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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 28 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 28/ मन्त्र 9
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - दर्भमणिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - दर्भमणि सूक्त
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    पिं॒श द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे पिं॒श मे॑ पृतनाय॒तः। पिं॒श मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ पिं॒श मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    पिं॒श। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। पिं॒श। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। पिं॒श। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। पिं॒श। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒ ॥२८.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    पिंश दर्भ सपत्नान्मे पिंश मे पृतनायतः। पिंश मे सर्वान्दुर्हार्दो पिंश मे द्विषतो मणे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    पिंश। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। पिंश। मे। पृतनाऽयतः। पिंश। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। पिंश। मे। द्विषतः। मणे ॥२८.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 28; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    सेनापति के लक्षणों का उपदेश।

    पदार्थ

    (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (पिंश) बोटी-बोटी कर, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (पिंश) बोटी-बोटी कर। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (पिंश) बोटी-बोटी कर, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (पिंश) बोटी-बोटी कर ॥९॥

    भावार्थ

    स्पष्ट है ॥९॥

    टिप्पणी

    ९−(पिंश) पिश अवयवे, मुचा० नुम्। अनेकावयवीकुरु ॥

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    विषय

    रोगों को पीस डालना

    भावार्थ

    शरीर में सुरक्षित वीर्य रोगों को पीस डालता है [पिश अवयवे]

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    भाषार्थ

    (दर्भ) हे शत्रुविदारक, (मणे) शिरोमणि सेनापति! (मे) मेरे (सपत्नान्) आन्तरिक-विद्रोहियों को (पिंश) टुकड़े-टुकड़े कर डाल। (मे) मेरे राष्ट्र पर (पृतनायतः) सेना द्वारा आक्रमण चाहनेवालों को (पिंश) टुकड़े-टुकड़े कर डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट-हार्दिक भावनाओंवालों को (पिंश) टुकड़े-टुकड़े कर डाल। (मे) मेरे (द्विषतः) द्वेषी=अमित्रों को (पिंश) टुकड़े-टुकड़े कर डाल।

    टिप्पणी

    [पिंश=पिश् अवयवे।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Darbha Mani

    Meaning

    O Darbha, crush all the rivals, crush all the adversaries acting against me. O Mani, crush all the evil at heart that work against me, crush all the jealousies against my system.

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    Translation

    Carve in, O darbha, my rivals; carve them in who invade me; carve in all my enemies; O blessing, carve them in who hate me.

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    Translation

    Let this good Darbha crush my enemies, let it crush my foe-men, let it crush all those who bear evil hearts for me and let it crush my adversaries.

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    Translation

    Let the darbha mani grind down the foes of mine and also those who come with the intention to fight. Let it also grind those who wish me evil and who hate me.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ९−(पिंश) पिश अवयवे, मुचा० नुम्। अनेकावयवीकुरु ॥

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