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अथर्ववेद के काण्ड - 16 के सूक्त 6 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 5
    ऋषिः - उषा,दुःस्वप्ननासन देवता - साम्नी पङ्क्ति छन्दः - यम सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त
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    उ॒षा दे॒वी वा॒चासं॑विदा॒ना वाग्दे॒व्युषसा॑ संविदा॒ना ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒षा: । दे॒वी । वा॒चा । स॒म्ऽवि॒दा॒ना । वाक् । दे॒वी । उषसा॑ । स॒म्ऽवि॒दा॒ना ॥६.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उषा देवी वाचासंविदाना वाग्देव्युषसा संविदाना ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उषा: । देवी । वाचा । सम्ऽविदाना । वाक् । देवी । उषसा । सम्ऽविदाना ॥६.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 6; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    रोगनाश करने का उपदेश।

    पदार्थ

    (उषाः देवी) उषा देवी [उत्तम गुणवाली प्रभातवेला] (वाचा) वाणी से (संविदाना) मिली हुयी और (वाक् देवी)वाक् देवी [श्रेष्ठ वाणी] (उषसा) प्रभात वेला से (संविदाना) मिली हुयी [होवे]॥५॥

    भावार्थ

    जो मनुष्य प्रभातवेलाको सत्यवाणी के साथ और सत्यवाणी को प्रभातवेला के साथ संयुक्त करते हैं, अर्थात् जो प्रभात से लेकर दूसरी प्रभात तक सत्यवाणी से काम करते हैं, वे अवश्यसुखी रहते हैं ॥५॥

    टिप्पणी

    ५−(उषाः) प्रभातवेला (देवी) दिव्यगुणवती (वाचा) वाण्या सह (संविदाना) संगच्छमाना (वाक्) (देवी) (उषसा) प्रभातवेलया सह (संविदाना)संगच्छमाना ॥

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    विषय

    उषा+वाक्, उषस्पति+वाचस्पति

    पदार्थ

    १. 'हमारे जीवनों में गतमन्त्र में वर्णित सर्वाप्रियता न उत्पन्न हो जाए' इसके लिए हम प्रयत्न करें कि (उषा: देवी) = अन्धकार को दूर करनेवाली यह उषा (वाचा संविदाना) = स्तुति व ज्ञान की बाणियों के साथ मेलवाली हो-ऐकमत्यवाली हो, अर्थात् उषा में जागरित होकर हम प्रभु-स्तवनपूर्वक स्वाध्याय में प्रवृत्त हों। हमारी यह (वाग् देवी) = दिव्य गुणयुक्त वाणी (उषसा संविदाना) = उषा के साथ मेलवाली हो। उषाकाल में हम स्तोत्रों व ज्ञानवाणियों का ही उच्चारण करनेवाले बनें। २. प्रातः प्रबुद्ध होनेवाला व्यक्ति 'उषस्पति' है और ज्ञान की वाणियों का स्वामी बननेवाला व्यक्ति वाचस्पति' है। (उषस्पतिः वाचस्पतिना संविदान:) = उषस्पति वाचस्पति के साथ मेलवाला हो और (वाचस्पतिः उषस्पतिना संविदान:) = वाचस्पति उषस्पति के साथ मेलवाला हो, अर्थात एक व्यक्ति केवल उषस्पति व केवल वाचस्पति ही न बने, वह 'उपस्पति और वाचस्पति' दोनों बनने का प्रयत्न करे । वह प्रातः जागरणशील भी हो और प्रात: प्रबुद्ध होकर प्रभु-स्तवनपूर्वक स्वाध्याय में प्रवृत्त हो।

    भावार्थ

    हमारे जीवनों में 'उषा व वाक्' का मेल हो। हम 'उषस्पति व वाचस्पति' दोनों बनने का प्रयत्न करें। हमारे जीवनों में प्रात:जागरण के साथ प्रभु-स्तवन व स्वाध्याय जुड़े हुए हों।

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    भाषार्थ

    (देवी) प्रकाशमयी (उषा) उषा, (वाचा) वाणि के साथ (संविदाना) सामञ्जस्य को प्राप्त हुई; तथा (देवी) दिव्यगुणों वाली (वाग्) वाणी (उषसा) उषा के साथ (सं विदाना) सामञ्जस्य को प्राप्त हुई, - ॥५॥

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    विषय

    अन्तिम विजय, शान्ति, शत्रुशमन।

    भावार्थ

    (देवी) प्रकाश वाली (उषा) उषा, (वाचा) वाक् वेदवाणी से (संविदाना) संगत हो, और (वाग् देवी) ज्ञान के प्रकाश से युक्तवाणी (उषसा) पापदाहक उषा से (सं विदाना) संग लाभ करती हो। (उषस्पतिः) उषा का पालक सूर्य (वाचः पतिना) वाणी के स्वामी विद्वान्, या परमेश्वर के साथ (संविदानः) संगति लाभ करे और (वाचः पतिः) वाणी का स्वामी विद्वान् (उषः पतिना सं विदानः) उषा के स्वामी सूर्य के साथ संगति लाभ करता हो। अर्थात् उषा के समान वाणी और वाणी के समान उषा है। वाक्पति परमेश्वर के समान सूर्य और सूर्य के समान परमेश्वर प्रकाशस्वरुप और ज्ञानस्वरुप है। (ते) वे सब (अमुष्मै) शत्रु को (अरायान्) धन, ऐश्वर्यो से रहित (दुर्नाम्नः) बुरे नाम वाले (सदान्वाः) सदा कष्टकारी विपत्तियां (परावहन्तु) प्राप्त करावें।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    यम ऋषिः। दुःस्वप्ननाशन उषा च देवता, १-४ प्राजापत्यानुष्टुभः, साम्नीपंक्ति, ६ निचृद् आर्ची बृहती, ७ द्विपदा साम्नी बृहती, ८ आसुरी जगती, ९ आसुरी, १० आर्ची उष्णिक, ११ त्रिपदा यवमध्या गायत्री वार्ष्यनुष्टुप्। एकादशर्चं षष्ठं पर्याय सूक्तम्।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Atma-Aditya Devata

    Meaning

    Let heavenly dawn join with holy speech and holy speech join with heavenly dawn.

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    Translation

    May the divine dawn in concord with the speech, and the divine speech in concord with the dawn;

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    Translation

    The dawn together with vedic speech and vedic speech accompanied by dawn.

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    Translation

    May the Goddess Dawn be in accord with Vedic speech, and Vedic speech in accord with Dawn.

    Footnote

    Dawn and the recitation of Vedic verses should synchronize. Every one should recite Vedic Mantras early in the morning.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ५−(उषाः) प्रभातवेला (देवी) दिव्यगुणवती (वाचा) वाण्या सह (संविदाना) संगच्छमाना (वाक्) (देवी) (उषसा) प्रभातवेलया सह (संविदाना)संगच्छमाना ॥

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