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अथर्ववेद के काण्ड - 7 के सूक्त 12 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 12/ मन्त्र 2
    ऋषिः - शौनकः देवता - सभा छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शत्रुनाशन सूक्त
    4

    वि॒द्म ते॑ सभे॒ नाम॑ न॒रिष्टा॒ नाम॒ वा अ॑सि। ये ते॒ के च॑ सभा॒सद॑स्ते मे सन्तु॒ सवा॑चसः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वि॒द्म । ते॒ । स॒भे॒ । नाम॑ । न॒रिष्टा॑ । नाम॑ । वै । अ॒सि॒ । ये । ते॒ । के । च॒ । स॒भा॒ऽसद॑: । ते । मे॒ । स॒न्तु॒ । सऽवा॑चस: ॥१३.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विद्म ते सभे नाम नरिष्टा नाम वा असि। ये ते के च सभासदस्ते मे सन्तु सवाचसः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    विद्म । ते । सभे । नाम । नरिष्टा । नाम । वै । असि । ये । ते । के । च । सभाऽसद: । ते । मे । सन्तु । सऽवाचस: ॥१३.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 7; सूक्त » 12; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    सभापति के कर्तव्यों का उपदेश।

    पदार्थ

    (सभे) हे सभा ! (ते) तेरा (नाम) नाम (विद्म) हम जानते हैं, तू (नरिष्टा) नरों की इष्ट देवी (वै) ही (नाम) नामवाली (असि) है। (न) और (ये के) जो कोई (ते) तेरे (सभासदः) सभासद् हैं, (ते) वे सब (मे) मेरे लिये (सवाचसः) एकवचन (सन्तु) होवें ॥२॥

    भावार्थ

    उसी सभा से मनुष्यों का इष्ट सिद्ध होता है, जहाँ पर सभापति और सभासद् एक मन होकर धर्म का प्रचार करते हैं ॥२॥

    टिप्पणी

    २−(विद्म) अ० १।२।१। वयं जानीमः (ते) तव (सभे) (नाम) नामधेयम् (नरिष्टा) नर+इष्टा। शकन्ध्वादिषु पररूपं वाच्यम्। वा० पा० ६।१।९४। इति पररूपम्। नराणामिष्टा हिता (नाम) नाम्ना (वै) खलु (असि) वर्तसे (ये के) ये केचित् (ते) तव (सभासदः) सभ्याः (ते) सामाजिकाः (मे) मह्यम् (सन्तु) (सवाचसः) समानवाक्याः। एकवचनाः ॥

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    विषय

    नरिष्टा

    पदार्थ

    हे (सभे) = सभे! (ते नाम विद्य) = तेरा नाम हम जानते हैं। तु वा निश्चय से (नरिष्टा नाम असि) = [न रिष्टा]'न हिंसित होनेवाली' इस नामावाली है। प्रजा से चुनी गई इस सभा को राजा अपनी मनमानी से भंग नहीं कर सकता। इसी से तु 'नर इष्टा' प्रजास्थ लोगों की प्रिय है। (ये के च) = जो कोई भी (ते सभासदः) = तेरे सभासद हैं, (ते) = वे (मे) = मेरे लिए (सवाचसः) = मिलकर वचनवाले, एक सम्मतिवाले (सन्तु) = हों। उनकी सम्मतियाँ परस्पर विरुद्ध होकर मेरी परेशानी का कारण न बनें।

    भावार्थ

    सभा 'मरिष्टा' है-मनुष्यों की इष्ट है, उन्होंने ही इसके सदस्यों को चुना है। इसी से यह 'नरिष्टा' अहिंसित है, राजा अपनी इच्छा से इसे भंग नहीं कर सकता। सभासदों को चाहिए कि वे विचार करके राजा को एक ही सम्मति दें।

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    भाषार्थ

    (सभे) हे लोकसभा ! (ते) तेरे (नाम) नाम को (विद्म) हम जानते हैं, (वै) निश्चय से (नरिष्टा नाम) साम्राज्य के नर-नारियों द्वारा तू इष्ट (असि) है, चाही हुई है। (ते) तेरे (ये के च) जो कोई भी (सभासदः) सभासद् हैं (ते) वे (मे) मुझ सभापति के लिये (सवाचसः) एक वाणी वाले (सन्तु) हों।

    टिप्पणी

    [मन्त्र में लोकसभा का वर्णन है। वह "नरिष्टा" है, "नृ इष्टा" नर-नारियों को अभीष्ट है, उन द्वारा चाही हुई है। संवाचसः= संविदानाः (मन्त्र १)। एकवाणी= सब की एक सम्मति।]

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    विषय

    सभा समिति बनाने का उपदेश।

    भावार्थ

    (हे सभे) सभास्थ पुरुषो ! आप लोगों की यह सभा है इसके (नाम) नमाने के बल अर्थात् दूसरों पर बल डालकर अपनी बात स्वीकार करा लेने के बल को इन (विद्म) जानें। हे सभे ! सभास्थ पुरुषो ! यह सभा (नरिष्टा नाम वा असि) नरिष्टा या अहिंसिता, कभी भी न दबने वाली है, इसकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। इसलिये इस सभा के बीच में (ये के च) जो कोई भी (सभासदः) सभासद्, विद्वान् पुरुष विराजमान हैं (ते) वे सब (मे) मुझ, मुख्य सभापति या प्रधान या राजा या राज-प्रतिनिधि के साथ (स-वाचसः) समान वचन होकर, एक वाणी होकर (सन्तु) रहें। जिससे एक मन होकर बलपूर्वक अपना कार्य करें। सभा एकमत होकर सभापति को अपना वक्तव्य कहे और वह निश्चय बलपूर्वक कार्य में लाया जाय।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    शौनक ऋषिः। सभा देवता। १, २ सरस्वती। ३ इन्द्रः। ४ मन्त्रोक्तं मनो देवता। अनुष्टुप्छन्दः। चतृर्ऋचं सूक्तम्।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    The Assembly

    Meaning

    O Sabha, we know you well in reality, you are the adorable favourite of the people. Therefore, whoever be your members, they should speak supportingly in unison.

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    Subject

    Sabha

    Translation

    O assembly (sabha) of the learned, we know your name. Verily, you are not to be over-ruled. Whoever are your members, may they be of one speech with me.

    Comments / Notes

    MANTRA NO 7.13.2AS PER THE BOOK

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    Translation

    I we know the power and nature of the assembly, it is called Naristha, that which is desired by the people or which remains ever unconquered. Let all the members join this assembly, stand in full agreement with me.

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    Translation

    We know thy name, o Assembly; thy name is Narishta. Let all the members who join the Assembly agree with me.

    Footnote

    Narishta has got double significance नरै:इस्ट liked by leaders. Leading persons like the Legislature, as it protects the rights of the people, and through them their grievances are ventilated and conveyed to the king. The second meaning of the word is (न-रिस्टा) not violent. The Legislature does not violate the fundamental human rights. It gives them full protection. Griffith translates the word as interchange of talk.’

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २−(विद्म) अ० १।२।१। वयं जानीमः (ते) तव (सभे) (नाम) नामधेयम् (नरिष्टा) नर+इष्टा। शकन्ध्वादिषु पररूपं वाच्यम्। वा० पा० ६।१।९४। इति पररूपम्। नराणामिष्टा हिता (नाम) नाम्ना (वै) खलु (असि) वर्तसे (ये के) ये केचित् (ते) तव (सभासदः) सभ्याः (ते) सामाजिकाः (मे) मह्यम् (सन्तु) (सवाचसः) समानवाक्याः। एकवचनाः ॥

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