अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 36/ मन्त्र 3
ये यक्ष्मा॑सो अर्भ॒का म॒हान्तो॒ ये च॑ श॒ब्दिनः॑। सर्वा॑न् दुर्णाम॒हा म॒णिः श॒तवा॑रो अनीनशत् ॥
स्वर सहित पद पाठये। यक्ष्मा॑सः। अ॒र्भ॒काः। म॒हान्तः॑। ये। च॒। श॒ब्दिनः॑। सर्वा॑न्। दु॒र्ना॒म॒ऽहा। म॒णिः। श॒तऽवा॑रः। अ॒नी॒न॒श॒त् ॥३६.३॥
स्वर रहित मन्त्र
ये यक्ष्मासो अर्भका महान्तो ये च शब्दिनः। सर्वान् दुर्णामहा मणिः शतवारो अनीनशत् ॥
स्वर रहित पद पाठये। यक्ष्मासः। अर्भकाः। महान्तः। ये। च। शब्दिनः। सर्वान्। दुर्नामऽहा। मणिः। शतऽवारः। अनीनशत् ॥३६.३॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
रोगों के नाश का उपदेश।
पदार्थ
(ये) जो (यक्ष्मासः) राजरोग (अर्भकाः) छोटे और [जो] (महान्तः) बड़े हैं, (च) और (ये) जो (शब्दिनः) महाशब्दकार हैं। (सर्वान्) उन सबको (दुर्णामहा) दुर्नामों [बुरे नामवाले बवासीर दाद आदि] के मिटाने हारे, (मणिः) प्रशंसनीय (शतवारः) शतवार [मन्त्र १] ने (अनीनशत्) नष्ट कर दिया है ॥३॥
भावार्थ
छोटे-बड़े राजरोग आदि और वे रोग जिनसे शरीर में खुजली वा चरचराहट शब्द होता है, शतावर औषध से सब नष्ट हो जाते हैं ॥३॥
टिप्पणी
३−(ये) (यक्ष्मासः) यक्ष्माः। राजरोगाः (अर्भकाः) क्षुद्राः (महान्तः) वृद्धिं गताः (ये) (च) (शब्दिनः) महाशब्दकारकाः (सर्वान्) (दुर्णामहा) दुर्णाम्नामर्शआदिरोगाणां हन्ता (मणिः) प्रशस्तः (शतवारः) म०१। (अनीनशत्) नाशितवान् ॥
भाषार्थ
(ये) जो (यक्ष्मासः) यक्ष्मरोग (अर्भकाः) अल्पकाल के हैं, (च) और (ये) जो (महान्तः) महाकाल के अर्थात् पुरातन हो गये हैं, और (शब्दिनः) श्वास-प्रश्वास में जिनमें कफवाला शब्द होता है, (दुर्णामहा) दुष्परिणामी रोगों का हनन करनेवाला (मणिः) रत्नरूप (शतवारः) शतवार (सर्वान्) उन सब यक्ष्मों का (अनीनशत्) विनाश कर देता है।
विषय
अर्भक-महान्-शब्दी
पदार्थ
१. (ये) = जो (यक्ष्मास:) = रोग (अर्भका:) = छोटे-छोटे हैं-उत्पन्नमात्र हैं, (महान्त:) = जो बड़े हैं या बढ़ गये हैं, (च) = और (ये) = जो (शाब्दिन:) = पीड़ाजनित शब्दों को उत्पन्न कराते हैं, (सर्वान्) = उन सबको यह (शतवार:) = शतसंख्याक रोगों का निवारण करनेवाली मणि (अनीनशत्) = नष्ट करती है। २. यह (मणि:) = वीर्यमणि (दुर्णामहा) = अर्शस् आदि पाप रोगों को विनष्ट करनेवाली है।
भावार्थ
सुरक्षित वीर्य छोटे-बड़े व पीड़ाकारी सब रोगों को दूर करता है। यह अर्शस् आदि पापरोगों का भी निवारक है।
इंग्लिश (4)
Subject
Shatavara Mani
Meaning
Whatever the cancerous consumption, whether minor or major or virulent, all these notorious ones, Shatavara mani destroys.
Translation
The wasting diseases, which are newly born and those ones, which make much noise, all of them the satavara blessing, killer of ill-named maladies, banquished away.
Translation
This Shatavara dispels away the germs with its horns-like Parts and destaoys the pains with root. This stays consumption by its stalk and no trouble escapes from it.
Translation
Whatever the stages of phthisis, the lowest ones, the enhanced ones, and the last ones, with high-sounding coughs, the Shatavar, the best of the herbs, thoroughly destroys all these malignant skin-diseases and ailments.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
३−(ये) (यक्ष्मासः) यक्ष्माः। राजरोगाः (अर्भकाः) क्षुद्राः (महान्तः) वृद्धिं गताः (ये) (च) (शब्दिनः) महाशब्दकारकाः (सर्वान्) (दुर्णामहा) दुर्णाम्नामर्शआदिरोगाणां हन्ता (मणिः) प्रशस्तः (शतवारः) म०१। (अनीनशत्) नाशितवान् ॥
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