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अथर्ववेद के काण्ड - 9 के सूक्त 2 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 6
    ऋषिः - अथर्वा देवता - कामः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - काम सूक्त
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    काम॒स्येन्द्र॑स्य॒ वरु॑णस्य॒ राज्ञो॒ विष्णो॒र्बले॑न सवि॒तुः स॒वेन॑। अ॒ग्नेर्हो॒त्रेण॒ प्र णु॑दे स॒पत्ना॑ञ्छ॒म्बीव॒ नाव॑मुद॒केषु॒ धीरः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    काम॑स्य । इन्द्र॑स्य । वरु॑णस्य । राज्ञ॑: । विष्णो॑: । बले॑न । स॒वि॒तु: । स॒वेन॑ । अ॒ग्ने: । हो॒त्रेण॑ । प्र । नु॒दे॒ । स॒ऽपत्ना॑न् । श॒म्बीऽइ॑व । नाव॑म् । उ॒द॒केषु॑ । धीर॑: ॥२.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कामस्येन्द्रस्य वरुणस्य राज्ञो विष्णोर्बलेन सवितुः सवेन। अग्नेर्होत्रेण प्र णुदे सपत्नाञ्छम्बीव नावमुदकेषु धीरः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    कामस्य । इन्द्रस्य । वरुणस्य । राज्ञ: । विष्णो: । बलेन । सवितु: । सवेन । अग्ने: । होत्रेण । प्र । नुदे । सऽपत्नान् । शम्बीऽइव । नावम् । उदकेषु । धीर: ॥२.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 2; मन्त्र » 6
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्रस्य) बड़े ऐश्वर्यवाले, (वरुणस्य) श्रेष्ठ, (राज्ञः) राजा, (विष्णोः) सर्वव्यापक, (सवितुः) सर्वप्रेरक, (अग्नेः) सर्वज्ञ, (कामस्य) कामनायोग्य [परमेश्वर] के (बलेन) बल से, (सवेन) ऐश्वर्य से और (होत्रेण) दान से (सपत्नान्) वैरियों को (प्र णुदे) मैं भगाता हूँ, (इव) जैसे (धीरः) धीर (शम्बी) कर्णधार [नाव चलानेवाला] (नावम्) नाव को (उदकेषु) जलों के भीतर [चलाता है] ॥६॥

    भावार्थ

    विद्वान् लोग परमेश्वर की महिमा को प्राप्त होकर अपने बाहिरी और भीतरी वैरियों को ऐसा वश में रखता है, जैसे चतुर नाविक गहरे जल में नाव को चलाता है ॥६॥

    टिप्पणी

    ६−(कामस्य) कमनीयस्य परमेश्वरस्य (इन्द्रस्य) परमैश्वर्यवतः (वरुणस्य) श्रेष्ठस्य (राज्ञः) शासकस्य (विष्णोः) सर्वव्यापकस्य (बलेन) (सवितुः) सर्वप्रेरकस्य (सवेन) ऐश्वर्येण (अग्नेः) सर्वज्ञस्य (होत्रेण) दानेन (प्र णुदे) प्रेरयामि। वशीकरोमि (सपत्नान्) शत्रून् (शम्बी) शम्ब सम्बन्धने गतौ च-अच्। यद्वा, शमेर्बन्। उ० ४।९४। शमु उपशमे-बन्। यद्वा, शातयतेर्बन्। शम्ब इति वज्रनाम शमयतेर्वा शातयतेर्वा-निरु० ५।˜२४। अत इनिठनौ। पा० ५।२।११५। शम्ब-इनि। वज्रवान्। कर्णधारः (इव) यथा (नावम्) पोतम् (उदकेषु) गम्भीरजलेषु (धीरः) धीमान्। प्रवीणः। पण्डितः ॥

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    विषय

    प्रभुपूजन व अग्निहोत्र

    पदार्थ

    १. (कामस्य) = कमनीय, (इन्द्रस्य) = शत्रुविद्रावक, (वरुणस्य) = पापनिवारक (राज्ञः) = दीप्त (विष्णो:) = व्यापक प्रभु के (बलेन) = बल से (सवितुः) = प्रेरक प्रभु के (सवेन) = [यज्ञेन, यज पूजायाम्] पूजने से तथा (अग्ने: होत्रेण) = अग्निहोत्र के द्वारा (सपत्नान् प्रणुदे) = शत्रुओं को इसप्रकार से धकेलता हूँ, (इव) = जैसेकि (धीरः शम्बी) = एक धीर [धैर्य की वृत्तिवाला, समझदार] नाविक (उदकेषु नावम्) = जलों में नाब को प्रेरित करता है।

    भावार्थ

    पाप-निवारक प्रभु की शक्ति से शक्तिसम्पन्न होकर प्रभु का पूजन व अग्निहोत्र करते हुए हम शत्रुओं को परे धकेल दें।

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    भाषार्थ

    (इन्द्रस्य) परमैश्वर्यवान्, (वरुणस्य) पापनिवारक, (राज्ञः) जगत् के राजा, (विष्णोः) सर्वव्यापक (कामस्य) कमनीय परमेश्वर की (बलेन) प्रबल शक्ति द्वारा; (सवितुः) तथा प्रेरक कमनीय परमेश्वर की (सवेन) प्रेरणा द्वारा; और (अग्नेः होत्रेण) दैनिक अग्निहोत्र द्वारा (सपत्नान्) सपत्नों को (प्रणुदे) मैं परे धकेलता हूं, (इव) जैसे कि (धीरः) धैर्यवाला (शम्बी) नाविक (उदकेषु) नदी तथा समुद्र आदि के जलों में (नावम्) नौका को आगे-आगे धकेलता है।

    टिप्पणी

    [अग्नेहोत्रेण= देखो मन्त्र १ में “घृतेन, हविषा, आज्येन" जोकि यज्ञ के उपलक्षक हैं। मन्त्र में सपत्नों को धकेलने के तीन उपाय दर्शाएं हैं, (१) परमेश्वर की प्रबल शक्ति, (२) परमेश्वरीय प्ररणा, (३) तथा अग्निहोत्र आदि शुभकर्म]।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Kama: Love and Determination

    Meaning

    With the mighty force of Kama, love of life, love and moral determination, with the power of Indra, lord omnipotent, Varuna, lord of judgement and choice, Raja, ruler of life in existence, Vishnu, Spirit omnipresent, with the inspiration and vitality of Savita, lord giver of life, and with the flames and fragrance of Agni, yajnic fire, I throw out the adversaries of my mind and soul just as a steady helmsman beats off the waves of the sea and rows the boat to the shore.

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    Translation

    With the strength of Kama (desire or passion), of the resplendent Lord (Indra), and of the venerable lord (Varuna), the sovereign (rajnah), of the omnipresent (Visnu) Lord, and at the impulsion of the impeller Lord (Savitr), with the sacrifice to fire-divine (Agnihotra), I drive my rivals afar, like a courageous rower his boat in waters.

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    Translation

    I remove away my internal enemies (aversion etc) by the force of noble intention, mighty soul, intellect, shining mind and by the strength of constructive intuition and through the practice of yajna as a deft steersman drives his boat through waters.

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    Translation

    Through the might and exhortation of the Refulgent, Glorious, Adorable, Royal, All-pervading, All-impelling God, and through the performance of Agni Hotar, I chase my internal moral foes, as a deft steersman drives his boat through deep waters.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६−(कामस्य) कमनीयस्य परमेश्वरस्य (इन्द्रस्य) परमैश्वर्यवतः (वरुणस्य) श्रेष्ठस्य (राज्ञः) शासकस्य (विष्णोः) सर्वव्यापकस्य (बलेन) (सवितुः) सर्वप्रेरकस्य (सवेन) ऐश्वर्येण (अग्नेः) सर्वज्ञस्य (होत्रेण) दानेन (प्र णुदे) प्रेरयामि। वशीकरोमि (सपत्नान्) शत्रून् (शम्बी) शम्ब सम्बन्धने गतौ च-अच्। यद्वा, शमेर्बन्। उ० ४।९४। शमु उपशमे-बन्। यद्वा, शातयतेर्बन्। शम्ब इति वज्रनाम शमयतेर्वा शातयतेर्वा-निरु० ५।˜२४। अत इनिठनौ। पा० ५।२।११५। शम्ब-इनि। वज्रवान्। कर्णधारः (इव) यथा (नावम्) पोतम् (उदकेषु) गम्भीरजलेषु (धीरः) धीमान्। प्रवीणः। पण्डितः ॥

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