अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 132/ मन्त्र 11
दे॒वी ह॑न॒त्कुह॑नत् ॥
स्वर सहित पद पाठदे॒वी । ह॑न॒त् । कुह॑नत् ॥१३२.११॥
स्वर रहित मन्त्र
देवी हनत्कुहनत् ॥
स्वर रहित पद पाठदेवी । हनत् । कुहनत् ॥१३२.११॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
परमात्मा के गुणों का उपदेश।
पदार्थ
(देवी) देवी [उत्तम प्रजा, मनुष्य वा स्त्री] (पर्यागारम्) घर-घर पर (पुनःपुनः) बार-बार (हनत्) बजावे और (कुहनत्) चमत्कार दिखावे ॥११, १२॥
भावार्थ
चुने हुए विद्वान् मनुष्य और विदुषी स्त्रियाँ संसार में उत्तम उत्तम बाजों के साथ वेद-विद्या का गान करके आत्मा और शरीर की बल बढ़ानेवाली चमत्कारी क्रियाओं का प्रकाश करें ॥८-१२॥
टिप्पणी
११−(देवी) दिव्यगुणवती प्रजा (हनत्) (कुहनत्) कुह विस्मापने। विस्मापयेत्। चमत्कारं कुर्यात् ॥
विषय
फिर-फिर बन्धन में
पदार्थ
१. (देवी) = यह चमकती हुई प्रकृति ही हमारी क्रियाओं व अन्तर्नाद को (हनत्) = विनष्ट करती है और (कुहनत्) = बुरी तरह से विनष्ट करती है। यह हमें सुला-सा देती है [दिव् स्वप्ने] और विषय-कीड़ाओं में फैंसा देती है [दिव क्रीडायाम्]। उस समय हम अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं और अन्त:स्थित प्रभु की प्रेरणाओं को नहीं सुन पाते। २. इसका परिणाम यह होता है कि हम (पुनःपुनः) = फिर-फिर (परि आगारम्) = इस शरीर-गृह के ही भागी बनते हैं [परि-भागे]। हमें बार-बार इन शरीर-बन्धनों में आना पड़ता है-हम मुक्त नहीं हो पाते।
भावार्थ
प्रकृति-बन्धनों में फंसने पर मुक्ति सम्भव नहीं। प्रकृति का आकर्षण बन्धन का ही कारण बनता है।
भाषार्थ
(देवी हनत्) कोई दिव्यशक्ति डौंडी पीटती है, तो (कुहनत्) वह कहाँ पीटती है? [कुहनत्=कुह+हनत्।]
इंग्लिश (4)
Subject
Prajapati
Meaning
If it is divine Nature that blows the trumpet, where does it blow?
Translation
If a lady beat it, is a surprise.
Translation
If a lady beat it, js a surprise.
Translation
The self-same soul comes back again and again to his place of shelter, the body, (i.e., the cycle of births, deaths and rebirths of the soul goes on uninterrupted).
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
११−(देवी) दिव्यगुणवती प्रजा (हनत्) (कुहनत्) कुह विस्मापने। विस्मापयेत्। चमत्कारं कुर्यात् ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
পরমাত্মগুণোপদেশঃ
भाषार्थ
(দেবী) দেবী [উত্তম প্রজা, পুরুষ বা স্ত্রী] (পর্যাগারম্) প্রতি ঘরে-ঘরে (পুনঃপুনঃ) বার-বার (হনৎ) বাজাও এবং (কুহনৎ) চমৎকার দেখাও ॥১১, ১২॥
भावार्थ
মনোনীত বিদ্বান পুরুষ এবং বিদুষী নারী জগতে উত্তম উত্তম বাদ্যের সহিত বেদ-বিদ্যা গান করে আত্মা এবং শরীরের বল বৃদ্ধিকারী বিবিধ ক্রিয়ার প্রকাশ করুক ॥৮-১২॥
भाषार्थ
(দেবী হনৎ) কোনো দিব্যশক্তি দুন্দুভি বাজায়, তবে (কুহনৎ) কোথায় বাজায়? [কুহনৎ=কুহ+হনৎ।]
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