Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 1 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 3
    ऋषिः - विरूपः देवता - अग्निः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-१
    0

    उ॒क्षान्ना॑य व॒शान्ना॑य॒ सोम॑पृष्ठाय वे॒धसे॑। स्तोमै॑र्विधेमा॒ग्नये॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒क्षऽअ॑न्नाय । व॒शाऽअ॑न्नाय । सोम॑ऽपृष्ठाय । वे॒धसे॑ । स्तोमै॑: । वि॒धे॒म॒ । अ॒ग्नये॑ ॥१.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उक्षान्नाय वशान्नाय सोमपृष्ठाय वेधसे। स्तोमैर्विधेमाग्नये ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उक्षऽअन्नाय । वशाऽअन्नाय । सोमऽपृष्ठाय । वेधसे । स्तोमै: । विधेम । अग्नये ॥१.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 1; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (उक्षान्नाय) प्रबलों के अन्नदाता (वशान्नाय) वशीभूत [निर्बल प्रजाओं] के अन्नदाता, (सोमपृष्ठाय) ऐश्वर्य के सींचनेवाले (वेधसे) बुद्धिमान् (अग्नये) अग्नि [समान तेजस्वी राजा] की (स्तोमैः) स्तुतियोग्य कर्मों से (विधेम) हम पूजा करें ॥३॥

    भावार्थ

    जिस प्रकार राजा अपने पराक्रम और धर्म-नीति से प्रजा का उपकार करे, वैसे ही प्रजागण योग्य रीति से राजा की सेवा करते रहें ॥–३॥

    टिप्पणी

    यह मन्त्र ऋग्वेद में है-८।४३।११ और कुछ भेद से पहिले आचुका है-अ० ३।२१।६ ॥ ३−(उक्षान्नाय) अ० ३।२१।६। श्वन्नुक्षन्पूषन्०। उ० १।१९। उक्ष सेचने वृद्धौ च-कनिन्। उक्षा महन्नाम-निघ० ३।३। उक्षभ्यो महद्भ्यः प्रबलेभ्योऽन्नं यस्मात् तस्मै। प्रबलानां भोजनदात्रे (वशान्नाय) वशिरण्योरुपसंख्यानम्। वा० पा० ३।३।८। वश स्पृहायाम्, अन्, टाप्। वशाभ्यो वशीभूताभ्यः प्रजाभ्योऽन्नं यस्मात् तस्मै। निर्बलप्रजानां भोजनदात्रे (सोमपृष्ठाय) पृषु सेचने-थक्। ऐश्वर्यस्य सेचकाय वर्धकाय, (वेधसे) मेधाविने-निघ० ३।१ (स्तोमैः) स्तुत्यकर्मभिः (विधेम) परिचरेम (अग्नये) अग्निवत्तेजस्विने राज्ञे ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    उक्षान्नाय वशान्नाय

    पदार्थ

    १. 'उक्षा'-[उक्ष सेचने]-शब्द वृष्टिजल से सेचन का कारण होने से युलोक [सूर्य] का नाम है तथा 'इयं पृथिवी वै बशा पृश्नि: ' श० १.८.३.१५ । इस शतपथ-वाक्य से वशा पृथिवी का नाम है। हम उस (अग्नये) = अग्नणी प्रभु के लिए (स्तोमैः) = स्तुतिसमूहों से (विधेम) = पूजा करें जोकि (वेधसे) = ज्ञानी हैं। सर्वज्ञ होने से पूर्ण सृष्टि का निर्माण करनेवाले हैं। २. उस प्रभु का पूजन करें जो (उक्षान्नाय वशान्नाय) = सूर्य व पृथिवी के द्वारा हमारे लिए विविध अन्नों को उत्पन्न करते हैं और वस्तुतः हमें इन अन्नों के सेवन को ही प्रेरणा प्राप्त कराते हैं। वे प्रभु (सोमपृष्ठाय) = सोमरूप पृष्ठवाले हैं। सोम ही उनका आधार है। वस्तुतः प्रभु-दर्शन का आधार यह सोम ही बनता है। इस सोम के सुरक्षित होने पर हम उस सोम [प्रभु] को प्राप्त कर पाते हैं।

    भावार्थ

    यदि हम सूर्य द्वारा वृष्टि-जल-सेचन से पृथिवी में उत्पन्न होनेवाले अन्नों का ही सेवन करेंगे तो शरीर में सोम का रक्षण करते हुए प्रभु को प्राप्त करने के अधिकारी होंगे।

    सूचना

    इस सूक्त के तीन मन्त्रों में सोम-रक्षण के तीन साधनों का संकेत है-[१] प्रभु की उपासना, [२] प्राणायाम [३] पृथिवी से उत्पन्न अन्नों का सेवन [मांस आदि भोजनों को न करना]।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (उक्षान्नाय) बैलों द्वारा उत्पन्न कृष्यन्न आहुतिरूप में जिसके प्रति दिया जाता है, (वशान्नाय) गौओं से उत्पन्न दुग्धान्न जिसके प्रति आहुति रूप में दिया जाता है, (सोमपृष्ठाय) तथा जो उत्पन्न जगत् की पृष्ठभूमि है, उसी (वेधसे) जगद्-विधाता (अग्नये) जगदग्रणी के लिए, (स्तोमैः) सामगानों की स्तुतियों द्वारा, (विधेम) हम अपनी परिचर्याएँ भेंट करते हैं।

    टिप्पणी

    [प्राकृतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की आहुतियाँ परमेश्वराग्नि के प्रति ही भेंट की जाती हैं। विधेम=परिचरणकर्मा (निघं० ३.५)]

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Paramatma

    Meaning

    With songs of adoration, let us offer honour and worship to Agni and develop the science of fire and energy which provides life and sustenance to the Cow and the Sun and all dependent forms of life in existence and bears and brings the soma of health and joy for all.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    We, with the Mantras (and oblations) serve this fire which consumes the corn its preparations sprinkled with butter, cerial preparations which are liked much and the cerials and their preparation mixed with herbacious substances.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    We, with the Mantras (and oblations) serve this fire which consumes the corn its preparations sprinkled with butter, cereal preparations which are liked much and the cereals and their preparation mixed with herbaceous substances.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    With these songs of praises we worship the Effulgent God, the Creator, whom the Sun is a source of food, the earth is a source of food and Soma essence of herbs as the back-bone.

    Footnote

    Rig, 8.43.1.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    यह मन्त्र ऋग्वेद में है-८।४३।११ और कुछ भेद से पहिले आचुका है-अ० ३।२१।६ ॥ ३−(उक्षान्नाय) अ० ३।२१।६। श्वन्नुक्षन्पूषन्०। उ० १।१९। उक्ष सेचने वृद्धौ च-कनिन्। उक्षा महन्नाम-निघ० ३।३। उक्षभ्यो महद्भ्यः प्रबलेभ्योऽन्नं यस्मात् तस्मै। प्रबलानां भोजनदात्रे (वशान्नाय) वशिरण्योरुपसंख्यानम्। वा० पा० ३।३।८। वश स्पृहायाम्, अन्, टाप्। वशाभ्यो वशीभूताभ्यः प्रजाभ्योऽन्नं यस्मात् तस्मै। निर्बलप्रजानां भोजनदात्रे (सोमपृष्ठाय) पृषु सेचने-थक्। ऐश्वर्यस्य सेचकाय वर्धकाय, (वेधसे) मेधाविने-निघ० ३।१ (स्तोमैः) स्तुत्यकर्मभिः (विधेम) परिचरेम (अग्नये) अग्निवत्तेजस्विने राज्ञे ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    রাজপ্রজাকর্তব্যোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (উক্ষান্নায়) প্রবলদের অন্নদাতা (বশান্নায়) বশীভূত [নির্বল প্রজাদের] অন্নদাতা, (সোমপৃষ্ঠায়) ঐশ্বর্য সিঞ্চনকারী (বেধসে) বুদ্ধিমান (অগ্নয়ে) অগ্নি [সমান তেজস্বী রাজা] এর (স্তোমৈঃ) স্তুতিযোগ্য কর্মের দ্বারা (বিধেম) আমরা পূজা করি ॥৩॥

    भावार्थ

    রাজা যেমন নিজের বীরত্ব ও ধর্মীয় নীতি দ্বারা প্রজাদের উপকার করে, তেমনই প্রজাদের উচিত রাজার যোগ্য সেবা করা।।৩।। এই মন্ত্র ঋগ্বেদে আছে –৮।৪৩।১১। এবং কিছুটা আলাদাভাবে আছে অথর্ব০ ৩।২১।৬।।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (উক্ষান্নায়) বলদের দ্বারা উৎপন্ন কৃষ্যন্ন আহুতিরূপে যার প্রতি প্রদান করা হয়, (বশান্নায়) গাভী থেকে উৎপন্ন দুগ্ধান্ন যার প্রতি আহুতি রূপে প্রদান করা হয়, (সোমপৃষ্ঠায়) তথা যিনি উৎপন্ন জগতের পৃষ্ঠভূমি, সেই (বেধসে) জগদ্-বিধাতা (অগ্নয়ে) জগদগ্রণীর জন্য, (স্তোমৈঃ) সামগানের স্তুতি দ্বারা, (বিধেম) আমরা নিজেদের পরিচর্যা অর্পণ করি।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top