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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 130

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 9
    सूक्त - देवता - प्रजापतिः छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    आम॑णको॒ मण॑त्सकः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आम॑णक॒: । मण॑त्सक: । १३०.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आमणको मणत्सकः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आमणक: । मणत्सक: । १३०.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 9

    भाषार्थ -
    হে সদ্গুরু! আপনি (আমণকঃ) সর্বত্র সদুপদেশ করেন, (মণৎসকঃ) সদুপদেশকারীদের প্রতি আপনি আসক্তি অর্থাৎ প্রেম করেন।

    - [আমণকঃ= আ (সর্বত্র)+মণকঃ (মণ্ শব্দে)। মণৎসকঃ=মণ্+শতৃ+ষচ্ (সমবায়ে)।]

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