not be afraid of those horses in your friend.
     We bow to you, the conqueror and the invincible
                     
     🕉🧘 ♂️Welcome to the Vedic listeners🎧🌹🙏

     

     

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