अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 3
इन्द्र॒ प्र णो॑ धि॒तावा॑नं य॒ज्ञं विश्वे॑भिर्दे॒वेभिः॑। ति॒र स्त॑वान विश्पते ॥
स्वर सहित पद पाठइन्द्र॑ । प्र । न॒: । धि॒तऽवा॑नम् । य॒ज्ञम् । विश्वे॑भि: । दे॒वेभि॑: । ति॒र। स्त॒वा॒न॒ । वि॒श्प॒ते॒ ॥६.३॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्र प्र णो धितावानं यज्ञं विश्वेभिर्देवेभिः। तिर स्तवान विश्पते ॥
स्वर रहित पद पाठइन्द्र । प्र । न: । धितऽवानम् । यज्ञम् । विश्वेभि: । देवेभि: । तिर। स्तवान । विश्पते ॥६.३॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
राजा और प्रजा के विषय का उपदेश।
पदार्थ
(स्तवान) हे बड़ाई किये गये ! (विश्पते) हे प्रजापालक ! (इन्द्रः) हे इन्द्र ! [बड़े ऐश्वर्यवाले राजन्] (विश्वेभिः) सब (देवेभिः) विद्वानों के साथ (नः) हमारे लिये (धितवानम्) सेवनीय धन धारण करानेवाले (यज्ञम्) यज्ञ [विद्वानों के सत्कार, सत्सङ्ग और दान] को (प्र तिर) बढ़ा ॥३॥
भावार्थ
प्रजापालक राजा विद्वानों के साथ विद्या आदि श्रेष्ठ कर्मों की उन्नति करके प्रजा का ऐश्वर्य बढ़ावे ॥३॥
टिप्पणी
३−(इन्द्रः) (प्र तिर) वर्धय (नः) अस्मभ्यम् (धितवानम्) धि धृतौ-क्त+वन सेवने-घञ्। धितो धृतो वानः सेवनीयं धनं यस्मात् तम् (यज्ञम्) देवपूजासंगतिकरणदानव्यवहारम् (विश्वेभिः) सर्वैः (देवेभिः) विद्वद्भिः (स्तवान) ष्टुञ् स्तुतौ-शानच्, छान्दसं रूपम्, कर्मणि कर्तृप्रत्ययः। हे स्तूयमान (विश्पते) हे प्रजापालक ॥
विषय
'धितावानं' यज्ञम्
पदार्थ
१. हे (इन्द्र) = परमैश्वर्यशालिन् देवसम्राट् ! (विश्पते) = सब प्रजाओं के पालक । (स्तवान) = स्तुति किये जाते हुए प्रभो! आप (न:) = हमारे (यज्ञम्) = इस जीवन-यज्ञ को (विश्वेभिः देवेभिः) = सब देवों के द्वारा (प्रतिर) = बढ़ाइए, जोकि (धितावानम्) = सोम के धारणवाला है। वस्तुत: इस सोम के धारण ने ही हमारे जीवन को दिव्यगुणयुक्त व दीर्घ बनाना है।
भावार्थ
प्रभु-स्तवन करते हुए हम इस जीवन-यज्ञ को दिव्यगुणसम्पन्न बनाएँ। इसे सोम रक्षण द्वारा खूब दीर्घकाल तक चलनेवाला करें।
भाषार्थ
(स्तवान) हे वेदों के द्वारा जीवन-मार्ग का उपदेश देनेवाले, (विश्पते) प्रजाओं के स्वामी, (इन्द्र) परमेश्वर! आप (विश्वेभिः देवेभिः) समग्र दिव्य शक्तियों द्वारा (नः) हमारे (धितावानम्) हितकर (यज्ञम्) उपासना-यज्ञ को (प्र तिर) बढ़ाइए, प्रगति दीजिए।
इंग्लिश (4)
Subject
Indr a Devata
Meaning
Indra, lord of might and majesty, ruler and protector of the people, celebrated defender of truth and rectitude, destroyer of darkness and evil, come with all the nobilities of humanity and promote and perfect this yajna of ours so that it overflows with the bounties of life and nature for all.
Translation
O mighty king, you are the master of the subject and respected by all. You please strengthen our Yajnas with all the learned people.
Translation
O mighty king, you are the master of the subject and respected by all. You please strengthen our Yajnas with all the learned people.
Translation
O Lord of all fortunes, praises and subjects, enhance our sacrifice, showering riches and wealth, with the help of all the forces of nature.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
३−(इन्द्रः) (प्र तिर) वर्धय (नः) अस्मभ्यम् (धितवानम्) धि धृतौ-क्त+वन सेवने-घञ्। धितो धृतो वानः सेवनीयं धनं यस्मात् तम् (यज्ञम्) देवपूजासंगतिकरणदानव्यवहारम् (विश्वेभिः) सर्वैः (देवेभिः) विद्वद्भिः (स्तवान) ष्टुञ् स्तुतौ-शानच्, छान्दसं रूपम्, कर्मणि कर्तृप्रत्ययः। हे स्तूयमान (विश्पते) हे प्रजापालक ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
রাজপ্রজাবিষয়োপদেশঃ
भाषार्थ
(স্তবান) হে প্রশংশিত ! (বিশ্পতে) হে প্রজাপালক ! (ইন্দ্রঃ) হে ইন্দ্র ! [অনেক ঐশ্বর্যসম্পন্ন রাজন্] (বিশ্বেভিঃ) সকল (দেবেভিঃ) বিদ্বানদের সাথে (নঃ) আমাদের জন্য (ধিতবানম্) সেবনীয় ধারণ করায় যে (যজ্ঞম্) যজ্ঞ [বিদ্বানদের সৎকার, সৎসঙ্গ এবং দান] (প্র তির) বৃদ্ধি করো॥৩॥
भावार्थ
প্রজাপালক রাজার উচিত বিদ্বানদের সাথে বিদ্যা আদি শ্রেষ্ঠ কর্মের উন্নতি করে প্রজাদের ঐশ্বর্য বৃদ্ধি করুক ॥৩॥
भाषार्थ
(স্তবান) হে বেদ দ্বারা জীবন-মার্গের উপদেশক, (বিশ্পতে) প্রজাদের স্বামী, (ইন্দ্র) পরমেশ্বর! আপনি (বিশ্বেভিঃ দেবেভিঃ) সমগ্র দিব্য শক্তি দ্বারা (নঃ) আমাদের (ধিতাবানম্) হিতকর (যজ্ঞম্) উপাসনা-যজ্ঞ (প্র তির) বর্ধিত করুন, প্রগতি দান করুন।
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal