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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 93 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 93/ मन्त्र 3
    ऋषिः - प्रगाथः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-९३
    2

    त्वमी॑शिषे सु॒ताना॒मिन्द्र॒ त्वमसु॑तानाम्। त्वं राजा॒ जना॑नाम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्वम् । ई॒षि॒षे॒ । सु॒तानाम्॑ । इन्द्र॑ । त्वम् । असु॑तानाम् ॥ त्वम् । राजा॑ । जना॑नाम् ॥९३.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्वमीशिषे सुतानामिन्द्र त्वमसुतानाम्। त्वं राजा जनानाम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    त्वम् । ईषिषे । सुतानाम् । इन्द्र । त्वम् । असुतानाम् ॥ त्वम् । राजा । जनानाम् ॥९३.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 93; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    परमेश्वर की उपासना का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्र) हे इन्द्र ! [परमेश्वर] (त्वम्) तू (सुतानाम्) उत्पन्न हुए पदार्थों का, और (त्वम्) तू (असुतानाम्) न उत्पन्न हुए [परमाणुरूप] पदार्थों का (ईशिषे) स्वामी है, (त्वम्) तू (जनानाम्) उत्पन्न होनेवालों का (राजा) राजा है ॥३॥

    भावार्थ

    परमेश्वर ही परमाणुओं के संयोग-वियोग से भूत, भविष्यत् और वर्तमान सृष्टि का स्वामी है ॥३॥

    टिप्पणी

    ३−(त्वम्) (ईशिषे) ईश्वरो भवसि (सुतानाम्) उत्पन्नानां पदार्थानाम् (इन्द्र) हे परमेश्वर (त्वम्) (असुतानाम्) अनुत्पन्नानां परमाणुरूपपदार्थानाम् (त्वम्) (राजा) (जनानाम्) जनिष्यमाणानाम् ॥

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    विषय

    सबका 'ईश' प्रभु

    पदार्थ

    १. हे (इन्द्र) = परमैश्वर्यशालिन् प्रभो! (त्वम्) = आप (सुतानाम्) = कर्मानुसार उस-उस शरीर को ग्रहण करनेवाले-जन्म-धारण करनेवाले लोगों के इशिवे-ईश हैं। (त्वम्) = आप ही असतानाम् शरीर न धारण करनेवाले-जन्म न धारण करनेवाले मुक्त पुरुषों के भी ईश हैं। २. (त्वम्) = आप ही (जनानाम्) = सब जन्मधारियों के (राजा) = व्यवस्थापक-कर्मानुसार फल देनेवाले हैं।

    भावार्थ

    प्रभु सभी के ईश हैं-चाहे वे जन्म लिये हुए हों, चाहे मुक्त हों। सबको कर्मानुसार जन्म देनेवाले प्रभु ही हैं।

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    भाषार्थ

    (इन्द्र) हे परमेश्वर! (त्वम्) आप (सुतानाम्) उत्पन्न सब पदार्थों के (ईशिषे) अधीश्वर हैं, (त्वम्) आप (असुतानाम्) उन पदार्थों के भी अधीश्वर हैं जो अभी उत्पन्न नहीं हुए, और भविष्य में उत्पन्न होंगे, या जो नित्य हैं। (त्वम्) आप (जनानाम्) सब जनों के (राजा) राजा है।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Brhaspati Devata

    Meaning

    You rule over the creative and cooperative men of positive action. You rule over the uncreative and destructive men of negative action as well. Indra, you are the ruler, the ultimate ordainer of good and evil both.

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    Translation

    O Almighty God, you are the Sovereign of the people and rules over those things which are produced and also the things which are not produced or created but eternal.

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    Translation

    O Almighty God, you are the Sovereign of the people and rules over those things which are produced and also the things which are not produced or created but eternal.

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    Translation

    Taking shelter under Him, putting forth their best efforts, and singing the praises of the most powerful Lord of fortune, the people attain to Him, reveled in their hearts.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३−(त्वम्) (ईशिषे) ईश्वरो भवसि (सुतानाम्) उत्पन्नानां पदार्थानाम् (इन्द्र) हे परमेश्वर (त्वम्) (असुतानाम्) अनुत्पन्नानां परमाणुरूपपदार्थानाम् (त्वम्) (राजा) (जनानाम्) जनिष्यमाणानाम् ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    পরমেশ্বরোপাসনোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে ইন্দ্র ! [পরমেশ্বর] (ত্বম্) তুমি (সুতানাম্) জাত/উৎপন্ন পদার্থ সমূহের এবং (ত্বম্) তুমি (অসুতানাম্) অনুৎপন্ন/অ-জাত [পরমাণুরূপ] পদার্থ-সমূহের (ঈশিষে) স্বামী, (ত্বম্) তুমি (জনানাম্) ভবিষ্যতে উৎপন্ন হবে তাদেরও (রাজা) রাজা ॥৩॥

    भावार्थ

    পরমেশ্বরই পরমাণু-সমূহের সংযোগ-বিয়োগে উৎপন্ন ভূত, ভবিষ্যৎ এবং বর্তমান সৃষ্টির স্বামী ॥৩॥

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    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে পরমেশ্বর! (ত্বম্) আপনি (সুতানাম্) উৎপন্ন সকল পদার্থ-সমূহের (ঈশিষে) অধীশ্বর, (ত্বম্) আপনি (অসুতানাম্) সেই পদার্থ-সমূহেরও অধীশ্বর যা এখনও উৎপন্ন হয়নি, এবং ভবিষ্যতে উৎপন্ন হবে, বা যা নিত্য। (ত্বম্) আপনি (জনানাম্) সকল জনমানবের (রাজা) রাজা।

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