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अथर्ववेद के काण्ड - 3 के सूक्त 5 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 5/ मन्त्र 7
    ऋषिः - अथर्वा देवता - सोमः, पर्णमणिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - राजा ओर राजकृत सूक्त
    1

    ये राजा॑नो राज॒कृतः॑ सू॒ता ग्रा॑म॒ण्य॑श्च॒ ये। उ॑प॒स्तीन्प॑र्ण॒ मह्यं॒ त्वं सर्वा॑न्कृण्व॒भितो॒ जना॑न् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ये । राजा॑न: । रा॒ज॒ऽकृत॑: । सू॒ता: । ग्रा॒म॒ण्या᳡: । च॒ । ये । उ॒प॒ऽस्तीन् । प॒र्ण॒ । मह्य॑म् । त्वम् । सर्वा॑न् । कृ॒णु॒ । अ॒भित॑: । जना॑न् ॥५.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ये राजानो राजकृतः सूता ग्रामण्यश्च ये। उपस्तीन्पर्ण मह्यं त्वं सर्वान्कृण्वभितो जनान् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ये । राजान: । राजऽकृत: । सूता: । ग्रामण्या: । च । ये । उपऽस्तीन् । पर्ण । मह्यम् । त्वम् । सर्वान् । कृणु । अभित: । जनान् ॥५.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 3; सूक्त » 5; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    तेज, बल, आयु, धनादि बढ़ाने का उपदेश।

    पदार्थ

    (ये) जो (राजानः) ऐश्वर्यवाले (राजकृतः) राजाओं के बनानेवाले, (च) और (ये) जो (सूताः) सर्वप्रेरक, (ग्रामण्यः) ग्रामों के नेता लोग हैं। (पर्ण) हे पालन करनेवाले परमेश्वर ! (त्वम्) तू (मह्यम्) मेरेलिए (सर्वान्) उन सब (जनान्) जनों को (अभितः) चारों ओर से (उपस्तीन्) समीपवर्ती (कृणु) कर ॥७॥

    भावार्थ

    चक्रवर्ती राजा सबके राजाधिराज परमेश्वर का ध्यान करता हुआ अपने हितकारी माण्डलिक राजाओं और अन्य प्रधान पुरुषों को यथोचित व्यवहार से अपना इष्ट मित्र बनाये रक्खे ॥७॥

    टिप्पणी

    ७−(ये)। हितकारिणः। (राजानः)। राजृ दीप्तौ, ऐश्ये च-कनिन्। दीप्यमानाः। ऐश्वर्यवन्तः। (राजकृतः)। राजन्+कृञ् करणे-क्विप्, तुक् च। राज्ञां कर्तारः, अभिषेचकाः। (सूताः)। षू प्रेरणे, ऐश्वर्ये, प्रसवे च-क्त। प्रेरकाः। ऐश्वर्यवन्तः। सूर्याः, सूर्यवत्तेजस्विनः। (ग्रामण्यः)। ग्राम+णीञ् प्रापणे-क्विप्। ग्रामं संवसथं तत्रत्यान् जनान् नयतीति ग्रामणीः। प्रधानाः। अधिपतयः। अन्यद् व्याख्यातं म० ६ ॥

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    विषय

    राजा, राजकृत, सूत व ग्रामणी [क्षत्रियवर्ग का प्रिय बनूँ]

    पदार्थ

    १.हे (पर्ण) = पालन व पूरण करनेवाली मणे! (त्वम्) = तू (मह्यम्) = मेरे लिए (सर्वान्) = सब (जनान्) = लोगों को (अभितः) = सब ओर से (उपस्तीन) = उपासक (कृणु) = कर। सोमरक्षण करता हुआ मैं इन सबका प्रिय बनूं। २. (ये) = जो (राजानः) = राजा हैं व (राजकृतः) = राजाओं को बनानेवाले हैं (च) = और (ये) = जो (सूता:) = प्रेरणा देनेवाले हैं (ग्रामण्यः) = ग्राम-प्रमुख हैं, सोमरक्षण करता हुआ मैं इन सबका प्रिय बने।

    भावार्थ

    सोमरक्षण के द्वारा मैं सब क्षत्रियवर्ग का भी प्रिय बनूं। सोमरक्षण मुझे भी उत्तम राजा, राजकृत, सूत व ग्रामीण बनाये।

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    भाषार्थ

    (वे) जो (राजानः) राजा हैं, (राजा कृतः) तथा [निर्वाचन द्वारा] राजाओं को करने वाली प्रजाएं हैं, (ये) जो (सुताः) प्रजाओं के प्रेरक नेता, (च) और (ग्रामण्यः) ग्रामों के नेता हैं, (सर्वान् तान्) आदि पूर्ववत् [मन्त्र ६।]

    टिप्पणी

    [राजकृतः यथा "विशस्त्त्वा सर्वा वाच्छन्तु मा त्वद्राष्ट्रमधिभ्रशत्" (अथर्व० ६।८७।१); तथा सूक्त (८६-८८)।]

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    विषय

    ‘पर्णमणि’ के रूप में प्रधान पुरुषों का वर्णन ।

    भावार्थ

    राजमन्त्री का एक कार्य और बतलाते हैं—हे (पर्ण) राष्ट्रपालक मन्त्रिन् ! (ये) जो (राजानः) अन्य राजा, सामन्तगण और (राजकृतः) राजाओं को बनाने हारे, उनके पुरोहितगण, मन्त्रिगण हैं और (ये) जो (सूताः) रथों और राजाओं के उत्तम संचालक ओर (ग्रामण्यः) ग्राम के प्रधान नेता पुरुष हों उन (सर्वान्) सब (जनान्) उत्तम पुरुषों को (मह्यम्) मेरे (उपस्तीन्) समीप उपस्थित (कृणु) कर ।

    टिप्पणी

    (तृ० च०) ‘उपास्तिरस्तु वैश्य उत शूद्र उताये’ इति पैप्प सं० ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः । सोमो देवता । पुरोनुष्टुप् । त्रिष्टुप् । विराड् उरोबृहती । २-७ अनुष्टुभः । अष्टर्चं सूक्तम् ॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    The Makers of Men and Rashtra

    Meaning

    O Soma jewel of life divine, let all those who are rulers in their department, electors and makers of rulers, media men, and village and community leaders be around close to me for state business.

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    Translation

    Those who are Chieftains, the king-makers, and those who are village-leaders, full of initiative, O Parga drug-tablet, may you gather all of them around me willing to serve.

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    Translation

    Let this Parnamanih make me strong to have in my side all those men who are the kings and makers of the kings, who are the troop leaders and who are the guards of horse.

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    Translation

    The kings and makers of the kings, the charioteers and village leaders,O Minister, make all these men come round near me.

    Footnote

    The king should have friendly relations with the kings of neighbouring states, the priests and nobles who elect a king, and the charioteers in his state.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ७−(ये)। हितकारिणः। (राजानः)। राजृ दीप्तौ, ऐश्ये च-कनिन्। दीप्यमानाः। ऐश्वर्यवन्तः। (राजकृतः)। राजन्+कृञ् करणे-क्विप्, तुक् च। राज्ञां कर्तारः, अभिषेचकाः। (सूताः)। षू प्रेरणे, ऐश्वर्ये, प्रसवे च-क्त। प्रेरकाः। ऐश्वर्यवन्तः। सूर्याः, सूर्यवत्तेजस्विनः। (ग्रामण्यः)। ग्राम+णीञ् प्रापणे-क्विप्। ग्रामं संवसथं तत्रत्यान् जनान् नयतीति ग्रामणीः। प्रधानाः। अधिपतयः। अन्यद् व्याख्यातं म० ६ ॥

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    बंगाली (2)

    भाषार्थ

    (যে) যে/যিনি (রাজানঃ) রাজা, (রাজকৃতঃ) এবং [নির্বাচন দ্বারা] রাজাদের নির্মাতা প্রজাগণ রয়েছে, (যে) যে/যারা (সূতাঃ) প্রজাদের প্রেরক নেতা, (চ) এবং (গ্রামণ্যঃ) গ্রামের নেতা রয়েছে। (পর্ণ) হে পালক সেনাপতি! (ত্বম্) তুমি এবং (সর্বান্ জনান্) অন্য সকলকে (মহ্যম্) [আমার] ভূমণ্ডল সম্রাটের জন্য (অভিতঃ) আমার অভিমুখে (উপস্তীন্) আমার সন্নিকটস্থ, বা অবস্থানকারী (কৃণু) করো।

    टिप्पणी

    [রাজকৃতঃ যথা "বিশস্ত্ত্বা সর্বা বাচ্ছন্তু মা ত্বদ্রাষ্ট্রমধিভ্রশৎ" (অথর্ব০ ৬।৮৭।১); এবং সূক্ত (৮৬-৮৮)]

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    मन्त्र विषय

    তেজোবলায়ুর্ধনাদিপুষ্ট্যুপদেশঃ

    भाषार्थ

    (যে) যে/যিনি (রাজানঃ) ঐশ্বর্যবান রাজা, (রাজকৃতঃ) রাজাদের নির্মাতা, (চ) এবং (যে) যে (সূতাঃ) সর্বপ্রেরক, (গ্রামজ্যঃ) গ্রামের নেতাগণ রয়েছে। (পণ) হে পালনকর্তা পরমেশ্বর ! (ত্বম্) তুমি (মহ্যম্) আমার জন্য (সর্বান্) সেই সকল (জনান্) লোকেদের (অভিতঃ) চারিদিক থেকে (উপস্তীন্) নিকটবর্তী (কৃণু) করো ॥৭॥

    भावार्थ

    চক্রবর্তী রাজা সকলের রাজাধিরাজ পরমেশ্বরের ধ্যান করে নিজের হিতকারী মাণ্ডলিক রাজা এবং অন্য প্রধান পুরুষদের যথোচিত আচার-ব্যবহারের মাধ্যমে নিজের ইষ্ট মিত্র করে রাখুক ॥৭॥

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