Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 70

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 70/ मन्त्र 1
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - इन्द्रः, सूर्यः छन्दः - त्रिपदा गायत्री सूक्तम् - पूर्णायु सूक्त

    इन्द्र॒ जीव॒ सूर्य॒ जीव॒ देवा॒ जीवा॑ जी॒व्यास॑म॒हम्। सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्र॑। जीव॑। सूर्य॑। जीव॑। देवाः॑। जीवाः॑। जी॒व्यास॑म्। अ॒हम्। सर्व॑म्। आयुः॑। जी॒व्या॒स॒म् ॥७०.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्र जीव सूर्य जीव देवा जीवा जीव्यासमहम्। सर्वमायुर्जीव्यासम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्र। जीव। सूर्य। जीव। देवाः। जीवाः। जीव्यासम्। अहम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥७०.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 70; मन्त्र » 1

    पदार्थ -
    भावार्थ-हम 'इन्द्र, सूर्य व देव' बनकर पूर्णजीवन प्राप्त करें। इन्द्रियाँ हमारे वश में हों। हमारा मस्तिष्क ज्ञान-सूर्य से चमके। हमारा मन दिव्यवृत्तिवाला हो।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top