Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 53 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 53/ मन्त्र 6
    ऋषिः - भृगुः देवता - कालः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - काल सूक्त
    0

    का॒लो भू॒तिम॑सृजत का॒ले तप॑ति॒ सूर्यः॑। का॒ले ह॒ विश्वा॑ भू॒तानि॑ का॒ले चक्षु॒र्वि प॑श्यति ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    का॒लः। भू॒तिम्। अ॒सृ॒ज॒त॒। का॒ले। त॒प॒ति॒। सूर्यः॑। का॒ले। ह॒। विश्वा॑। भू॒तानि॑। का॒ले । चक्षुः॑। वि। प॒श्य॒ति॒ ॥५३.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कालो भूतिमसृजत काले तपति सूर्यः। काले ह विश्वा भूतानि काले चक्षुर्वि पश्यति ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    कालः। भूतिम्। असृजत। काले। तपति। सूर्यः। काले। ह। विश्वा। भूतानि। काले । चक्षुः। वि। पश्यति ॥५३.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 53; मन्त्र » 6
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    काल की महिमा का उपदेश।

    पदार्थ

    (कालः) काल [समय] ने (भूतिम्) ऐश्वर्य को (असृजत) उत्पन्न किया है, (काले) काल में (सूर्यः) सूर्य (तपति) तपता है। (काले) काल में (ह) ही (विश्वा) सब (भूतानि) सत्ताएँ हैं, (काले) काल में (चक्षुः) आँख (वि) विविध प्रकार (पश्यति) देखती है ॥६॥

    भावार्थ

    काल ही पाकर सब ऐश्वर्य, प्रकाश और पदार्थ उत्पन्न होते हैं ॥६॥

    टिप्पणी

    ६−(कालः) (भूतिम्) ऐश्वर्यम्। सत्ताम् (असृजत) अजनयत् (काले) (तपति) प्रकाशते (सूर्यः) प्रेरक आदित्यः (काले) (ह) (विश्वा) (भूतानि) सत्तायुक्तानि जगन्ति (काले) (चक्षुः) नेत्रम् (वि) विविधम् (पश्यति) अवलोकयति ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (कालः) काल ने (भूतिम्) जगत् की सत्ता, समृद्धि, धन, और योगजन्य विभूतियों की (असृजत) सृष्टि की है। (काले) ग्रीष्मकाल में (सूर्यः तपति) सूर्य तपता है। (काले ह) काल में ही (विश्वा भूतानि) सब भूतभौतिक जगत् स्थित है। (काले) काल में (चक्षुः) आँख (वि पश्यति) विविध जगत् को देखती है। [स्वप्नकाल में नहीं देखती, जागरित काल में देखती है।]

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    'सब विभूतियों के स्त्रोत' प्रभु

    पदार्थ

    १. (काल:) = वे काल नामक प्रभु ही (भूतिम्) = इस संसार की विविध विभूतियों को-ऐश्वयों को (असृजत) = उत्पन्न करते हैं। (काले) = उस काल नामक प्रभु के आधार में ही (सूर्यः तपति) = सूर्य दीप्त हो रहा है [तस्य भासा सर्वमिदं विभाति] २. (काले ह) = निश्चय से उस काल में-प्रभु के आधार में ही (विश्वा भूतानि) = सब भूत स्थित हैं-रह रहे हैं। काले-उस प्रभु के आधार में ही (चक्षुः विपश्यति) = आँख आदि इन्द्रियाँ दर्शनादि कर्मों को करती है।

    भावार्थ

    सम्पूर्ण विभूति को जन्म देनेवाले वे प्रभु ही हैं। प्रभु की दीप्ति से ही सूर्य आदि दीप्त हो रहे हैं। सब भूतों के आधार वे प्रभु हैं। प्रभु ही आँख आदि में दर्शनादि शक्तियों को रखते हैं।

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Kala

    Meaning

    Kala created the plenty and prosperity of existence. In Kala does the sun shine and blaze. In Kala do all existing forms subsist, and the eye sees only in Kala.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Time has generated the earth; the sun burns in Time. In Time, indeed, are located all the beings in Time the vision discerns.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    This Kala creates whatever does become and the sun sends out its scorching heat in the Kala, All the creatures live in Kala and eye discerns its objects in the Kala.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    The Kala produced the very existence of the creation and the wealth thereof. The sun shines in the Kala. Verily in the Kala alone all the creatures find their existence. The organs like the eyes have their powers of perception due to Him.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६−(कालः) (भूतिम्) ऐश्वर्यम्। सत्ताम् (असृजत) अजनयत् (काले) (तपति) प्रकाशते (सूर्यः) प्रेरक आदित्यः (काले) (ह) (विश्वा) (भूतानि) सत्तायुक्तानि जगन्ति (काले) (चक्षुः) नेत्रम् (वि) विविधम् (पश्यति) अवलोकयति ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top