अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 49/ मन्त्र 10
ऋषिः - गोपथः, भरद्वाजः
देवता - रात्रिः
छन्दः - त्र्यवसाना षट्पदा जगती
सूक्तम् - रात्रि सूक्त
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प्र पा॑दौ॒ न यथाय॑ति॒ प्र हस्तौ॒ न यथाशि॑षत्। यो म॑लि॒म्लुरु॒पाय॑ति॒ स संपि॑ष्टो॒ अपा॑यति। अपा॑यति॒ स्वपा॑यति॒ शुष्के॑ स्था॒णावपा॑यति ॥
स्वर सहित पद पाठप्र। पादौ॑। न। यथा॑। अय॑ति। प्र। हस्तौ॑। न। यथा॑। अशि॑षत्। यः। म॒लि॒म्लुः। उ॒प॒ऽअय॑ति। सः। सम्ऽपि॑ष्टः। अप॑ ।अ॒य॒ति॒। अप॑। अ॒य॒ति॒। सु॒ऽअपा॑यति। शुष्के॑। स्था॒णौ। अप॑। अ॒य॒ति॒ ॥४९.१०॥
स्वर रहित मन्त्र
प्र पादौ न यथायति प्र हस्तौ न यथाशिषत्। यो मलिम्लुरुपायति स संपिष्टो अपायति। अपायति स्वपायति शुष्के स्थाणावपायति ॥
स्वर रहित पद पाठप्र। पादौ। न। यथा। अयति। प्र। हस्तौ। न। यथा। अशिषत्। यः। मलिम्लुः। उपऽअयति। सः। सम्ऽपिष्टः। अप ।अयति। अप। अयति। सुऽअपायति। शुष्के। स्थाणौ। अप। अयति ॥४९.१०॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
रात्रि में रक्षा का उपदेश।
पदार्थ
(पादौ) [उसके] दोनों पैरों को (प्र) सर्वथा [तोड़ डाले-मन्त्र ९], (यथा) जिससे वह (न) न (अयति) चल सके, (हस्तौ) [उसके] दोनों हाथों को (प्र) सर्वथा [तोड़ डाले], (यथा) जिससे वह (न) न (अशिषत्) खा सके। (यः) जो (मलिम्लुः) मलिन आचरणवाला लुटेरा (उप-अयति) पास आवे, (सः) वह (संपिष्टः) पीस डाला गया (अप अयति) निकल जावे। (अप अयति) वह निकल जावे, (सु-अप-अयति) वह सर्वथा निकल जावे, (शुष्के) सूखे (स्थाणौ) स्थान में (अप अयति) निकल जावे ॥१०
भावार्थ
यदि रात्रि में चोर-डाकू आदि आकर लूट-खसोट मचावें, रक्षक गण उनको यथावत् दण्ड देकर प्रजा की रक्षा करें ॥९, १०॥
टिप्पणी
१०−(प्र) सर्वथा हनत्-म० ९ (पादौ) गमनसाधनभूतौ (न) निषेधे (यथा) येन प्रकारेण (अयति) गच्छेत् (प्र) प्रहनत् (हस्तौ) करौ (न) निषेधे (यथा) (अशिषत्) अश भोजने-लेट्, अडागमः। सिब्बहुलं लेटि। पा० ३।१।३४। इति सिप्, इडागमः। भोजनं कुर्यात् (यः) (मलिम्लुः) अ० ८।६।२। मलि+म्लुचु गतौ-डु प्रत्ययः। मलिं मलं पापं म्लोचति प्राप्नोतीति सः। मलिनाचारः (उप-अयति) आगच्छेत् (सः) (सं पिष्टः) सम्यक् चूर्णितः (अप-अयति) दूरे गच्छेत् (अप अयति) स दूरं गच्छेत् (सु-अप-अयति) स सर्वथा दूरे गच्छतु (शुष्के) शुष शोषणे-क्त। शुषः कः। पा० ८।२।५१। इति कत्वम्। प्राप्तशोषणे। नीरसे (स्थाणौ) स्थाने (अप अयति) दूरे गच्छतु ॥
भाषार्थ
[रात्री चोर के] (पादौ) दोनों पैर (प्र हनत्) काट दे, (यथा) जिससे कि वह (न अयति) न चल सके। (हस्तौ) दोनों हाथ (प्रहनत्) काट दे, (यथा) जिससे कि वह (न आशिषत्) खा न सके। (यः) जो (मलिम्लुः=मलिम्लुचः) मलिनाचार वाला लुटेरा (उपायति) हमारे समीप आए, (सः) वह (संपिष्टः) मारपीट खाकर (अपायति) दूर चला जाय। (अपायति) दूर चला जाय (सु अपायति) बहुत दूर चला जाय। (शुष्के) सूखे (स्थाणौ) स्थावरों अर्थात् जङ्गल में (अपायति) चला जाय।
टिप्पणी
[मन्त्र ९ में प्राणदण्ड का विधान है। मन्त्र १० में अङ्ग-भङ्ग का, तथा किसी सुदूर एकान्त और सूखे जङ्गल में कैदी के रूप में उसके अवरुद्ध करने का विधान है।]
विषय
चोर के शव को वृक्ष पर बाँधना
पदार्थ
१. (पादौ प्र) [हनत] = गतमन्त्र में वर्णित स्तेन व अघायु के पाँवों को छिन्न कर दिया जाए (यथा) = जिससे न आयति-यह गति ही न कर सके। हस्तौ प्र[हनत]-इसके हाथों को काट दिया जाए (यथा) = जिससे (न अशिषत्) = [शिष् to heart, to kill] यह किसी को मार न सके। २. (य:) = जो (मलिम्लः) = चोर (उपायति) = हमारे समीप प्राप्त होता है, (सः) = वह (संपिष्ट:) = पिसा हुआ (अपायति) = दूर विनष्ट हो जाता है। (अपायति) = दूर विनष्ट होता है और (सु अपायति) = अच्छी प्रकार सुदूर विनष्ट हो जाता है। यह (शुष्के स्थाणी अपायति) = सूखे ,ठरूप वृक्ष पर (अपायति) = विनष्ट होता है। इसे वधदण्ड देकर इसके शव को स्थाणु पर बाँधा जाए, ताकि सब लोग उसके इसप्रकार अन्त को देखकर इन अशुभ कर्मों को न करने का निश्चय करें।
भावार्थ
चोरों को पादच्छेद व हस्तछेद का दण्ड दिया जाए। इनका वध करके इनके शव को शुष्क स्थाणु पर लटका दिया जाए, जिससे औरों को चोरी न करने की प्रेरणा मिले।
इंग्लिश (4)
Subject
Ratri
Meaning
Arrest him by the feet so that he may not prowl any more, arrest him by the hands so that he may not grab the article he wants to steal. Whoever the robber that comes must go away, defeated in purpose, crushed, go away for sure, go far away to a dry, uninhabited land.
Translation
May she strike off his feet, so that he may not, strike off his arms, so that he may not hurt. The marauder that comes, may he go away crushed to pulp. May he go away, go far away, go away to a dry and dreary stump.
Translation
Whatsoever robber comes near us goes crushed and mutilated from here. His feet are crushed as he may not walk, his hands are so mutilated as he may not do any harm. He goes away, goes far away from us and flee away to dry forest.
Translation
Let the feet be shorn, so that he may not come. Let his hands be cut off so that he may not be able to take his meals. Whatsoever robber or marauder comes near, may go off quite ground to dust. Let him be driven off. Let him be pushed off completely. Let him be reduced to the state of a dry stump of a tree.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१०−(प्र) सर्वथा हनत्-म० ९ (पादौ) गमनसाधनभूतौ (न) निषेधे (यथा) येन प्रकारेण (अयति) गच्छेत् (प्र) प्रहनत् (हस्तौ) करौ (न) निषेधे (यथा) (अशिषत्) अश भोजने-लेट्, अडागमः। सिब्बहुलं लेटि। पा० ३।१।३४। इति सिप्, इडागमः। भोजनं कुर्यात् (यः) (मलिम्लुः) अ० ८।६।२। मलि+म्लुचु गतौ-डु प्रत्ययः। मलिं मलं पापं म्लोचति प्राप्नोतीति सः। मलिनाचारः (उप-अयति) आगच्छेत् (सः) (सं पिष्टः) सम्यक् चूर्णितः (अप-अयति) दूरे गच्छेत् (अप अयति) स दूरं गच्छेत् (सु-अप-अयति) स सर्वथा दूरे गच्छतु (शुष्के) शुष शोषणे-क्त। शुषः कः। पा० ८।२।५१। इति कत्वम्। प्राप्तशोषणे। नीरसे (स्थाणौ) स्थाने (अप अयति) दूरे गच्छतु ॥
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