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अथर्ववेद के काण्ड - 6 के सूक्त 60 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 60/ मन्त्र 2
    ऋषिः - अथर्वा देवता - अर्यमा छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - पतिलाभ सूक्त
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    अश्र॑मदि॒यम॑र्यमन्न॒न्यासां॒ सम॑नं य॒ती। अ॒ङ्गो न्वर्यमन्न॒स्या अ॒न्याः सम॑न॒माय॑ति ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अश्र॑मत् । इ॒यम् । अ॒र्य॒म॒न् । अ॒न्यासा॑म् । सम॑नम् । य॒ती । अ॒ङ्गो इति॑ । नु । अ॒र्य॒म॒न् । अ॒स्या: । अ॒न्या: । सम॑नम् । आ॒ऽअय॑ति ॥६०.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अश्रमदियमर्यमन्नन्यासां समनं यती। अङ्गो न्वर्यमन्नस्या अन्याः समनमायति ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अश्रमत् । इयम् । अर्यमन् । अन्यासाम् । समनम् । यती । अङ्गो इति । नु । अर्यमन् । अस्या: । अन्या: । समनम् । आऽअयति ॥६०.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 6; सूक्त » 60; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    गृहस्थ आश्रम में प्रवेश का उपदेश।

    पदार्थ

    (अर्यमन्) हे शत्रुनाशक परमेश्वर ! (अन्यासाम्) दूसरी कन्याओं के (समनम्) विवाह में (यती) जाती हुई (इयम्) इस कन्या ने (अश्रमत्) तप किया है। (अङ्गो) हे (अर्यमन्) न्यायकारी परमेश्वर ! (अन्याः) दूसरी कन्यायें (अस्याः) इस कन्या के (समनम्) विवाह में (नु) अवश्य (आयति) आवें ॥२॥

    भावार्थ

    जैसे यह कन्या अन्य कन्याओं के विवाहसंस्कार में मिलती रही है, वैसे ही अन्य कन्यायें इसके विवाह में आकर शोभा बढ़ावें ॥२॥

    टिप्पणी

    २−(अश्रमत्) श्रमु तपसि खेदे च। अतपत् तपश्चर्य्यो कृतवती (इयम्) पुरोवर्तिनी (अर्यमन्) हे न्यायकारिन् परमेश्वर (अन्यासाम्) कन्यानाम् (समनम्) सम्+अन प्राणने−अच्। यद्वा। स+मनु ज्ञाने−अच्। समनाः समनसः। समनं समननाद्वा सम्माननाद्वा−निरु० ७।१७। समनं संग्रामनाम−निघ० २।१७। विवाहोत्सवम्। संग्रामम् (यती) गच्छन्ती (अङ्गो) आभिमुख्यकरणे (नु) क्षिप्रम् (अर्यमन्) (अस्याः) कन्यायाः (अन्याः) कन्याः (समनम्) (आयति) अय गतौ, एकवचनं छान्दसम्। आयन्ति। आगच्छन्ति ॥

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    विषय

    समनं यती

    पदार्थ

    १. हे (अर्यमन्) = सूर्यवत् दीप्तज्ञानवाले कन्या-पितः ! (इयम्) = यह आपकी कन्या (अन्यासाम्) = अपनी अन्य सहेलियों के (समनं यती) = [समनं संमननात् संमानाद्वा-निरु० ७.४.३] सम्मानवाले प्रसङ्गों में-पति-मिलाप के अवसरों पर-विवाहोत्सवों में जाती हुई (अश्रमत्) = थक गई है। २. हे (अर्यमन्) = काम-क्रोध के नियन्ता कन्या-पित: ! (नु) = अब (अङ्ग उ) = शीघ्र ही ऐसी व्यवस्था करो कि (अन्या:) = इसकी अन्य सहेलियाँ (अस्याः समनम् आयति) = [आयन्ति] इसके विवाहोत्सव में पति-मिलन प्रसङ्गों में उपस्थित हों।

    भावार्थ

    युवति कन्या जब अपनी सहेलियों के विवाहोत्सव में सम्मिलित होती है तो उसकी भी पति-प्राप्सि' की कामना होना स्वाभाविक है, अत: पिता को अपने कर्तव्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

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    भाषार्थ

    (अर्यमन्) हे न्यायकारी परमेश्वर ! (इयम्) यह कन्या (अन्यासाम्) अन्य कन्याओं के (समनम्) सामाजिक जीवन सम्बन्धी विवाह में (यती) जानी हुई (अश्रमत्) खिन्न हो गई है, (अङ्ग उ) हे (अर्यमन्) न्यायकारी परमेश्वर ! (नु) निश्चय से (अन्याः) अन्य विवाहित स्त्रियां (अस्याः) इस कन्या के (समनम्) सामाजिक जीवन सम्बन्धी विवाह में (आ अयति) आएंगी।

    टिप्पणी

    [अश्रमत् = श्रमु तपसि खेदे च (दिवादिः)। समनम्= सम् + अन प्राणने (अदादिः)]।

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    विषय

    कन्यादान और स्वयंवर।

    भावार्थ

    (अर्यमन्) हे कन्या के दान करने हारे ! उसके पिता आता आदि पुरुष ! (इयम्) यह कन्या (अन्यासाम्) अन्य अपनी सुखी, बहनों आदि के (समनाम्) सम्मान को (यती) प्राप्त करती हुई (अश्रमत्) विद्या आदि के अभ्यास और ब्रह्मचर्य व्रतपालन में श्रम करती रही है। (अङ्ग उ) हे (अर्यमन्) अर्यमन् ! कन्यादातः ! (अन्याः) और अन्य सखियां भी (अस्याः) इसके (समनम्) संमान को (आयति) प्राप्त होती हैं। अथवा—(इयम् अन्यासां समनं यती अश्रमत्) यह अन्यों के समन = पति संगमन, पति मिलाप के अवसर पर जाती रहे और अब (अन्याः अस्या समनम् आयति) अन्य सखियां इसके पति-लाभ के अवसर पर आवें।

    टिप्पणी

    समनं, संमननात् सम्माननाद्वा। निरु० अ० ७। ४। ३॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। अर्यमा देवता। अनुष्टुभः। तृचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Marriage

    Meaning

    O Aryaman, going to the wedding of other girls, this virgin has waited and consciously prepared herself for marriage. Therefore, O Aryaman, dear, let others too come and join the wedding of this virgin.

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    Translation

    O match-maker, this maiden has got tired going to wedding- gatherings of other girls. Now, O dear match-maker, let other girls come to the wedding ceremony of this maiden.

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    Translation

    O Aryaman! this girl hath toiled much in her attainments having gained the respect of her other girl-friends, O Aryaman! other girls also attain her respect.

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    Translation

    O relatives of the girl, she has toiled hard, in going to others marriages. Now in her wedding, O relatives, her other female companions should come!

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २−(अश्रमत्) श्रमु तपसि खेदे च। अतपत् तपश्चर्य्यो कृतवती (इयम्) पुरोवर्तिनी (अर्यमन्) हे न्यायकारिन् परमेश्वर (अन्यासाम्) कन्यानाम् (समनम्) सम्+अन प्राणने−अच्। यद्वा। स+मनु ज्ञाने−अच्। समनाः समनसः। समनं समननाद्वा सम्माननाद्वा−निरु० ७।१७। समनं संग्रामनाम−निघ० २।१७। विवाहोत्सवम्। संग्रामम् (यती) गच्छन्ती (अङ्गो) आभिमुख्यकरणे (नु) क्षिप्रम् (अर्यमन्) (अस्याः) कन्यायाः (अन्याः) कन्याः (समनम्) (आयति) अय गतौ, एकवचनं छान्दसम्। आयन्ति। आगच्छन्ति ॥

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