अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 128/ मन्त्र 4
ऋषिः - अथर्वाङ्गिरा
देवता - सोमः, शकधूमः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - राजा सूक्त
0
यो नो॑ भद्रा॒हमक॑रः सा॒यं नक्त॑मथो॒ दिवा॑। तस्मै॑ ते नक्षत्रराज॒ शक॑धूम॒ सदा॒ नमः॑ ॥
स्वर सहित पद पाठय: । न॒: । भ॒द्र॒ऽअ॒हम् । अक॑र: । सा॒यम् । नक्त॑म् । अथो॒ इति॑ । दिवा॑ । तस्मै॑ । ते॒ । न॒क्ष॒त्र॒ऽरा॒ज॒ । शक॑ऽधूम । सदा॑ । नम॑: ॥१२८.४॥
स्वर रहित मन्त्र
यो नो भद्राहमकरः सायं नक्तमथो दिवा। तस्मै ते नक्षत्रराज शकधूम सदा नमः ॥
स्वर रहित पद पाठय: । न: । भद्रऽअहम् । अकर: । सायम् । नक्तम् । अथो इति । दिवा । तस्मै । ते । नक्षत्रऽराज । शकऽधूम । सदा । नम: ॥१२८.४॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
आनन्द पाने का उपदेश।
पदार्थ
(यः) जिस तूने (नः) हमारे लिये (सायम्) सायंकाल में, (नक्तम्) रात्रि में (अथो) और (दिवा) दिन में (भद्राहम्) शुभ दिन (अकरः) किया है। (नक्षत्रराज) हे नक्षत्रों के राजा ! (शकधूम) हे समर्थ सूर्य आदि लोकों के कँपानेवाले परमेश्वर ! (तस्मै ते) उस तेरे लिये (सदा) सदा (नमः) नमस्कार होवे ॥४॥
भावार्थ
मनुष्य सुखनिधि परमात्मा का उपकार साक्षात् करके संसार का उपकार करते हुए उसकी आज्ञा का पालन करें ॥४॥
टिप्पणी
४−(यः) यस्त्वम् (नः) अस्मभ्यम् (भद्राहम्) म० १। (अकरः) कृतवानसि (सायम्) (नक्तम्) रात्रौ (अथो) अपि च (दिवा) दिवसे (तस्मै) तथाभूताय (ते) तुभ्यम् (नक्षत्रराज) नक्षत्राणां स्वामिन् (शकधूम) म० १। (सदा) सर्वदा (नमः) सत्कारः ॥
विषय
शकधूम को प्रणाम
पदार्थ
१. हे (शकधूम) = शक्ति के द्वारा शत्रुओं को कम्पित करनेवाले (नक्षत्रराज) = अपना त्राण स्वयं न कर सकनेवाली प्रजाओं के शासक। (य:) = जो आप (नः) = हमारे लिए (सायं नक्तम् अथो दिवा) = सायं, रात्रि और दिन में (भद्राहम् अकर:) = कल्याण करते हैं (तस्मै ते) = उस आपके लिए हम (सदा नमः) = सदा नमस्कार करते हैं।
भावार्थ
राजा प्रजाओं का रक्षण करता है। प्रजा को चाहिए कि इस राजा का उचित आदर करे।
विशेष
सुरक्षित राष्ट्र में स्वस्थ वृत्ति से आगे बढ़नेवाला यह स्थिर चित्तवाला [अथर्वा] तथा अङ्ग-प्रत्यङ्ग में शक्ति के रसवाला [अंगिराः] 'अथर्वाङ्गिराः' अगले चार सूक्तों का ऋषि है।
भाषार्थ
(नक्षत्रराज) हे खद्योतों के राजा (शकधूम) शक्तिशाली धूम ! (यः) जिस तू ने (नः) हमारे लिये (सायम्, नक्तम्, अथो दिवा) सायंकाल, रात्री और दिन में (भद्राहम्) भद्रदिन (अकः) कर दिये हैं, (तस्मै ते) उस तेरे लिये, (सदा नमः) हम सदा नम्रीभूत१ हों।
टिप्पणी
[खद्योत है योगाभ्यास में आध्यात्मिक ताराओं का चमकना (श्वेता० उप०)। आध्यात्मिक "शक्तिधूम" है योगाभ्यास में प्रकट "धूम" (श्वेता० उप०)] [१. नम्रीभूत होना इसलिए कि यह आध्यात्मिक "धूम" ब्रह्माभिव्यक्ति में प्रथम सोपान है, यह ब्रह्माभिव्यक्ति में मार्गदर्शक है।]
विषय
राजा का राज्यारोहण।
भावार्थ
हे (शकधूम) शक्तिशाली राजन् ! हे (नक्षत्रराज) नक्षत्रों में चन्द्रमा के समान प्रकाशमान ! निर्बलों के राजन् ! (यः) जो तू (नः) हम प्रजाओं के लिये (सायं) सायंकाल, (नक्तम्) रात, (अथो दिवा) और दिन सब कालों को (भद्राहम् श्रकरः) पुण्य, कल्याणकारी बना देता है (तस्मै ते) उस तुझ राजा को (सदा नमः) हम प्रजाएं सदा आदर करें।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अथर्वाङ्गिरा ऋषिः। नक्षत्राणि राजा चन्द्रः सोमः शकधूमश्च देवताः। १-३ अनुष्टुभः। चतुर्ऋचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Ruler’s Election
Meaning
O Ruler of the planets, refulgent among people, mover and shaker of things around, who provide for a happy day for us, a happy evening, auspicious days and nights, homage and salutations to you always.
Translation
To you, O cow-dung-smoke, the king of the stars, who make good day for us in the evening, at night and in the day, we always bow in reverence.
Translation
We have always all praise for the Shakadhuma star and the foe-killing King who give us fine and favorable weather in the evening, in the night and in the day.
Translation
Be worship ever paid to thee, O King of the weak subjects, who make stall quake with thy might, who hast given us good weather in the evening and by night and day!
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
४−(यः) यस्त्वम् (नः) अस्मभ्यम् (भद्राहम्) म० १। (अकरः) कृतवानसि (सायम्) (नक्तम्) रात्रौ (अथो) अपि च (दिवा) दिवसे (तस्मै) तथाभूताय (ते) तुभ्यम् (नक्षत्रराज) नक्षत्राणां स्वामिन् (शकधूम) म० १। (सदा) सर्वदा (नमः) सत्कारः ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal