अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 11/ मन्त्र 4
ऋषिः - ब्रह्मा
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - त्रिष्टुप्
सूक्तम् - शान्ति सूक्त
1
आ॑दि॒त्या रु॒द्रा वस॑वो जुषन्तामि॒दं ब्रह्म॑ क्रि॒यमा॑णं॒ नवी॑यः। शृ॒ण्वन्तु॑ नो दि॒व्याः पार्थि॑वासो॒ गोजा॑ता उ॒त ये य॒ज्ञिया॑सः ॥
स्वर सहित पद पाठआ॒दि॒त्याः। रु॒द्राः। वस॑वः। जु॒ष॒न्ता॒म्। इ॒दम्। ब्रह्म॑। क्रि॒यमा॑णम्। नवी॑यः। शृ॒ण्वन्तु॑। नः॒। दि॒व्याः। पार्थि॑वासः। गोऽजा॑ताः। उ॒त। ये। य॒ज्ञिया॑सः ॥११.४॥
स्वर रहित मन्त्र
आदित्या रुद्रा वसवो जुषन्तामिदं ब्रह्म क्रियमाणं नवीयः। शृण्वन्तु नो दिव्याः पार्थिवासो गोजाता उत ये यज्ञियासः ॥
स्वर रहित पद पाठआदित्याः। रुद्राः। वसवः। जुषन्ताम्। इदम्। ब्रह्म। क्रियमाणम्। नवीयः। शृण्वन्तु। नः। दिव्याः। पार्थिवासः। गोऽजाताः। उत। ये। यज्ञियासः ॥११.४॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
इष्ट की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थ
(आदित्याः) अखण्ड ब्रह्मचारी, (रुद्राः) ज्ञानदाता और (वसवः) श्रेष्ठ विद्वान् लोग (इदम्) इस (क्रियमाणम्) सिद्ध होते हुए (नवीयः) अधिक नवीन (ब्रह्म) धन वा अन्न को (जुषन्ताम्) सेवें। (दिव्याः) दिव्य [कामनायोग्य] गुणवाले, (पार्थिवासः) पृथिवी के स्वामी (उत) और (गोजाताः) वाणी में प्रसिद्ध [सत्यवक्ता] पुरुष, (ये) जो (यज्ञियासः) पूजायोग्य हैं, (नः) हमारी [प्रार्थना] (शृण्वन्तु) सुनें ॥४॥
भावार्थ
मनुष्य धार्मिक विद्वानों को अच्छे प्रकार प्रसन्न करके मनोरथ सिद्ध करें ॥४॥
टिप्पणी
४−(आदित्याः) अदिति-ण्य। अखण्डब्रह्मचारिणः (रुद्राः) रुतो ज्ञानस्य रातारो दातारः (वसवः) श्रेष्ठपुरुषाः (जुषन्ताम्) सेवन्ताम् (इदम्) (ब्रह्म) धनमन्नं वा (क्रियमाणम्) सम्पाद्यमानम् (नवीयः) अधिकनूतनम् (शृण्वन्तु) (नः) अस्माकं प्रार्थनाम् (दिव्याः) दिवि कमनीये गुणे भवाः (पार्थिवासः) पृथिवीश्वराः (गोजाताः) गवि सत्यवाचि प्रसिद्धाः (उत) अपि (ये) (यज्ञियासः) पूजार्हाः ॥
विषय
वेदज्ञान का श्रवण व सेवन
पदार्थ
१. (आदित्याः) = ४८ वर्ष तक ब्रह्मचर्यपूर्वक अध्ययन करनेवाले 'आदित्य' विद्वान, (रुद्रा:) = ४४ वर्ष तक अध्ययन करनेवाले ये 'रुद्र' तथा (वसवः) = २४ वर्ष तक ब्रह्मचर्य का धारण करनेवाले ये 'वसु'(इदम्) = इस (क्रियमाणम्) = प्रत्येक सृष्टि के प्रारम्भ में दिये जानेवाले (नवीयः) = स्तुत्य ब्रह्म-वेदज्ञान को (जुषन्ताम्) = प्रीतिपूर्वक सेवन करें। २. (न:) = हममें से (दिव्या:) = ज्योतिर्मय मस्तिष्कवाले, (पार्थिवास:) = शरीररूप पृथिवी के स्वामी, (गोजाता:) = ज्ञान की वाणियों के अनुभव के लिए ही मानो जिनका जन्म हुआ है (उत) = और (ये) = जो (यज्ञियास:) = यज्ञियवृत्ति के हैं, वे सब इस वेदज्ञान को (शृण्वन्तु) = सुनें। वेदज्ञान ही पवित्रता व शान्ति देनेवाला है।
भावार्थ
हम सब वेदज्ञान को प्राप्त करने का प्रयत्न करें-इसी का प्रीतिपूर्वक सेवन करें। इसी को सुनने के लिए यत्नशील हों।
भाषार्थ
(आदित्याः) आदित्य ब्रह्मचारी, (रुद्राः) रुद्र ब्रह्मचारी (वसवः) तथा वसु ब्रह्मचारी (इदम्) इस (क्रियमाणम्) किये जा रहे (नवीयः) अतिस्तुत्य (ब्रह्म) ब्रह्मोपासनारूपी कर्म का (जुषन्ताम्) प्रीतिपूर्वक सेवन करें। और (ये) जो (दिव्याः) दिव्यगुणों वाले (पार्थिवासः) पृथिवीवासी (गोजाताः) वेदवाणी के प्रसिद्ध विद्वान्, (उत) और (यज्ञियासः) यज्ञाधिकारी तथा पूजार्ह ब्रह्मचारी-गण हैं, वे भी (नः) हमारी ब्रह्मोपासना का (शृण्वन्तु) श्रवण करें।
टिप्पणी
[गोजाताः=गौः=वाक् (निघं० १.११)+जाताः=प्रसिद्ध। या वेदवाणी के सेवन से द्विजन्मारूप से जन्म धारण किए हुए। ब्रह्म=ब्रह्माणि कर्माणि (निरु० १२.४.३४।)। नवीयः= स्तुत्य, नु स्तुतौ+ईयसुन्।]
इंग्लिश (4)
Subject
Shanti
Meaning
May the Aditya scholars of the highest order, Rudra scholars of the middle order, and Vasus of the basic order appreciate this latest song of homage being composed and offered to Divinity. May all revered and adorable sages and scholars of heavenly and earthly sciences arisen from the sacred Vedic voice, pray, listen to us and appreciate.
Translation
May the Cosmic suns, the cosmic winds, and the planets of abode be gratified by this new hymn; which we now repeat; may all the divines of celestial and terrestrial worlds, progeny of cows, and those who perform worship, hear our invocations. (Rg.VII.35.14)
Translation
May the enlightened and celibate persons called Aditya, rudra, and Vasu accept this food which has been prepared afresh or participate in our Yajna which has been newly arranged. May those men possess wonderful acumen, who are the masters of land, who are Prominent by their speech and who are respectable and performers of Yajna hear to us.
Translation
Let all the learned persons, observing celibacy for 48 years, 44 years and 24 years, respectively partake of this food or wealth which has newly been prepared or earned. Let the noble and respectable guardians of the land, born on the earth, listen to us.
Footnote
cf. Rig, 7.35.14. गोजाता well-known speakers or orators यज्ञियास: worthy to sit in sacrificial ceremonics.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
४−(आदित्याः) अदिति-ण्य। अखण्डब्रह्मचारिणः (रुद्राः) रुतो ज्ञानस्य रातारो दातारः (वसवः) श्रेष्ठपुरुषाः (जुषन्ताम्) सेवन्ताम् (इदम्) (ब्रह्म) धनमन्नं वा (क्रियमाणम्) सम्पाद्यमानम् (नवीयः) अधिकनूतनम् (शृण्वन्तु) (नः) अस्माकं प्रार्थनाम् (दिव्याः) दिवि कमनीये गुणे भवाः (पार्थिवासः) पृथिवीश्वराः (गोजाताः) गवि सत्यवाचि प्रसिद्धाः (उत) अपि (ये) (यज्ञियासः) पूजार्हाः ॥
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