Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 7 के सूक्त 27 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 27/ मन्त्र 3
    ऋषिः - वसिष्ठः देवता - इन्द्र: छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    इन्द्रो॒ राजा॒ जग॑तश्चर्षणी॒नामधि॒ क्षमि॒ विषु॑रूपं॒ यदस्ति॑। ततो॑ ददाति दा॒शुषे॒ वसू॑नि॒ चोद॒द्राध॒ उप॑स्तुतश्चिद॒र्वाक् ॥३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्रः॑ । राजा॑ । जग॑तः । च॒र्ष॒णी॒नाम् । अधि॑ । क्षमि॑ । विषु॑ऽरूपम् । यत् । अस्ति॑ । ततः॑ । द॒दा॒ति॒ । दा॒शुषे॑ । वसू॑नि । चोद॑त् । राधः॑ । उप॑ऽस्तुतः । चि॒त् । अ॒र्वाक् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्रो राजा जगतश्चर्षणीनामधि क्षमि विषुरूपं यदस्ति। ततो ददाति दाशुषे वसूनि चोदद्राध उपस्तुतश्चिदर्वाक् ॥३॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्रः। राजा। जगतः। चर्षणीनाम्। अधि। क्षमि। विषुऽरूपम्। यत्। अस्ति। ततः। ददाति। दाशुषे। वसूनि। चोदत्। राधः। उपऽस्तुतः। चित्। अर्वाक् ॥३॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 27; मन्त्र » 3
    अष्टक » 5; अध्याय » 3; वर्ग » 11; मन्त्र » 3

    पदार्थ -

    पदार्थ = ( इन्द्रः ) = परमेश्वर ( जगतः ) = सारे जगत् का और ( चर्षणीनाम् ) = मनुष्यों का ( क्षमि अधि ) = पृथिवी में ( यत् ) = जो ( वि सु-रूपम् ) = अनेक प्रकार का सुन्दर पदार्थ समुदाय ( अस्ति ) = है उसका ( राजा ) = प्रकाशक और स्वामी है ( ततः ) = उस पदार्थ समूह से ( दाशुषे ) = दाता मनुष्य को ( वसूनि ) = अनेक प्रकार के धनों को ( ददाति ) = देता है, ( चित् ) = यदि ( अर्वाक् ) = प्रथम वह ( राध: ) = धन का ( चोदत् ) = प्रेरक ( उपस्तुतः ) = स्तुति किया गया हो ।

     

     

     

    भावार्थ -

    भावार्थ = जो यह सब स्थावर जंगम संसार है, इस सबका प्रकाशक और स्वामी परमेश्वर है, वह सब को उनके कर्मानुसार अनेक प्रकार के धनादि सुन्दर पदार्थ प्रदान करता है । सब मनुष्यों को चाहिये कि उस प्रभु की वेदानुकूल स्तुति प्रार्थना उपासनादि करें, इसलिए अनेक सुन्दर पदार्थों की प्राप्ति के लिए भी, हमें जगत्पति की प्रार्थनादि करनी चाहिये ।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top