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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 35 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 35/ मन्त्र 4
    ऋषिः - अङ्गिराः देवता - जङ्गिडो वनस्पतिः छन्दः - निचृत्त्रिष्टुप् सूक्तम् - जङ्गिड सूक्त
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    परि॑ मा दि॒वः परि॑ मा पृथि॒व्याः पर्य॒न्तरि॑क्षा॒त्परि॑ मा वी॒रुद्भ्यः॑। परि॑ मा भू॒तात्परि॑ मो॒त भव्या॑द्दि॒शोदि॑शो जङ्गि॒डः पा॑त्व॒स्मान् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    परि॑। मा॒। दि॒वः। परि॑। मा॒। पृ॒थि॒व्याः। परि॑ । अ॒न्तरि॑क्षात्। परि॑। मा॒। वी॒रुत्ऽभ्यः॑। परि॑। मा॒। भू॒तात्। परि॑। मा॒। उ॒त। भव्या॑त्। दि॒शःऽदि॑शः। ज॒ङ्गि॒डः। पा॒तु॒। अ॒स्मान् ॥३५.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    परि मा दिवः परि मा पृथिव्याः पर्यन्तरिक्षात्परि मा वीरुद्भ्यः। परि मा भूतात्परि मोत भव्याद्दिशोदिशो जङ्गिडः पात्वस्मान् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    परि। मा। दिवः। परि। मा। पृथिव्याः। परि । अन्तरिक्षात्। परि। मा। वीरुत्ऽभ्यः। परि। मा। भूतात्। परि। मा। उत। भव्यात्। दिशःऽदिशः। जङ्गिडः। पातु। अस्मान् ॥३५.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 35; मन्त्र » 4
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    सबकी रक्षा का उपदेश।

    पदार्थ

    (मा) मुझे (दिवः) सूर्य से (परि) सर्वथा, (मा) मुझे (पृथिव्याः) पृथिवी से (परि) सर्वथा, (अन्तरिक्षात्) अन्तरिक्ष से (परि) सर्वथा, (मा) मुझे (वीरुद्भ्यः) ओषधियों से (परि) सर्वथा। (मा) मुझे (भूतात्) वर्तमान से (परि) सर्वथा, (उत) और (मा) मुझे (भव्यात्) भविष्यत् से (परि) सर्वथा और (दिशोदिशः) प्रत्येक दिशा से (अस्मान्) हम सबको (जङ्गिडः) जङ्गिड [संचार करनेवाला औषध] (पातु) पाले ॥४॥

    भावार्थ

    मनुष्यों को चाहिये कि सब स्थानों और सब कालों के अनुकूल जङ्गिड औषध के सेवन से अपनी और अपने हितकारियों की रक्षा करे ॥४॥

    टिप्पणी

    ४−(परि) सर्वतः (मा) माम् (दिवः) सूर्यात् (परि) (मा) (पृथिव्याः) भूमिलोकात् (परि) (अन्तरिक्षात्) मध्यलोकात् (परि) (मा) (वीरुद्भ्यः) विरोहणशीलाभ्य ओषधिभ्यः (परि) (मा) (भूतात्) भवन्ति भूतानि यस्मिंस्तस्मात्। वर्तमानात् (परि) (मा) (उत) अपि च (भव्यात्) भविष्यतः (दिशोदिशः) सर्वदिक्सकाशात् (जङ्गिडः) (पातु) रक्षतु (अस्मान्) ॥

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    विषय

    सब ओर से रक्षण

    पदार्थ

    १. (मा) = मुझे (जङ्गिड:) = यह उपद्रवों को बाधित करनेवाला वीर्य (दिवः) = मस्तिष्करूप द्युलोक में होनेवाले उपद्रव से (परिपातु) = बचाए। इसीप्रकार (पृथिव्याः) = शरीररूप पृथिवी में होनेवाले विकार से मुझे परि [पातु]-बचाए। (अन्तरिक्षात्) = हृदयान्तरिक्ष में उत्पन्न हो जानेवाले वासना विकारों से (परि) = रक्षित करे। यह (मा) = मुझे (वीरुद्भ्यः) = भोजन के रूप में ग्रहण किये गये वनस्पतियों से हो जानेवाले विकारों से परि [पातु]-बचाए। २. यह (मा) = मुझे (भूतात्) = उत्पन्न हो चुके विकारों से (परिपातु) = बचाए (उत) = और (मा) = मझे (भव्यात्) = उत्पत्र हो जाने की आशंकावाले उपद्रवों से (परि)= बचाए। यह जंगिडमणि (अस्मान्) = हमें (दिश:दिश:) = सब दिशाओं से (पातु) = रक्षित करे।

    भावार्थ

    सुरक्षित वीर्य हमें 'मस्तिष्क, हृदय व शरीर' में सर्वत्र उत्पन्न हो जानेवाले उपद्रवों से रक्षित करता है।

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    भाषार्थ

    (जङ्गिडः) जङ्गिड औषध (मा) मेरी (परि पातु) पूर्ण रक्षा करे (दिवः) द्युलोक से; (मा) मेरी (परि) पूर्ण रक्षा करे (पृथिव्याः) पृथिवी से; (परि) पूर्ण रक्षा करे (अन्तरिक्षात्) अन्तरिक्ष से; (मा) मेरी (परि) पूर्ण रक्षा करे (वीरुद्भ्यः) वनस्पतियों से; (मा) मेरी (परि) पूर्ण रक्षा करे (भूतात्) भूत से; (उत) और (मा) मेरी (परि) पूर्ण रक्षा करे (भव्यात्) भविष्यत् से, (दिशोदिशः) प्रत्येक दिशा से (अस्मान्) हम सबकी (पातु) रक्षा करे।

    टिप्पणी

    [दिवः= सूर्य के अधिक और कम ताप के कारण होनेवाले रोगों से। पृथिव्याः= पृथिवी से उत्पन्न रोगों से, अन्तरिक्षात्=आन्धी, अवर्षा, अतिवर्षा के कारण उत्पन्न रोगों से। वीरुद्भ्यः=औषधों के विकारों और अन्यथा प्रयोगों द्वारा उत्पन्न रोगों से। भूतात्=भूतकाल में हुए अपथ्यों और कुपथ्यों से उत्पन्न रोगों से। भव्यात्= भविष्यत् में असावधानी के कारण उत्पन्न होनेवाले रोगों से, मेरी और हम सबकी पूर्ण रक्षा जङ्गिड औषध कर सकती है।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Jangida Mani

    Meaning

    May Jangida protect me, protect us all, from the solar regions, from the earth, from the middle regions, from herbs and trees, from the past, from the future, and from all directions of space and from sub-directions, and from everywhere.

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    Translation

    Me from sky, me from earth, me from midspace, me from plants, me from the present, and me from the future, from each and every quarter, may the jangida protect us all around.

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    Translation

    I, the diseased man have arrived at Durhardah, the forces maligning the hearts, the disease making the eye cruel and causing many evils. Let this Jangida which possesses thousand visions (as a medicine) destroy all these through its counter-acting powers. It is the protective force.

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    Translation

    Let Jangida completely protect me from all evils from heavens, from the atmosphere, from the earth and from the creepers. Let it thoroughly protect from the past, from the future and. from every quarter.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ४−(परि) सर्वतः (मा) माम् (दिवः) सूर्यात् (परि) (मा) (पृथिव्याः) भूमिलोकात् (परि) (अन्तरिक्षात्) मध्यलोकात् (परि) (मा) (वीरुद्भ्यः) विरोहणशीलाभ्य ओषधिभ्यः (परि) (मा) (भूतात्) भवन्ति भूतानि यस्मिंस्तस्मात्। वर्तमानात् (परि) (मा) (उत) अपि च (भव्यात्) भविष्यतः (दिशोदिशः) सर्वदिक्सकाशात् (जङ्गिडः) (पातु) रक्षतु (अस्मान्) ॥

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