अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 15/ मन्त्र 2
इन्द्रं॑ व॒यम॑नूरा॒धं ह॑वाम॒हेऽनु॑ राध्यास्म द्वि॒पदा॒ चतु॑ष्पदा। मा नः॒ सेना॒ अर॑रुषी॒रुप॑ गु॒र्विषू॑चीरिन्द्र द्रु॒हो वि ना॑शय ॥
स्वर सहित पद पाठइन्द्र॑म्। व॒यम्। अ॒नु॒ऽरा॒धम्। ह॒वा॒म॒हे॒। अनु॑। रा॒ध्या॒स्म॒। द्वि॒ऽपदा॑। चतुः॑ऽपदा। मा। नः॒। सेनाः॑। अर॑रुषीः। उप॑। गुः॒। विषू॑चीः। इ॒न्द्र॒। द्रु॒हः। वि। ना॒श॒य॒ ॥१५.२॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्रं वयमनूराधं हवामहेऽनु राध्यास्म द्विपदा चतुष्पदा। मा नः सेना अररुषीरुप गुर्विषूचीरिन्द्र द्रुहो वि नाशय ॥
स्वर रहित पद पाठइन्द्रम्। वयम्। अनुऽराधम्। हवामहे। अनु। राध्यास्म। द्विऽपदा। चतुःऽपदा। मा। नः। सेनाः। अररुषीः। उप। गुः। विषूचीः। इन्द्र। द्रुहः। वि। नाशय ॥१५.२॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
राजा के कर्त्तव्य का उपदेश।
पदार्थ
(अनुराधम्) अनुकूल सिद्धि करनेवाले (इन्द्रम्) इन्द्र [महाप्रतापी राजा] को (वयम्) हम (हवामहे) बुलाते हैं, (द्विपदा) दो पाये के साथ और (चतुष्पदा) चौपाये के साथ (अनु) निरन्तर (राध्यास्म) हम सिद्धि पावें। (अररुषीः) लालची (सेनाः) सेनाएँ [चोर आदि] (नः) हमको (मा उप गुः) न पहुँचें (इन्द्र) हे इन्द्र ! [महाप्रतापी राजन्] (विषूचीः) फैली हुई (द्रुहः) द्रोह रीतों को (विनाशय) मिटा दे ॥२॥
भावार्थ
प्रजागण महाप्रतापी विद्वान् पुरुष को राजा बनाकर अपने मनुष्यों, पशुओं और सम्पत्ति की रक्षा करें ॥२॥
टिप्पणी
२−(इन्द्रम्) परमैश्वर्यवन्तं राजानम् (वयम्) (अनुराधम्) अनुकूला राधा सिद्धिर्यस्मात्तम् (हवामहे) आह्वयामः (अनु) निरन्तरम् (राध्यास्म) सम्पन्ना भूयास्म (द्विपदा) पादद्वयोपेतेन मनुष्यादिना (चतुष्पदा) पादचतुष्टयोपेतेन गवादिना सह (नः) अस्मान् (सेनाः) शत्रुसेनाः (अररुषीः) नञ्पूर्वाद् रातेः क्वसु, ङीपि सम्प्रसारणं पूर्वसवर्णदीर्घश्च। अदात्र्यः। कृपणाः (मा उप गुः) मोपगच्छन्तु समीपं मा प्राप्नुवन्तु (विषूचीः) विष्वगञ्चनाः सर्वतो व्याप्ताः (द्रुहः) द्रुह्यन्ती रीतीः (विनाशय) विजहि ॥
विषय
अनुराध इन्द्र का आह्वान
पदार्थ
१.(वयम्) = हम (अनुराधम्) = अनुकूलता से सिद्धियों को प्रास करानेवाले (इन्द्रम्) = शत्रु-विद्रावक प्रभु को (हवामहे) = पुकारते हैं। हम इस जीवन में (द्विपदा) = दो पाँबवाली अपनी वीरसन्तानों से तथा (चतुष्पदा) = चार पाँववाले गवादि पशुओं से (अनुराव्यास्म) = एक के बाद दूसरी-निरन्तर सिद्धियों को प्राप्त करें। हमारे सब कार्य अनुकूलता से सिद्ध होनेवाले हों। २. (न:) = हमें (अररुषी:) = अदान की वृत्तिवाली लोभ आदि आसुरभावों की (सेना:) = सेनाएँ (मा उपगुः) = मत समीपता से प्राप्त हों। हे (इन्द्र) = शत्रुविद्रावक प्रभो ! (विषूची:) = विविध दिशाओं में गतिवाली-नानारूपों में प्रकट होनेवाली (दूहः) = द्रोह की भावनाओं को (विनाशय) = आप नष्ट कर दीजिए।
भावार्थ
हम द्वेष से-द्रोह की भावना से दूर रहते हुए, अदान की वृत्ति से ऊपर उठकर 'अनुराध' इन्द्र का आराधन करते हैं।
भाषार्थ
(वयम्) हम प्रजाजन (अनुराधम्) अनुरूप सिद्धि करनेवाले (इन्द्रम्) सेनाधीश को (हवामहे) सत्कारपूर्वक निमन्त्रित करते हैं। (अनु) तदनन्तर हम (द्विपदा) दो पैरों वाली मनुष्य-प्रजा द्वारा, और (चतुष्पदा) चार पैरों वाली गौ आदि प्रजा द्वारा (राध्यास्म) समृद्धियों को प्राप्त हों। (अररुषीः) दानरहित=लालची (सेनाः) परकीय सेनाएं (नः) हमारे (मा उपगुः) समीप न प्राप्त हों। (इन्द्र) हे सेनाधीश! (विषूचीः) फैली हुई (द्रुहः) पारस्परिक द्रोह-भावनाओं का (विनाशय) विनाश कर दीजिये।
टिप्पणी
[अररुषीः= नञ्+रा (दाने)+क्वसुः। विषूचीः=विषु (सर्वत्र)+अञ्च् (व्याप्त)।]
इंग्लिश (4)
Subject
Fearlessness
Meaning
We invoke, honour and adore Indra, ruling lord of the world, who makes everything possible for us to achieve. May we, in conformity and cooperation with humans and animals both, accomplish our work and achieve our goals. Let not the forces of hate and violence approach us ever. O lord of power, Indra, pray eliminate all forces of hate and enmity, varied, expansive or scattered, whatever and wherever they be.
Translation
We invoke the resplendent Lord, the granter of success. May we obtain success through bipeds and quadrupeds. Let not the armies of cruel foes approach us. O resplendent Lord, may you destroy vast hordes of enemies.
Translation
We pray Indra, the Almighty God to whom the worship is due. May we be prosperous with bipeds and quadrupeds. Let not the cruel hosts of foemen approach us. O Lord, Almighty, destroy these various hating powers.
Translation
Let us pray to the Adorable Evil-Destroyer God, so that we may pros¬ per with bipeds i.e., wives, sons and servants and quadrupeds, like cows, goats and horses. Let not the hosts of greedy people approach us. O king, put down all sorts of rebellions.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२−(इन्द्रम्) परमैश्वर्यवन्तं राजानम् (वयम्) (अनुराधम्) अनुकूला राधा सिद्धिर्यस्मात्तम् (हवामहे) आह्वयामः (अनु) निरन्तरम् (राध्यास्म) सम्पन्ना भूयास्म (द्विपदा) पादद्वयोपेतेन मनुष्यादिना (चतुष्पदा) पादचतुष्टयोपेतेन गवादिना सह (नः) अस्मान् (सेनाः) शत्रुसेनाः (अररुषीः) नञ्पूर्वाद् रातेः क्वसु, ङीपि सम्प्रसारणं पूर्वसवर्णदीर्घश्च। अदात्र्यः। कृपणाः (मा उप गुः) मोपगच्छन्तु समीपं मा प्राप्नुवन्तु (विषूचीः) विष्वगञ्चनाः सर्वतो व्याप्ताः (द्रुहः) द्रुह्यन्ती रीतीः (विनाशय) विजहि ॥
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