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अथर्ववेद के काण्ड - 2 के सूक्त 17 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 17/ मन्त्र 3
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - प्राणः, अपानः, आयुः छन्दः - एदपदासुरीत्रिष्टुप् सूक्तम् - बल प्राप्ति सूक्त
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    बल॑मसि॒ बलं॑ दाः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    बल॑म् । अ॒सि॒ । बल॑म् । मे॒ । दा॒: । स्वाहा॑ ॥१७.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    बलमसि बलं दाः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    बलम् । असि । बलम् । मे । दा: । स्वाहा ॥१७.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 2; सूक्त » 17; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    [हे ईश्वर !] तू (बलम्) सामाजिक बल (असि) है, (मे) मुझे (बलम्) सामाजिक बल (दाः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥३॥

    भावार्थ

    परमेश्वर में सब देवता, मनुष्य आदि समाजों का बल है, ऐसा जानकर मनुष्य अपने कुटुम्बी आदि से प्रीति बढ़ाकर सामाजिक बल बढ़ावें ॥३॥

    टिप्पणी

    ३–बलम्। बल जीवने, दाने, वधे–पचाद्यच्। बलते विपक्षान् हन्तीति। सामान्यशक्तिः। सैन्यम्। सामाजिकं सामर्थ्यम् ॥

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    विषय

    बल

    पदार्थ

    १. प्रभो ! (बलम् असि) = आप बलस्वरूप हैं। (मे) = मेरे लिए (बलं दा:) = बल प्रदान कीजिए। (स्वाहा) = मेरी वाणी सदा यही शुभ प्रार्थना करनेवाली हो। २. सहनशक्ति मन को बलवान् बनाती है। सहन के अभाव में मनुष्य की शक्ति दग्ध हो जाती है। मनुष्य इस मानस बल के अनुपात में ही रोगादि शत्रुओं पर विजय पानेवाला होता है, अत: हम प्रभु को 'बल' के रूप में स्मरण करें और उससे बल की याचना करें।

    भावार्थ

    प्रभु 'बल' हैं। मैं भी बलवाला बनें।

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    भाषार्थ

    (बलमसि) तू बलरूप है, (मे ) मुझे (बलं दा:) बल प्रदान कर, (स्वाहा) सु आह ।

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    विषय

    ओज, सहनशीलता, बल, आयु और इन्द्रियों की प्रार्थना।

    भावार्थ

    (बलम् असि) हे परमात्मन् ! आप बलस्वरूप हैं, आप (मे बलं दाः) मुझे बल दें। (स्वाहा) यह उत्तम प्रार्थना है।

    टिप्पणी

    ‘बलदा अग्निर्बल मे धाः स्वाहा’ इति मैप्प० सं०।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ब्रह्मा ऋषिः । प्राणापानौ वायुश्च देवताः । १-६ एकावसाना आसुर्यस्त्रिष्टुभः । ७ आसुरी उष्णिक् । सप्तर्चं सूक्तम् ॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Elan Vital at the Full

    Meaning

    You are the strength of life. Give me strength of body, mind and soul. This is the voice of truth in faith.

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    Translation

    You are strength (balam). May you bestow strength on me. Svāhā.

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    Translation

    O God! Thou art strength, give me strength. What a beautiful utterance.

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    Translation

    O God, strength art Thou, give me strength! This is my humble prayer.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३–बलम्। बल जीवने, दाने, वधे–पचाद्यच्। बलते विपक्षान् हन्तीति। सामान्यशक्तिः। सैन्यम्। सामाजिकं सामर्थ्यम् ॥

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    बंगाली (2)

    भाषार्थ

    (বলমসি) তুমি বলরূপ, (মে) আমাকে (বলং দাঃ) বল প্রদান করো, (স্বাহা) সু আহ।

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    मन्त्र विषय

    আয়ুর্বর্ধনায়োপদেশঃ

    भाषार्थ

    [হে ঈশ্বর !] তুমি (বলম্) সামাজিক বল (অসি) হও, (মে) আমাকে (বলম্) সামাজিক বল (দাঃ) প্রদান করো, (স্বাহা) এই সুন্দর আশীর্বাদ হোক ॥৩॥

    भावार्थ

    পরমেশ্বরের মধ্যে সকল দেবতা, মনুষ্য আদি সমাজের বল বিদ্যমান, এমনটা জেনে মনুষ্য নিজের আত্মীয়ের সাথে প্রীতি বৃদ্ধি করে সামাজিক বল বৃদ্ধি করুক ॥৩॥

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