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सामवेद के मन्त्र

सामवेद - मन्त्रसंख्या 194
ऋषिः - प्रगाथः काण्वः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः काण्ड नाम - ऐन्द्रं काण्डम्
1

उ꣡त्त्वा꣢ मन्दन्तु꣣ सो꣡माः꣢ कृणु꣣ष्व꣡ राधो꣢꣯ अद्रिवः । अ꣡व꣢ ब्रह्म꣣द्वि꣡षो꣢ जहि ॥१९४॥

स्वर सहित पद पाठ

उ꣢त् । त्वा꣣ । मन्दन्तु । सो꣡माः꣢꣯ । कृ꣣णुष्व꣢ । रा꣡धः꣢꣯ । अ꣣द्रिवः । अ । द्रिवः । अ꣡व꣢꣯ । ब्र꣣ह्मद्वि꣡षः꣢ । ब्र꣣ह्म । द्वि꣡षः꣢꣯ । ज꣣हिः ॥१९४॥


स्वर रहित मन्त्र

उत्त्वा मन्दन्तु सोमाः कृणुष्व राधो अद्रिवः । अव ब्रह्मद्विषो जहि ॥१९४॥


स्वर रहित पद पाठ

उत् । त्वा । मन्दन्तु । सोमाः । कृणुष्व । राधः । अद्रिवः । अ । द्रिवः । अव । ब्रह्मद्विषः । ब्रह्म । द्विषः । जहिः ॥१९४॥

सामवेद - मन्त्र संख्या : 194
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 3; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » 1; मन्त्र » 1
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 2; खण्ड » 9;
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पदार्थ -

प्रभु 'प्रगाथ काण्व' से कहते हैं कि यदि तुझे सचमुच प्रकृष्ट गायन करनेवाला बनना है, यदि तुझे सचमुच काण्व मेधावी बनना है तो तू निम्न तीन बातों का ध्यान कर। मेरा सच्चा गायन व कीर्तन यही होगा कि तू मेरे इन आदेशों को अपने जीवन का अङ्ग बनाए- इसी में बुद्धिमत्ता है, यही तेरी क्रियात्मक भक्ति होगी।

पहली बात यह कि (त्वा) = तुझे (सोमः) = सोम के कण-शक्ति के बिन्दु (उत् मन्दन्तु) = उत्कृष्ट हर्ष प्राप्त करानेवाले हों। शक्ति के अभाव में मनुष्य का जीवन बड़ा हीन [ depresed ] - सा बना रहता है। शक्ति के ये कण सुरक्षित होकर जीवन में एक अद्भुत मस्ती देनेवाले होते हैं। नि:शक्त का जीवन निरानन्द व चिड़चिड़ा होता है।

प्रभु का दूसरा उपदेश यह है कि हे (अद्रिवः)=[अ+दृ-not to be torn away] चट्टान के समान दृढ़ जीव [as firm as rock]! तू (राधः कृणुष्व) = सिद्धि का सम्पादन कर। समय-समय पर होनेवाली असफलताएँ तुझे व्याकुल न कर दें, तेरा धैर्य स्थिर रहे और तू अध्यवसाय के द्वारा सफलता को प्राप्त करनेवाला बन ।

प्रभु का तीसरा कथन यह है कि (ब्रह्मद्विष:)- ज्ञान के साथ अप्रीति की भावनाओं को तू (अवजहि)=अपने से दूर करके नष्ट कर दे। ज्ञान तेरे लिए सदा रुचिकर हो, ज्ञान का तुझे व्यसन ही लग जाए। यह व्यसन तुझे संसार में अन्य व्यसनों से बचानेवाला सिद्ध होगा। 

भावार्थ -

मनुष्य का जीवन सोमपान के द्वारा उत्कृष्ट मदवाला हो । वह सदा दृढ़तापूर्वक सफलता की ओर बढ़े तथा ज्ञान की रुचिवाला बने ।

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