अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 38/ मन्त्र 6
ऋषिः - बादरायणिः
देवता - वाजिनीवान् ऋषभः
छन्दः - त्रिष्टुप्
सूक्तम् - वाजिनीवान् ऋषभ सूक्त
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अ॒न्तरि॑क्षेण स॒ह वा॑जिनीवन्क॒र्कीं व॒त्सामि॒ह र॑क्ष वाजिन्। इ॒मे ते॑ स्तो॒का ब॑हु॒ला एह्य॒र्वाङि॒यं ते॑ क॒र्कीह ते॒ मनो॑ऽस्तु ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒न्तरि॑क्षेण । स॒ह । वा॒जि॒नी॒ऽव॒न् । क॒र्कीम् । व॒त्साम् । इ॒ह । र॒क्ष॒ । वा॒जि॒न् । इ॒मे । ते॒ । स्तो॒का: । ब॒हु॒ला: । आ । इ॒हि॒ । अ॒र्वाङ् । इ॒यम् । ते॒ । क॒र्की । इ॒ह । ते॒ । मन॑: । अ॒स्तु॒ ॥३८.६॥
स्वर रहित मन्त्र
अन्तरिक्षेण सह वाजिनीवन्कर्कीं वत्सामिह रक्ष वाजिन्। इमे ते स्तोका बहुला एह्यर्वाङियं ते कर्कीह ते मनोऽस्तु ॥
स्वर रहित पद पाठअन्तरिक्षेण । सह । वाजिनीऽवन् । कर्कीम् । वत्साम् । इह । रक्ष । वाजिन् । इमे । ते । स्तोका: । बहुला: । आ । इहि । अर्वाङ् । इयम् । ते । कर्की । इह । ते । मन: । अस्तु ॥३८.६॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
परमेश्वर के गुणों का उपदेश।
पदार्थ
(अन्तरिक्षेण सह) सब में दृश्यमान सामर्थ्य के साथ (वाजिनीवन्) हे अन्नवती वा बलवती क्रियावाले, (वाजिन्) हे बलवान् परमेश्वर ! (इह) यहाँ पर (कर्कीम्) अपनी बनानेवाली और (वत्साम्) निवास देनेवाली शक्ति की (रक्ष) रक्षा कर। (इमे) यह सब (ते) तेरे (स्तोकाः) अनुग्रह (बहुलाः) बहुत पदार्थ देनेवाले हैं। (अर्वाङ्) सन्मुख (एहि) तू आ। (इयम्) यह (ते) तेरी (कर्की) रचना शक्ति है। (इहि) इसमें (ते) तेरा (मनः) मनन (अस्तु) होवे ॥६॥
भावार्थ
परमेश्वर ने अपनी व्यापकता और कृपा से सब संसार हमारे लिये रचा है। हम उसका मनन करके सदा सुखी रहें ॥६॥
टिप्पणी
६−(अन्तरिक्षेण) सर्वमध्यदृश्यमानेन सामर्थ्येन (सह) (वाजिनीवन्) वाजिनी अन्नवती बलवती वा क्रिया तया तद्वन् (कर्कीम्) कृदाधा०। उ० ३।४०। इति डुकृञ्-क, ङीप्। कर्त्त्रीं शक्तिम् (वत्साम्) वृतॄवदिवचिवसि०। उ० ३।६२। इति वस निवासे-स। निवासयित्रीम् (इह) अस्मिन् शरीरे (रक्ष) पालय (वाजिन्) हे बलवन् (इमे) दृश्यमानाः (ते) तव (स्तोकाः) ष्टुच प्रसादे-घञ्। प्रसादाः। अनुग्रहाः। यद्वा। आद्यन्तविपर्ययो भवति, स्तोकाः-निरु० २।१। इति श्चुतिर् क्षरणे-घञ्। विन्दवः (बहुलाः) अ० ३।१४।६। वृद्धिशीलाः। बहुदातारः (एहि) आगच्छ (अर्वाङ्) अभिमुखः (इयम्) (ते) (कर्की) कर्त्री शक्तिः (इह) (ते) (मनः) मननम्। विज्ञानम् (अस्तु) भवतु ॥
विषय
आदर्श पति
पदार्थ
१. पत्नी पति से कहती है कि हे (वाजिनीवन) = प्रशस्त उषावाले (वाजिन्) = बलवाले-उषा में प्रबुद्ध होनेवाले सबल पते! (अन्तरिक्षेण सह) = सदा मध्यमार्ग में चलने के साथ, अर्थात् मर्यादित जीवनवाला होते हुए (इह) = इस गृहस्थजीवन में अपनी (कर्कीम्) = शुद्ध जीवनवाली [श्वेत घोड़ी] की भाँति शुद्ध, पवित्र व क्रियाशील (वत्साम्) = प्रिय व प्रात: प्रबुद्ध होने पर प्रभु-स्तोत्रों का उच्चारण करनेवाली [वदति] इस पत्नी का (रक्ष) = तू रक्षण करनेवाला है। २. (इमे) = ये (ते) = तेरे (स्तोका) = [खुच् घञ् स्तोचते to be light, to shine] दीप्त-[शानदार]-कर्म (बहुला:) = बहुत समृद्धियों को प्राप्त करानेवाले हों। तू यहाँ (अर्वाङ् एहि) = घर की ओर ही आनेवाला हो–क्लब आदि में जानेवाला न बन जाए। (इयम्) = यह (ते) = तेरी की-शुद्ध, क्रियाशील पत्नी है। (इह) = यहाँ घर में ही ते (मनः अस्तु) = तेरा मन हो। तेरे लिए घर का वातावरण मनःप्रसाद देनेवाला हो।
भावार्थ
पत्नी चाहती है कि उसका पति [क] मर्यादित जीवनवाला हो, [ख] उषा में प्रबुद्ध होनेवाला हो [ग] वस्तुत: गृहरक्षक हो, [घ] शुद्ध कर्मों से गृह को समृद्ध करनेवाला हो-घर में अशुद्ध कमाई न आये, [ङ] घर का वातावरण उसके लिए मनःप्रसाद-जनक हो क्लब-लाइफ़वाला न हो।
भाषार्थ
(वाजिनीवन्) हे अन्नसम्पना पत्नीवाले! (अन्तरिक्षण सह) अन्तरिक्षस्थ सूर्य के साथ (कर्कीम्) क्रियाशीला (वत्साम्) बछड़ी की (इह) इस गोशाला में (रक्ष) रक्षा कर, (वाजिन्) हे अन्नवाले पति ! ताकि (ते) तेरे लिए (इमे) ये (स्तोकाः) अल्प दुग्ध विन्दु (बहुला:) बहुत हो जाएँ। (अर्वाक्) इधर अर्थात् स्तोक-बिन्दुओं को बहुल करने के लिए (एहि) आ, (इयम्) यह (कर्की) क्रियाशीला वत्सा (ते) तेरी है, अतः (इह) इस गोशाला में (ते) तेरा (मनः अस्तु) मन हो, रुचि हो।
टिप्पणी
[पत्नी अन्नसम्पन्ना है, और तू अन्नसम्पन्ना पत्नी का पति भी अन्नसम्पन्न है [वाजिन्!] अतः अन्न द्वारा,-उत्पन्न हुई बछड़ियों की-रक्षा करने में, तुम दोनों, समर्थ हो। अन्तरिक्षस्थ सूर्य के उदय होने के साथ अर्थात् प्रातःकाल में तुम दोनों गोसेवा के लिए तैयार हुआ करो, और इस निमित्त तुम्हारा मन हो। ताकि स्तोकबिन्दु अर्थात् अल्प दुग्धधाराएँ बहुत परिमाण में हो जाएँ। मन्त्र में वत्सा की रक्षा का कथन हुआ है। यह ही सुशिक्षित हुई गौ बनकर दुग्ध के परिमाण को बढ़ा देगी। कर्की= कृ (करणे), यङ् लुकि, 'ड:' औणादिक: "स्त्रियाम्"। कर्की= कर्कवर्णा शुभ्रा गौः (सायण)। कर्क:= दर्भ: (दशपाद्युणादिवृत्ति, ३।१८), अत: कर्की है सम्भवत: दर्भ खानेवाली वत्सा। दर्भ को मन्त्र ७ में 'घासः' कहा है, वत्सा के खाने के लिए।]
विषय
चितिशक्ति का वर्णन।
भावार्थ
हे (वाजिनीवन्) चिति शक्ति, बुद्धि शक्ति के स्वामिन् ! हे (वाजिन्) ज्ञानवान् ! तू (अन्तरिक्षेण सह) भीतर निवास करने वाले उस प्रभु के साथ मिल कर (कर्की वत्साम्) कर्कवर्णा, शुभ्र ज्योतिष्मती, विशोका (वत्सा) बछड़ी के समान सुशील एवं देहरूप गृह में बसने वाली इस चिति शक्ति को (इह) इस समाधि दशा में (रक्ष) स्थिर रख। (इमे) ये (स्तोकाः) स्वल्प आनन्द बिन्दु भी (ते) तेरे लिये (बहुलाः) बहुत आनन्दप्रद हैं। हे आत्मन् (एहि अर्वाक्) आ, साक्षात् दर्शन दे । हे आत्मन् योगिन् ! (इयं) यह प्रत्यक्ष सूर्य के समान चमकने वाली (ते) तेरी (कर्की) सूर्या, उषा, दिव्य विशोका, ज्योतिष्मती, ऋतम्भरा या विवेकख्याति है। (ते मनः) तेरी मननशक्ति, मन (इह अस्तु) इसी में लगा रहे।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
बादरायणिर्ऋषिः। अप्सरो ग्लहाश्च देवताः। १, २ अनुष्टुभौ। ३ षट्पदा त्र्यवसाना जगती। ५ भुरिग् जगत्यष्टिः। ६ त्रिष्टुप्। ७ त्र्यवसाना पञ्चपदाऽनुष्टुव् गर्भा परोपरिष्टात् ज्योतिष्मती जगती। सप्तर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Shakti, Shaktivan
Meaning
O lord omnipresent commander of omnipotence, come with universal bliss, bless this happy vibrant soul, your darling child. These sparks of light and exuberant showers of bliss are vibrations of your presence. Come direct, let your power and presence be here. This mind and intelligence is dedicated to you. Let the power and presence abide here.
Translation
Along with the air, O possessor of powerful rays, O mighty - one, preserve this white she-calf here. These are the abundant streams of milk and clarified butter for you. May you come hither. This is your white she-calf. May your heart - (affection) lie here.
Translation
Let this exceedingly powerful sun, with air preserve its power of splendor and operation in this world. Let these light particles be abundantly beneficial, let it come into our distinctive Knowledge and let the Operating power of the sun be for our advantage and it be the centre of it.
Translation
O strong, resolute person, guard here the handsome child with heart-felt love. These little kinds are the source of manifold pleasures for thee. Come hither. Here is the result of thy creative power. Concentrate thy mind on fostering this child.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
६−(अन्तरिक्षेण) सर्वमध्यदृश्यमानेन सामर्थ्येन (सह) (वाजिनीवन्) वाजिनी अन्नवती बलवती वा क्रिया तया तद्वन् (कर्कीम्) कृदाधा०। उ० ३।४०। इति डुकृञ्-क, ङीप्। कर्त्त्रीं शक्तिम् (वत्साम्) वृतॄवदिवचिवसि०। उ० ३।६२। इति वस निवासे-स। निवासयित्रीम् (इह) अस्मिन् शरीरे (रक्ष) पालय (वाजिन्) हे बलवन् (इमे) दृश्यमानाः (ते) तव (स्तोकाः) ष्टुच प्रसादे-घञ्। प्रसादाः। अनुग्रहाः। यद्वा। आद्यन्तविपर्ययो भवति, स्तोकाः-निरु० २।१। इति श्चुतिर् क्षरणे-घञ्। विन्दवः (बहुलाः) अ० ३।१४।६। वृद्धिशीलाः। बहुदातारः (एहि) आगच्छ (अर्वाङ्) अभिमुखः (इयम्) (ते) (कर्की) कर्त्री शक्तिः (इह) (ते) (मनः) मननम्। विज्ञानम् (अस्तु) भवतु ॥
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