Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 8 > सूक्त 10 > पर्यायः 2

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 8/ सूक्त 10/ मन्त्र 4
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - विराट् छन्दः - एकपदा साम्नी पङ्क्तिः सूक्तम् - विराट् सूक्त

    ऊर्ज॒ एहि॒ स्वध॑ एहि॒ सूनृ॑त॒ एहीरा॑व॒त्येहीति॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ऊर्जे॑ । आ । इ॒हि॒ । स्वधे॑ । आ । इ॒हि॒ । सूनृ॑ते । आ । इ॒हि॒ । इरा॑ऽवति । आ । इ॒हि॒ । इति॑ ॥११.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ऊर्ज एहि स्वध एहि सूनृत एहीरावत्येहीति ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ऊर्जे । आ । इहि । स्वधे । आ । इहि । सूनृते । आ । इहि । इराऽवति । आ । इहि । इति ॥११.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 10; पर्यायः » 2; मन्त्र » 4

    पदार्थ -
    (ऊर्जे) हे बलवती ! (आ इहि) तू आ, (स्वधे) हे धन रखनेवाली ! (आ इहि) तू आ, (सूनृते) हे प्रिय सत्य वाणीवाली ! (आ इहि) तू आ, (इरावति) हे अन्नवाली ! (आ इहि) तू आ, (इति) बस” ॥४॥

    भावार्थ - सब लोक-लोकान्तर और प्राणी विराट् नाम ईश्वरशक्ति का आश्रय लेकर जीवनधारण करते हैं ॥४॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top