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अथर्ववेद के काण्ड - 2 के सूक्त 18 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 18/ मन्त्र 3
    ऋषिः - चातनः देवता - अग्निः छन्दः - द्विपदा साम्नीबृहती सूक्तम् - शत्रुनाशन सूक्त
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    अ॑राय॒क्षय॑णमस्यराय॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒रा॒य॒ऽक्षय॑णम् । अ॒सि॒ । अ॒रा॒य॒ऽचात॑नम् । मे॒ । दा॒: । स्वाहा॑ ॥१८.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अरायक्षयणमस्यरायचातनं मे दाः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अरायऽक्षयणम् । असि । अरायऽचातनम् । मे । दा: । स्वाहा ॥१८.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 2; सूक्त » 18; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    शत्रुओं से रक्षा करनी चाहिये–इसका उपदेश।

    पदार्थ

    [हे ईश्वर !] तू (अरायक्षयणम्) निर्धनता की नाशशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (अरायचातनम्) निर्धनता मिटाने का बल (दाः) दे, (स्वाहा) यही सुन्दर आशीर्वाद हो ॥३॥

    भावार्थ

    ईश्वर सर्वशक्तिमान् और महाधनी है, ऐसा विचारकर मनुष्य अपनी दुष्टता और दुर्मति से अथवा अन्य विघ्नों से उत्पन्न निर्धनता को उद्योग करके मिटावें ॥३॥

    टिप्पणी

    ३–अरायक्षयणम्। रा+दाने–घञ्, युक् आगमः। नञ्तत्पुरुषः। अरायस्य निर्धनत्वस्य नाशनम् ॥

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    विषय

    अराय-चातन

    पदार्थ

    १. 'रा दाने' धातु से राय शब्द बना है। यह दान का वाचक है। न देने की वृत्ति को 'अराय' कहते हैं। हे प्रभो! आप (अरायक्षयणम् असि) = न देने की वृत्ति का ध्वंस करते हैं। प्रभु तो देने ही-देनेवाले हैं, वहाँ 'न देने का भाव' है ही नहीं। हे प्रभो! आप (में) = मुझे भी (अरायचातनम्) = न देने की वृत्ति के नाशन की शक्ति (दा:) = दीजिए। २. मैं सदा देनेवाला ही बनूं। इस दान ही से तो मैं पापों का नाश [दाप्-लवने-काटना] कर पाऊँगा और यह दान ही मुझे शुद्ध बनाएगा [दैप् शोधने]। (स्वाहा) = यह कितनी शुभ प्रार्थना है कि मेरी अदानवृत्ति को नष्ट कीजिए। ।

    भावार्थ

    मैं सदा देने की वृत्तिवाला बनें।

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    भाषार्थ

    (अरायक्षयणम्, असि) अदानभावनाओं का क्षय करनेवाला तू है, ( अरायचातनम् ) अदान-भावनाओं के विनाश का सामर्थ्य (मे दा:) मुझे दे, (स्वाहा) सु आह ।

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    विषय

    शत्रुओं के नाशक बल की प्रार्थना ।

    भावार्थ

    हे परमेश्वर ! आप (अरायक्षयणम् असि) दान न करने हारे कंजूस, स्वार्थी, अनुदार पुरुषों का नाश करते हो अतः (मे) मुझे भी (अरायचातनं) ऐसे लोलुप पुरुषों के विनाश करने का सामर्थ्य (दाः) प्रदान करो । (स्वाहा) यह मेरी शुभ प्रार्थना स्वीकार करें ।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    सम्पत्कामश्चातन ऋषिः। अग्निर्देवता। साम्नी बृहती। पञ्चर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prayer for Self-Protection

    Meaning

    You are the destroyer of the spirit of evil. Give me the power to destroy the forces of evil. This is the voice of truth in faith.

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    Translation

    You are the destroyer of such enemies as do not pay their due.Grant me that I may drive away the enemies who do not pay their due. Svāhā.

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    Translation

    O' Agni the Self-effulgent God, Thou art possessed with the power of destruction of indigence kindly give me the power of destroying indigence. What a beautiful utterance.

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    Translation

    O God, Thou art the Banisher of poverty, grant me the strength to keep poverty at bay. This is my humble prayer.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३–अरायक्षयणम्। रा+दाने–घञ्, युक् आगमः। नञ्तत्पुरुषः। अरायस्य निर्धनत्वस्य नाशनम् ॥

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    बंगाली (2)

    भाषार्थ

    (অরায়ক্ষয়ণম্, অসি) অদানভাবনার ক্ষয়কারী তুমি, (অরায়চাতনম্) অদান-ভাবনার বিনাশের সামর্থ্য (মে দাঃ) আমাকে প্রদান করো, (স্বাহা) সু আহ।

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    मन्त्र विषय

    শত্রুভ্যো রক্ষা কর্তব্যেত্যুপদিশ্যতে

    भाषार्थ

    [হে ঈশ্বর !] তুমি (অরায়ক্ষয়ণম্) নির্ধনতার বিনাশক শক্তি (অসি) হও, (মে) আমাকে (অরায়চাতনম্) নির্ধনতা বিনাশের শক্তি (দাঃ) প্রদান করো, (স্বাহা) এই সুন্দর আশীর্বাদ হোক ॥৩॥

    भावार्थ

    ঈশ্বর সর্বশক্তিমান্ ও মহাধনী, এমনটা বিচার করে মনুষ্য নিজের দুষ্টতা ও দুর্মতি থেকে অথবা অন্য বিঘ্ন থেকে উৎপন্ন নির্ধনতাকে উদ্যোগ করে নাশ করুক ॥৩॥

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