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ऋग्वेद मण्डल - 6 के सूक्त 53 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 6/ सूक्त 53/ मन्त्र 9
    ऋषिः - भरद्वाजो बार्हस्पत्यः देवता - पूषा छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    या ते॒ अष्ट्रा॒ गोओ॑प॒शाघृ॑णे पशु॒साध॑नी। तस्या॑स्ते सु॒म्नमी॑महे ॥९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    या । ते॒ । अष्ट्रा॑ । गोऽओ॑पशा । आघृ॑णे । प॒शु॒ऽसाध॑नी । तस्याः॑ । ते॒ । सु॒म्नम् । ई॒म॒हे॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    या ते अष्ट्रा गोओपशाघृणे पशुसाधनी। तस्यास्ते सुम्नमीमहे ॥९॥

    स्वर रहित पद पाठ

    या। ते। अष्ट्रा। गोऽओपशा। आघृणे। पशुऽसाधनी। तस्याः। ते। सुम्नम्। ईमहे ॥९॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 6; सूक्त » 53; मन्त्र » 9
    अष्टक » 4; अध्याय » 8; वर्ग » 18; मन्त्र » 4

    Translation [अन्वय - स्वामी दयानन्द] - O illuminator of the science of feeding animals (veterinarian)! the activity which is pervasive and close to cow-shed (stable) and training arena we pray for happiness from that.

    Commentator's Notes [पदार्थ - स्वामी दयानन्द] -
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    Purport [भावार्थ - स्वामी दयानन्द] - O men! increase that activity by which animals grow and pray for happiness.

    Foot Notes - (आघृणे) समन्तात्पशुविद्याप्रकाशक । आ + घु क्षरणदीप्योः । अत्र दीप्यर्थः । अष-गतिदीप्त्यादानेषु (भ्वा) | = Illuminator of the science of animals. (अस्त्रा) व्यापिका। = Pervasive.

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