अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 49/ मन्त्र 3
ऋषिः - गोपथः, भरद्वाजः
देवता - रात्रिः
छन्दः - त्रिष्टुप्
सूक्तम् - रात्रि सूक्त
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वर्ये॒ वन्दे॒ सुभ॑गे॒ सुजा॑त॒ आज॑ग॒न्रात्रि॑ सु॒मना॑ इ॒ह स्या॑म्। अ॒स्मांस्त्रा॑यस्व॒ नर्या॑णि जा॒ता अथो॒ यानि॒ गव्या॑नि पु॒ष्ठ्या ॥
स्वर सहित पद पाठवर्ये॑। वन्दे॑। सुऽभ॑गे। सु॒ऽजा॑ते। आ। अ॒ज॒ग॒न्। रात्रि॑। सु॒ऽमनाः॑। इ॒ह। स्या॒म्। अ॒स्मान्। त्रा॒य॒स्व॒। नर्या॑णि। जा॒ता। अथो॒ इति॑। यानि॑। गव्या॑नि। पु॒ष्ट्या ॥४९.३॥
स्वर रहित मन्त्र
वर्ये वन्दे सुभगे सुजात आजगन्रात्रि सुमना इह स्याम्। अस्मांस्त्रायस्व नर्याणि जाता अथो यानि गव्यानि पुष्ठ्या ॥
स्वर रहित पद पाठवर्ये। वन्दे। सुऽभगे। सुऽजाते। आ। अजगन्। रात्रि। सुऽमनाः। इह। स्याम्। अस्मान्। त्रायस्व। नर्याणि। जाता। अथो इति। यानि। गव्यानि। पुष्ट्या ॥४९.३॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
रात्रि में रक्षा का उपदेश।
पदार्थ
(वर्ये) हे चाहने योग्य ! (वन्दे) हे वन्दनायोग्य ! (सुभगे) हे बड़े ऐश्वर्यवाली ! (सुजाते) हे सुन्दर जन्मवाली ! (रात्रि) रात्रि (आ अजगन्) तू आयी है, मैं (इह) यहाँ (सुमनाः) प्रसन्नचित्त (स्याम्) रहूँ। (अस्मान्) हमारे लिये (नर्याणि) मनुष्यों की हितकारी (जाता) उत्पन्न वस्तुओं को (अथो) और भी [उनको], (यानि) जो (गव्यानि) गौ [आदि] की हितकारी वस्तु हैं, (पुष्ट्या) वृद्धि के साथ (त्रायस्व) रक्षा कर ॥३॥
भावार्थ
जो मनुष्य रात्रि रूप कठिनाई में प्रसन्नचित्त रहकर अपना कर्तव्य करते रहें, वे उन्नति करके अपनी सम्पत्ति की रक्षा कर सकें ॥३॥
टिप्पणी
३−(वर्ये) हे वरणीये (वन्दे) वदि अभिवादनस्तुत्योः-घञ्। हे वन्दनीये (सुभगे) बह्वैश्वर्यवति (सुजाते) हे सुजन्मयुक्ते (आ अजगन्) गमेर्लङि मध्यमपुरुषे सिपि शपः श्लुः। मो नो धातोः। पा० ८।२।६४। इति नत्वम्। हल्ङ्याभ्यो दीर्घा०। पा० ६।१।६८। इति सिपो लोपः। आगच्छः। आगतासि (रात्रि) (सुमनाः) प्रसन्नचित्तः (इह) अत्र (स्याम्) अहं भवेयम् (अस्मान्) चतुर्थ्यर्थे द्वितीया। अस्मभ्यम् (त्रायस्व) पालय (नर्याणि) नरहितानि (जाता) उत्पन्नानि वस्तूनि (अथो) अपि च (यानि) वस्तूनि (गव्यानि) गवादिभ्यो हितानि (पुष्ट्या) वृद्ध्या ॥
भाषार्थ
(वर्ये) हे श्रेष्ठ रात्रि! (वन्दे) मैं तेरा अभिवादन करता हूँ। (सुभगे) हे उत्तम यश और श्री से सम्पन्न (सुजाते रात्रि) उत्तम जन्म वाली रात्रि! (इह आ अजगन्) यहाँ तू आई है, (सुमनाः स्याम्) इसलिए मैं प्रसन्नचित्त होऊँ। तू (पुष्ट्या) पुष्टि द्वारा (अस्मान्) हमारा, (नर्याणि, जाता=जातानि) नरहितकारी उत्पन्न वस्तुओं का, (अथो) और (यानि, गव्या=गव्यानि) जो गोहितकारी वस्तुएँ हैं उनका (त्रायस्व) त्राण करे।
टिप्पणी
[मन्त्र द्वारा वधू का भी निर्देश किया है। वर कहता है कि हे वरण करने योग्य, सौभाग्यवती, उत्तम कुलोत्पन्न वधु! तू मेरे कुल में आई है, मैं तेरा अभिवादन करता हूँ। और तेरे आने से मैं प्रसन्नचित्त रहूँ। तू अन्नादि की पुष्टि द्वारा हम कुलवासियों की रक्षा करती रह।]
विषय
'वर्या वन्दा सभगा सुजाता'
पदार्थ
१.हे (वर्ये) = वरणीय-अनिरुद्ध प्रभाववाली, (वन्दे) = स्तुत्य, (सुभगे) = उत्तम भग को प्राप्त करानेवाली (सुजाते) = उत्तम शक्ति के प्रादुर्भाववाली (रात्रि) = रात्रिदेवि! (आजगन्) = तू आयी है। मैं (इह) = यहाँ तुममें (सुमनाः स्याम्) = उत्तम मनवाला हो। रात्रि में सो जाने पर सब क्रोध आदि के भाव समाप्त हो जाते हैं। २. (अस्मान् त्रायस्व) = तू हमारा रक्षण कर तथा (जाता) = उत्पन्न हुई (नर्याणि) = नर- हितकारी वस्तुओं को भी रक्षित कर । (अथ उ) = और निश्चय से यानि जो (गव्यानि) = गौओं के लिए हितकारी वस्तुएँ हैं, उन्हें भी (पुष्ट्या) = हमारी पुष्टि के हेतु रक्षित कर।
भावार्थ
रात्रि वस्तुतः वरणीय है। इसमें सुखमयी नींद को प्राप्त करने से हमारे क्रोध आदि दुर्भाव नष्ट हो जाते हैं और हम 'सुमना' बनते हैं। यह रात्रि हमारे लिए हितकर सब वस्तुओं का रक्षण करे। गौवों के लिए हितकर वस्तुओं का भी रक्षण करे, जिससे हमें उनसे उचित पोषण प्राप्त हो।
इंग्लिश (4)
Subject
Ratri
Meaning
Lovable, adorable, generous, nobly born, the night is come. Let us be peaceful at heart at this hour. O night, pray save and protect and promote with strength and growth all that exists for human good and for the good of the animal world.
Translation
O desirable deserving worship blissful. night-born might you have come. May you stay here with friendly favour in you protect us, O well born. and also the dary prodnets. which are beneficial for men with their nourishment
Comments / Notes
Text is not clear in the book. If someone has a clearer copy, please edit this translation
Translation
This excellent, praiseworth, pleasant and nicely-born night comes always. May I be here possessed of good spirit. Let this night, with preserving power, guard us. the thing useful for men and those which are useful for cattle.
Translation
O above-mentioned Ratri, worthy to be chosen, fortunate, well-born, thou ever comest in this form. Let me stay here in thee with a happy mind. Protect us all by nourishing and energizing all created things, useful for men as well as for cattle.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
३−(वर्ये) हे वरणीये (वन्दे) वदि अभिवादनस्तुत्योः-घञ्। हे वन्दनीये (सुभगे) बह्वैश्वर्यवति (सुजाते) हे सुजन्मयुक्ते (आ अजगन्) गमेर्लङि मध्यमपुरुषे सिपि शपः श्लुः। मो नो धातोः। पा० ८।२।६४। इति नत्वम्। हल्ङ्याभ्यो दीर्घा०। पा० ६।१।६८। इति सिपो लोपः। आगच्छः। आगतासि (रात्रि) (सुमनाः) प्रसन्नचित्तः (इह) अत्र (स्याम्) अहं भवेयम् (अस्मान्) चतुर्थ्यर्थे द्वितीया। अस्मभ्यम् (त्रायस्व) पालय (नर्याणि) नरहितानि (जाता) उत्पन्नानि वस्तूनि (अथो) अपि च (यानि) वस्तूनि (गव्यानि) गवादिभ्यो हितानि (पुष्ट्या) वृद्ध्या ॥
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