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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 108 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 108/ मन्त्र 2
    ऋषिः - नृमेधः देवता - इन्द्रः छन्दः - ककुबुष्णिक् सूक्तम् - सूक्त-१०८
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    त्वं हि नः॑ पि॒ता व॑सो॒ त्वं मा॒ता श॑तक्रतो ब॒भूवि॑थ। अधा॑ ते सु॒म्नमी॑महे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्वम् । हि । न॒: । पि॒ता । व॒सो॒ इति॑ । त्वम् । मा॒ता । श॒त॒क्र॒तो॒ इति॑ शतऽक्रतो । ब॒भूवि॑थ ॥ अध॑ । ते॒ । सु॒म्नम् । ई॒म॒हे॒ ॥१०८.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्वं हि नः पिता वसो त्वं माता शतक्रतो बभूविथ। अधा ते सुम्नमीमहे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    त्वम् । हि । न: । पिता । वसो इति । त्वम् । माता । शतक्रतो इति शतऽक्रतो । बभूविथ ॥ अध । ते । सुम्नम् । ईमहे ॥१०८.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 108; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    परमेश्वर की प्रार्थना का उपदेश।

    पदार्थ

    (वसो) हे बसानेवाले ! (शतक्रतो) हे सैकड़ों कर्मोंवाले ! [परमेश्वर] (त्वम्) तू (हि) ही (नः) हमारा (पिता) पिता और (त्वम्) तू ही (माता) माता (बभूविथ) हुआ है, (अध) इसलिये (ते) तेरे (सुम्नम्) सुख को (ईमहे) हम माँगते हैं ॥२॥

    भावार्थ

    परमेश्वर सदा से सब सृष्टि का पालन-पोषण करता है, हम उसीसे प्रार्थना करके पुरुषार्थ के साथ सुखी होवें ॥२॥

    टिप्पणी

    २−(त्वम्) (हि) (नः) अस्माकम् (पिता) पालकः (वसो) वासयितः (त्वम्) (माता) जननीवद् धारकः (शतक्रतो) बहुकर्मन् (बभूविथ) (अध) अनन्तरम् (ते) तव (सुम्नम्) सुखम् (ईमहे) याचामहे ॥२॥

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    विषय

    सुम्नम्

    पदार्थ

    १. हे (वसो) = सबको अपने में बसानेवाले प्रभो! (त्वम् हि) = आप ही (न: पिता) = हमारे पिता हैं, हे (शतक्रतो) = अनन्त सामर्थ्य व प्रज्ञानवाले प्रभो! (त्वम्) = आप ही (माता बभूविथ) = माता हैं, २. अत: (अधा) = अब (ते) = आपसे ही हम (सुम्नम्) = सुख को (ईमहे) = माँगते हैं।

    भावार्थ

    हे प्रभो! आप ही हमारे पिता व माता हो। आपसे ही हम सब सुखों को माँगते हैं।

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    भाषार्थ

    (वसो) हे सर्ववासी प्रभो! (त्वम्) आप (हि) निश्चय से (नः) हमारे (पिता) सच्चे पिता हैं। (शतक्रतो) हे सैकड़ों कर्मोंवाले महाप्रज्ञ! (त्वम्) आप (माता बभूविथ) हमारी माता भी हैं। (अधा) अतः (ते) आपसे (सुम्नम्) सुखों और मानसिक-प्रसन्नता की (ईमहे) हम याचना करते हैं।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Agni Devata

    Meaning

    O lord of infinite action, shelter home of the world and wealth of existence, you are our father, you our mother, and to you, we pray for love and peace, good will and grace.

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    Translation

    O possessor of hundred powers, O Almighty, O giver of, room to all, you are our father and you are also our mother. We wish happiness from you.

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    Translation

    O possessor of hundred powers, O Almighty, O giver of room to all, you are our father and you are also our mother. We wish happiness from you.

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    Translation

    O Powerful and much invoked God of manifold Intelligence and activity we sing the praise of Thee, the giver of wealth, grains, power, knowledge and agility. The sell-same Thou givest us high energy and valour.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २−(त्वम्) (हि) (नः) अस्माकम् (पिता) पालकः (वसो) वासयितः (त्वम्) (माता) जननीवद् धारकः (शतक्रतो) बहुकर्मन् (बभूविथ) (अध) अनन्तरम् (ते) तव (सुम्नम्) सुखम् (ईमहे) याचामहे ॥२॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    পরমেশ্বরপ্রার্থনোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (বসো) হে নিবাস প্রদানকারী! (শতক্রতো) হে শত/বহু কর্মসম্পন্ন! [পরমেশ্বর] (ত্বম্) তুমি (হি)(নঃ) আমাদের (পিতা) পিতা এবং (ত্বম্) তুমিই (মাতা) মাতা (বভূবিথ) হও, (অধ) এইজন্য (তে) তোমার (সুম্নম্) সুখকে (ঈমহে) আমরা প্রার্থনা করি॥২॥

    भावार्थ

    পরমেশ্বর সর্বদাই সমস্ত সৃষ্টির পালন-পোষণ করেন, আমরা তাঁরই প্রার্থনা করে পুরুষার্থপূর্বক সুখী হই ॥২॥

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    भाषार्थ

    (বসো) হে সর্ববাসী প্রভু! (ত্বম্) আপনি (হি) নিশ্চিতরূপে (নঃ) আমাদের (পিতা) পিতা। (শতক্রতো) হে শত কর্মযুক্ত মহাপ্রজ্ঞ! (ত্বম্) আপনি (মাতা বভূবিথ) আমাদের মাতাও। (অধা) অতঃ (তে) আপনার প্রতি (সুম্নম্) সুখ এবং মানসিক-প্রসন্নতা (ঈমহে) আমরা যাচনা করি।

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