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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 87 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 87/ मन्त्र 4
    ऋषिः - वसिष्ठः देवता - इन्द्रः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - सूक्त-८७
    1

    यद्यो॒धया॑ मह॒तो मन्य॑माना॒न्साक्षा॑म॒ तान्बा॒हुभिः॒ शाश॑दानान्। यद्वा॒ नृभि॒र्वृत॑ इन्द्राभि॒युध्या॒स्तं त्वया॒जिं सौ॑श्रव॒सं ज॑येम ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यत् । यो॒धया॑: । म॒ह॒त: । मन्य॑मानान् । साक्षा॑म । तान् । बा॒हुभि॑: । शाश॑दानान् ॥ यत् । वा॒ । नृऽभि॑ । वृत॑: । इ॒न्द्र॒ । अ॒भि॒ऽयुध्या॑: । तम् । त्वया॑ । आ॒जिम‌् । सौ॒श्र॒व॒सम् । ज॒ये॒म॒ ॥८७.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यद्योधया महतो मन्यमानान्साक्षाम तान्बाहुभिः शाशदानान्। यद्वा नृभिर्वृत इन्द्राभियुध्यास्तं त्वयाजिं सौश्रवसं जयेम ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यत् । योधया: । महत: । मन्यमानान् । साक्षाम । तान् । बाहुभि: । शाशदानान् ॥ यत् । वा । नृऽभि । वृत: । इन्द्र । अभिऽयुध्या: । तम् । त्वया । आजिम‌् । सौश्रवसम् । जयेम ॥८७.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 87; मन्त्र » 4
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    पुरुषार्थी के लक्षण का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्र) हे इन्द्र ! [महाप्रतापी शूर] (यत्) जो तू (महतः मन्यमानान्) अपने को बड़े माननेवालों से [हमको] (योधयाः) लड़ावे, (तान्) उन (शाशदानान्) तीक्ष्ण स्वभाववालों को (बाहुभिः) अपनी भुजाओं से (साक्षाम) हम हरावें। (यत् वा) अथवा (नृभिः) नरों से (वृतः) अङ्गीकार किया हुआ (अभियुध्याः) तू युद्ध करे, (त्वया) तेरे साथ [होकर] (तम्) उस (सौश्रवसम्) बड़े यश वा अन्न देनेवाले (आजिम्) सङ्ग्राम को (जयेम) हम जीतें ॥४॥

    भावार्थ

    मनुष्य सत्य सङ्कल्प के साथ आप कर्मकुशल होकर और दूसरों को कर्मकुशल बनाकर संसार में विजय प्राप्त करें ॥४॥

    टिप्पणी

    ४−(यत्) यदि (योधयाः) योधयेः। युद्धं कारयेः-अस्मान् (महतः) पूजनीयान् (मन्यमानान्) जानतः पुरुषान् (साक्षाम) सहेम। अभिभवेम (तान्) (बाहुभिः) भुजैः (शाशदानान्) अ० १।१०।१। शद्लृ शातने-यङ्लुकि शानच्। तीक्ष्णस्वभावान् (यत् वा) यद्वा। अथवा (नृभिः) नेतृभिः (वृतः) स्वीकृतः (इन्द्र) महाप्रतापिन् शूर (अभियुध्याः) अभियुध्येथाः (तम्) प्रसिद्धम् (त्वया) शूरेण सह (आजिम्) सङ्ग्रामम् (सौश्रवसम्) शोभनस्य श्रवसो यशसेऽन्नस्य वा हेतुम् (जयेम) ॥

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    विषय

    प्राणसाधना+प्रभु-स्मरण-विजय

    पदार्थ

    १. हे (इन्द्र) = सब शत्रुओं का विद्रावण करनेवाले प्रभो! आप (यत्) = जब (महत: मन्यमानान्) = अपने को बड़ा माननेवाले शत्रुओं के साथ (योधया) = हमें युद्ध कराते हैं तब हम (तान्) = उन (शाशदानान्) = हिंसन करते हुए शत्रुओं को (बाहुभिः) = बाहुओं से (साक्षाम) = अभिभूत करते हैं। प्रभु-स्मरणपूर्वक युद्ध करते हुए हम शत्रुओं को पराजित करते हैं। २. (यद्वा) = अथवा (नृभिः वृत:) = हमें उन्नत करनेवाले [न नये] इन प्राणों से आवृत [घिरे] हुए-हुए आप (अभियुध्या:) = हमारे शत्रुओं से युद्ध करते हैं तब हम (त्वया) = आपके द्वारा (तम्) = उस (सौश्रवसम्) = उत्तम यश के हेतुभूत (आजिम्) = युद्ध को (जयेम) = जीतनेवाले होते हैं। प्राणों से आवृत्त हुए-हुए प्रभु' का भाव यही है कि हम प्राणसाधना के साथ प्रभु-स्मरण करनेवाले बनें। 'प्राणसाधना+प्रभु-स्मरण-विजय' इस सूत्र को हम न भूलें।

    भावार्थ

    हम प्रभु की सहायता से अभिमानी शत्रुओं का पराजय कर पाते हैं। प्राणसाधना व प्रभु-स्मरण हमें यशस्वी व विजय प्राप्त करानेवाले होते हैं।

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    भाषार्थ

    (मन्यमानान्) अपनी शक्तियों के अभिमानवाले, (महतः) महाशक्तिशाली कामादि के साथ (यद् योधय) युद्ध में, जब आपने हमें भिड़ा दिया है, तब (बाहुभिः) मानो निज बाहुओं के द्वारा, बलों द्वारा, (शाशदानान्) हमारा विनाश करते हुए (तान्) उन कामादि का (साक्षाम) हम पराभव कर देते हैं (यद् वा) अथवा (नृभिः) उपासक-नेताओं द्वारा (वृतः) वरण किये गये (इन्द्र) हे परमेश्वर! जब आप, (अभियुध्याः) कामादि पर साक्षात् स्वयं प्रहार करते हैं, तब (त्वया) आप की सहायता द्वारा, (तं आजिम्) उस देवासुर-संग्राम पर (जयेम) हम विजय पा लेते हैं। और (सौश्रवसं जयेम) उत्तम-यश को प्राप्त करते हैं। [युध संप्रहारे।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    India Devata

    Meaning

    When you fight against those who attack, believing they are great, we shall fight out those violent enemies with arms even in hand to hand fight. And when in formation with your warring heroes around, you engage in contests, then with you we shall win that contest with honour and fame.

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    Translation

    O mighty king; if you make us fight the sharp-natured men arrogating them of their greatness we will subdue them with our arms. If you surrounded by men fight the battle we will conquer the glorious fray with you.

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    Translation

    O mighty king, if you make us fight the sharp-natured men arrogating them of their greatness we will subdue them with our arms. If you surrounded by men fight the battle we will conquer the glorious fray with you.

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    Translation

    O Mighty Lord of Destruction, king or commander, whenever Thou presentest an occasion to fight the tearing forces of the enemies, priding themselves to be superior, we may be able to vanquish them by force of our arm. And whenever being surrounded by efficient leaders, Thou thyself smashest them, we may win that war, full of glory and fortunes.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ४−(यत्) यदि (योधयाः) योधयेः। युद्धं कारयेः-अस्मान् (महतः) पूजनीयान् (मन्यमानान्) जानतः पुरुषान् (साक्षाम) सहेम। अभिभवेम (तान्) (बाहुभिः) भुजैः (शाशदानान्) अ० १।१०।१। शद्लृ शातने-यङ्लुकि शानच्। तीक्ष्णस्वभावान् (यत् वा) यद्वा। अथवा (नृभिः) नेतृभिः (वृतः) स्वीकृतः (इन्द्र) महाप्रतापिन् शूर (अभियुध्याः) अभियुध्येथाः (तम्) प्रसिद्धम् (त्वया) शूरेण सह (आजिम्) सङ्ग्रामम् (सौश्रवसम्) शोभनस्य श्रवसो यशसेऽन्नस्य वा हेतुम् (जयेम) ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    পুরুষার্থিলক্ষণোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে ইন্দ্র ! [মহাপ্রতাপী বীর] (যৎ) যদি তুমি (মহতঃ মন্যমানান্) নিজেকে শ্রেষ্ঠ মান্যকারীর সাথে [আমাদের] (যোধয়াঃ) যুদ্ধ করাও তবে (তান্) সেই (শাশদানান্) তীক্ষ্ণ স্বভাবযুক্ত পুরুষদের (বাহুভিঃ) নিজ বাহুবল দ্বারা (সাক্ষাম) আমরা পরাজিত করবো। (যৎ বা) অথবা (নৃভিঃ) শ্রেষ্ঠ নেতৃত্ব দ্বারা (বৃতঃ) অঙ্গীকার কৃত/স্বীকৃত (অভিয়ুধ্যাঃ) তুমি যুদ্ধ করো, (ত্বয়া) তোমার সাথে [হয়ে] (তম্) সেই (সৌশ্রবসম্) মহৎ যশ বা অন্নযুক্ত (আজিম্) সংগ্রাম (জয়েম) আমরা জয় করি॥৪॥

    भावार्थ

    মনুষ্য সত্য সঙ্কল্পের সহিত স্বয়ং কর্মকুশল হয়ে এবং অন্যকেও কর্মকুশল করে সংসারে বিজয় প্রাপ্ত করে/করুক ॥৪॥

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    भाषार्थ

    (মন্যমানান্) নিজের শক্তির অভিমানী, (মহতঃ) মহাশক্তিশালী কামাদির সাথে (যদ্ যোধয়) যুদ্ধে, যখন আপনি আমাদের সংগ্রামে লিপ্ত করেছেন, তখন (বাহুভিঃ) মানো নিজ বাহু দ্বারা, বল দ্বারা, (শাশদানান্) আমাদের বিনাশ করে (তান্) সেই কামাদিকে (সাক্ষাম) আমরা পরাজিত করি (যদ্ বা) অথবা (নৃভিঃ) উপাসক-নেতাদের দ্বারা (বৃতঃ) বরণীয় (ইন্দ্র) হে পরমেশ্বর! যখন আপনি, (অভিয়ুধ্যাঃ) কামাদির ওপর সাক্ষাৎ স্বয়ং প্রহার করেন, তখন (ত্বয়া) আপনার সহায়তা দ্বারা, (তং আজিম্) সেই দেবাসুর-সংগ্রামে (জয়েম) আমরা বিজয় প্রাপ্ত করি। এবং (সৌশ্রবসং জয়েম) উত্তম-যশ প্রাপ্ত করি। [যুধ সম্প্রহারে।]

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