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अथर्ववेद के काण्ड - 8 के सूक्त 4 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 4/ मन्त्र 25
    ऋषिः - चातनः देवता - इन्द्रासोमौ, अर्यमा छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शत्रुदमन सूक्त
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    प्रति॑ चक्ष्व॒ वि च॒क्ष्वेन्द्र॑श्च सोम जागृतम्। रक्षो॑भ्यो व॒धम॑स्यतम॒शनिं॑ यातु॒मद्भ्यः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्रति॑ । च॒क्ष्व॒ । वि । च॒क्ष्व॒ । इन्द्र॑: । च॒ । सो॒म॒ । जा॒गृ॒त॒म् । रक्ष॑:ऽभ्य: । व॒धम् । अ॒स्य॒त॒म् । अ॒शनि॑म् । या॒तु॒मत्ऽभ्य॑: ॥४.२५॥ ११


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रति चक्ष्व वि चक्ष्वेन्द्रश्च सोम जागृतम्। रक्षोभ्यो वधमस्यतमशनिं यातुमद्भ्यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    प्रति । चक्ष्व । वि । चक्ष्व । इन्द्र: । च । सोम । जागृतम् । रक्ष:ऽभ्य: । वधम् । अस्यतम् । अशनिम् । यातुमत्ऽभ्य: ॥४.२५॥ ११

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 4; मन्त्र » 25
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    राजा और मन्त्री के धर्म का उपदेश।

    पदार्थ

    (प्रति चक्ष्व) प्रत्येक को देख, (वि चक्ष्व) विविध प्रकार देख, (इन्द्रः) हे सूर्य [समान राजन् !] (च) और (सोम) हे चन्द्र [समान मन्त्री !] (जागृतम्) तुम दोनों जागो। (रक्षोभ्यः) राक्षसों पर (वधम्) मारू हथियार और (यातुमद्भ्यः) पीड़ा स्वभाववालों पर (अशनिम्) वज्र (अस्यतम्) चलाओ ॥२५॥

    भावार्थ

    जिस प्रकार राजा और मन्त्री सुनीति से शत्रुओं का नाश करके प्रजापालन करते हैं, वैसे ही आचार्य शिष्य, पति-पत्नी, पिता-पुत्र आदि सुविद्या से आत्मदोष नाश करके आनन्दित हों ॥२५॥ इति द्वितीयोऽनुवाकः ॥

    टिप्पणी

    २५−(प्रति) प्रत्येकम् (चक्ष्व) पश्य (वि) विविधम् (चक्ष्व) (इन्द्रः) हे सूर्यवत्तेजस्विन् राजन् (च) (सोम) हे चन्द्रवच्छान्तिस्वभाव मन्त्रिन् (जागृतम्) अनिद्रौ भवतम् (रक्षोभ्यः) दुष्टेभ्यः (वधम्) मारकमायुधम् (अस्यतम्) प्रक्षिपतम् (अशनिम्) वज्रम् (यातुमद्भ्यः) पीडास्वभावेभ्यः ॥

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    विषय

    प्रतिचक्ष्व-विचक्ष्व

    पदार्थ

    १. हे (सोम) = शान्त स्वभाववाले न्यायाधीश। तू (च) = और (इन्द्रः) = यह शत्रुविद्रावक राजा (जागृतम्) = सदा जागते रहो-राष्ट्ररक्षा के लिए सदा सावधान रहो। (प्रतिचक्ष्व) = प्रत्येक दुष्ट को देखनेवाले होओ। (विचक्ष्व) = विशेषरूप से इनपर दृष्टि रक्खो, जिससे कि ये हमें पीड़ित न कर सकें। २. (रक्षोभ्य:) = इन राक्षसीवृत्तिवालों के लिए (वधम्) = हनन-साधन आयुध को (अस्यतम्) = फेंको। (यातमझ्य:) = पीड़ा देनेवालों के लिए (अशनिम्) = वज्र का प्रहार करो। राष्ट्र से राक्षसों व यातुधानों को दूर रखना इन 'इन्द्र और सोम' का मुख्य कर्तव्य है। राक्षसों व यातुधानों से राष्ट्ररक्षा के लिए इन्हें सदा जागरित व सावधान रहना चाहिए।

    भावार्थ

    'इन्द्र' राजा है, 'सोम' न्यायाधीश । इन्हें राष्ट्र में राक्षसी वृत्तिवालों पर दृष्टि रखनी चाहिए और उन्हें उचित दण्ड देकर राष्ट्र का रक्षण करना चाहिए।

    अगले सूक्त का ऋषि 'शुक्र' है। यह अपने अन्दर 'शुक्र' का रक्षण करता हुआ 'बीर्यवान्, सपनहा, शुरवीर, परिपाण व सुमंगल' बनता है -

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    भाषार्थ

    (सोम) हे सेनाध्यक्ष ! तू (प्रति) प्रत्येक राक्षस को (चक्ष्व) दृष्टिगत कर, उस की चेष्टाओं को देख, (वि चक्ष्व) तथा विविध प्रकार के राक्षसों को भी दृष्टिगत कर, उन की चेष्टाओं को देख। तू (च) और (इन्द्र) सम्राट् (जागृतम्) इन कार्यों में जागरूक रहो। (रक्षोभ्यः) राक्षसों अर्थात् (यातुमद्भ्यः) यातना देने वालों के प्रति (अशनिम्, वधम्) वधकारी वैद्युत वज्र (अस्यतम्) फैंको।

    टिप्पणी

    [सोम= सेनाध्यक्ष (मन्त्र १)। सेनाध्यक्ष का काम है कि वह प्रत्येक तथा नानाविध उपद्रवकारियों को निज दृष्टि में रखे। साम्राज्य की रक्षा के लिये सेनाध्यक्ष और सम्राट् दोनों को सदा जागरूक अर्थात् सावधान रहना चाहिये। दण्डप्रदान में सेनाध्यक्ष तथा सम्राट् की समान मति होनी चाहिये। ताकि सोम द्वारा दिये दण्ड में क्षमा प्रार्थना पर सम्राट् दण्ड क्षमा न करे]।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Destruction of Enemies

    Meaning

    Indra and Soma, lord of power and governance, peace and justice, watch every thing that happens and enlighten us too. Shine, reveal and proclaim what is happening and warn us too. Keep awake and watchful and let us rise too into awakenment. Shoot the arrow upon the demonic destroyers, strike the thunderbolt upon the covert saboteurs.

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    Translation

    O love-divine, may you and the Lord of resplendence severally watch, keep a vigil all around and cast forth your weapons at the malignant demoniac person and smite all of them with bolt who attack in disguise. (Also Rg. VII.104.25)

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    Translation

    O King! Look carefully the affairs of your state, O premier! Examine every matter of the state, with clear wit and thus both of you be watchful and aware. Cast your weapons against mischief-mongers and your deadly weapon against assailants.

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    Translation

    O King, take care of your enemies. O Commander-in-chief watch their movements. Ye, both should remain alert. Cast forth your weapon at the fiends: against the troublesome persons hurl your bolt.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २५−(प्रति) प्रत्येकम् (चक्ष्व) पश्य (वि) विविधम् (चक्ष्व) (इन्द्रः) हे सूर्यवत्तेजस्विन् राजन् (च) (सोम) हे चन्द्रवच्छान्तिस्वभाव मन्त्रिन् (जागृतम्) अनिद्रौ भवतम् (रक्षोभ्यः) दुष्टेभ्यः (वधम्) मारकमायुधम् (अस्यतम्) प्रक्षिपतम् (अशनिम्) वज्रम् (यातुमद्भ्यः) पीडास्वभावेभ्यः ॥

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