साइडबार
ऋग्वेद - मण्डल 5/ सूक्त 70/ मन्त्र 2
ऋषिः - उरूचक्रिरात्रेयः
देवता - मित्रावरुणौ
छन्दः - विराट्त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
ता वां॑ स॒म्यग॑द्रुह्वा॒णेष॑मश्याम॒ धाय॑से। व॒यं ते रु॑द्रा स्याम ॥२॥
स्वर सहित पद पाठता । वा॒म् । स॒म्यक् । अ॒द्रु॒ह्वा॒णा॒ । इष॑म् । अ॒श्या॒म॒ । धाय॑से । व॒यम् । ते । रु॒द्रा॒ । स्या॒म॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
ता वां सम्यगद्रुह्वाणेषमश्याम धायसे। वयं ते रुद्रा स्याम ॥२॥
स्वर रहित पद पाठता। वाम्। सम्यक्। अद्रुह्वाणा। इषम्। अश्याम। धायसे। वयम्। ते। रुद्रा। स्याम ॥२॥
ऋग्वेद - मण्डल » 5; सूक्त » 70; मन्त्र » 2
अष्टक » 4; अध्याय » 4; वर्ग » 8; मन्त्र » 2
Acknowledgment
अष्टक » 4; अध्याय » 4; वर्ग » 8; मन्त्र » 2
Acknowledgment
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
अन्वयः
हे अद्रुह्वाणा रुद्रा ! वयं वां धायस इष सम्यगश्याम ते वयं ता सेवन्तः सर्वस्य धायसे स्याम ॥२॥
पदार्थः
(ता) तौ (वाम्) युवयोः (सम्यक्) (अद्रुह्वाणा) द्रोहरहितौ (इषम्) अन्नं विज्ञानं वा (अश्याम) प्राप्नुयाम (धायसे) धर्त्तुम् (वयम्) (ते) (रुद्रा) रुतो रोदनाद्रावयितारौ (स्याम) भवेम ॥२॥
भावार्थः
तावेवाध्यापकोपदेशकौ कृतक्रियौ भवतां यौ क्रोधलोभादिविरहौ स्यातां ये ताभ्यामधीयते ते विद्याधारणे प्रयतमानाः स्युः ॥२॥
हिन्दी (3)
विषय
फिर उसी विषय को कहते हैं ॥
पदार्थ
हे (अद्रुह्वाणा) द्वेष से रहित (रुद्रा) रोदन से शब्द करानेवाले ! (वयम्) हम लोग (वाम्) आप दोनों के (धायसे) धारण करने को (इषम्) अन्न वा विज्ञान को (सम्यक्) उत्तम प्रकार (अश्याम) प्राप्त होवें (ते) वे हम लोग (ता) उन दोनों का सेवन करते हुए सब के धारण करने को (स्याम) होवें ॥२॥
भावार्थ
वे ही अध्यापक और उपदेशक कृतक्रिय होवें, जो क्रोध और लोभ आदि दोषों से रहित होवें और जो उनसे पढ़ते हैं, वे विद्या के धारण में प्रयत्न करते हुए होवें ॥२॥
विषय
सभा सेनाध्यक्षों के कर्त्तव्य । उनके गुण ।
भावार्थ
भा०- ( ते वयम् ) वे हम लोग (अद्रुह्वाणा ) कभी द्रोह न करने वाले, ( रुद्रा ) दुष्टों को रुलाने वाले, और दुःख से बचाने वाले वा रोते हुए आदमियों द्वारा शरण रूप में प्राप्त करने योग्य ( ता वां ) उन आप दोनों के ( इषम् ) शासन को हम अपने ( धायसे) पोषण और रक्षा के लिये अन्नवत् ( अश्याम ) उपभोग करें ।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
उरुचक्रिरात्रेय ऋषिः ॥ मित्रावरुणे देवते ॥ गायत्री छन्दः ॥ चतुर्ऋचं सूक्तम् ॥
विषय
अद्रुह्वाणा- रुद्रा
पदार्थ
[१] हे (मित्र वरुण) = स्नेह व निर्देषता की देवताओ ! (ता वाम्) = वे आप दोनों (सम्यक्) = पूर्णतया (अद्रुह्वाणा) = अद्रोग्धा हैं, द्रोह न करनेवाले हैं। आपकी उपासना मुझे सब हिंसनों से बचाती है। [२] आपके द्वारा प्रसन्न हृदय में हम धायसे धारण के लिये (इषं अश्याम) = प्रभु की प्रेरणा को प्राप्त करें। यह प्रभु प्रेरणा हमें मार्ग दिखाये । हे (रुद्रा) = प्रभु प्रेरणा को प्राप्त कराने के द्वारा सब [रुत्] रोगों के [द्रावयितारौ] भगानेवाले प्राणापानो ! (वयम्) = हम (ते) = [तब] आपके (स्याम) = हों। हम सदा रोगों को दूर रखनेवाले हों। वस्तुतः मार्ग पर चलनेवाला व्यक्ति स्वस्थ बनता ही है।
भावार्थ
भावार्थ- मित्र और वरुण द्रोहशून्य हैं। ये सब रोगों के दूर करनेवाले हैं।
मराठी (1)
भावार्थ
जे क्रोध, लोभ इत्यादी रहित असतात व जे त्यांच्याकडून शिकण्याचा प्रयत्न करतात तेच अध्यापक व उपदेशक कृतक्रिय असतात. ॥ २ ॥
इंग्लिश (2)
Meaning
O Mitra and Varuna, Loving friends of justice and rectitude, free from hate and jealousy and destroyers of violence and injustice, may we receive, we pray, that energy and sustenance, that protection, guidance and wisdom of yours so that we may internalise it and pursue it in our life and conduct.
Subject [विषय - स्वामी दयानन्द]
The men's duties are stated.
Translation [अन्वय - स्वामी दयानन्द]
O benignant teachers and preachers! you are free from malice and are removers from or eradicators of grief. May we attain food and knowledge to uphold you. While erving you, may we become upholders or sustainers of all.
Commentator's Notes [पदार्थ - स्वामी दयानन्द]
N/A
Purport [भावार्थ - स्वामी दयानन्द]
Those teachers and preachers are blessed and successful who are devoid of anger, greed and other evils. Those who learn from them, let them be always industrious to receive and retain that knowledge.
Foot Notes
(इषम् ) अन्नं विज्ञानं वा । इषमिति अन्ननाम (NG 2, 7) इष-गतौ ( दिवा० ) । गते स्त्रिष्वर्थेष्वत्र ज्ञानार्थंग्रहणम्। = Food or knowledge. (रुद्रा) सतो रोदनाद् द्रावयितारो |= Removers from or eliminators of grief.
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal