Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 190
ऋषिः - वामदेवो गौतमः
देवता - इन्द्रः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम - ऐन्द्रं काण्डम्
1
क꣢ इ꣣मं꣡ नाहु꣢꣯षी꣣ष्वा꣢꣫ इन्द्र꣣ꣳ सो꣡म꣢स्य तर्पयात् । स꣢ नो꣣ व꣢सू꣣न्या꣡ भ꣢रात् ॥१९०
स्वर सहित पद पाठकः꣢ । इ꣣म꣢म् । ना꣡हु꣢꣯षीषु । आ । इ꣡न्द्र꣢꣯म् । सो꣡म꣢꣯स्य । त꣣र्पयात् । सः꣢ । नः꣣ । व꣡सू꣢꣯नि । आ । भ꣣रात् ॥१९०॥
स्वर रहित मन्त्र
क इमं नाहुषीष्वा इन्द्रꣳ सोमस्य तर्पयात् । स नो वसून्या भरात् ॥१९०
स्वर रहित पद पाठ
कः । इमम् । नाहुषीषु । आ । इन्द्रम् । सोमस्य । तर्पयात् । सः । नः । वसूनि । आ । भरात् ॥१९०॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 190
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 2; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » 5; मन्त्र » 6
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 2; खण्ड » 8;
Acknowledgment
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 2; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » 5; मन्त्र » 6
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 2; खण्ड » 8;
Acknowledgment
Mazmoon - بھگتی کی بھینٹ سے پَرسن ہو بھگوان جھولی بھر دیتے ہیں!
Lafzi Maana -
(ناہُشی شُو) کرم کے بندھنوں میں جکڑی ہوئی پرجاؤں میں (کاہ) کون سا ایسا بھگت اُپاسک ہے جو کہ (اِمم اِندرم) اس پرمیشور کو (سومیہ) بھگتی رس بھینٹوں کے ذریعہ (ترپیات) تِرپت کر دیتا ہے، اپنے پر خوش کر دیتا ہے۔ جس سے پرسّن ہو کر (سہ نہ وسونی آبھرت) وہ بھگوان ہمیں کثرتِ زر و مال سے بھر دیتا ہے۔
Tashree -
کون ہے وہ خوش نصیب بھینٹ بھگتی کرتا جو؟ اور اِس سے خُوش پربُھو عابد کی جھولی بھرتا ہو؟
इस भाष्य को एडिट करें