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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 23
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - एकपदासुरी बृहती सूक्तम् - गौ सूक्त

    मि॒त्र ईक्ष॑माण॒ आवृ॑त्त आन॒न्दः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मि॒त्र: । ईक्ष॑माण: । आऽवृ॑त्त: । आ॒ऽन॒न्द: ॥१२.२३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मित्र ईक्षमाण आवृत्त आनन्दः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मित्र: । ईक्षमाण: । आऽवृत्त: । आऽनन्द: ॥१२.२३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 23

    टिप्पणीः - २३−(मित्रः) हितः (ईक्षमाणः) पश्यन् सन् (आवृत्तः) समन्ताद् वर्तमानः (आनन्दः) सुखस्वरूपः ॥

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