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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 24 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 24/ मन्त्र 7
    ऋषिः - अथर्वा देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - त्रिपदार्षी गायत्री सूक्तम् - राष्ट्रसूक्त
    1

    योगे॑योगे त॒वस्त॑रं॒ वाजे॑वाजे हवामहे। सखा॑य॒ इन्द्र॑मू॒तये॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    योगे॑ऽयोगे। त॒वःऽत॑रम्। वाजे॑ऽवाजे। ह॒वा॒म॒हे॒। सखा॑यः। इन्द्र॑म्। ऊ॒तये॑ ॥२४.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    योगेयोगे तवस्तरं वाजेवाजे हवामहे। सखाय इन्द्रमूतये ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    योगेऽयोगे। तवःऽतरम्। वाजेऽवाजे। हवामहे। सखायः। इन्द्रम्। ऊतये ॥२४.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 24; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    राजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (योगेयोगे) अवसर-अवसर पर और (वाजेवाजे) सङ्ग्राम-सङ्ग्राम के बीच (तवस्तरम्) अधिक बलवान् (इन्द्रम्) इन्द्र [परमैश्वर्यवान् पुरुष] को (ऊतये) रक्षा के लिये (सखायः) मित्र लोग हम (हवामहे) पुकारते हैं ॥७॥

    भावार्थ

    सब प्रजागण विद्वान् पुरुषार्थी राजा के साथ मित्रता करके शत्रु से अपनी रक्षा का उपाय करें ॥७॥

    टिप्पणी

    यह मन्त्र ऋग्वेद में है-१।३०।७, यजु०११।१४। तथा साम० पू०२।७।९ और उ०१।२।११ और आगे है-अथर्व०२०।२६।१॥७−(योगेयोगे) प्रत्यवसरम् (तवस्तरम्) तव इति बलनाम-निघ०२।९। अस्मायामेधास्रजो विनिः। पा०५।२।१२१। तवस्-विनि, ततस्तरप्, विनेच्छान्दसो लोपः। तवस्वितरम्। बलवत्तरम् (वाजेवाजे) प्रतिसंग्रामम् (हवामहे) आह्वयामः (सखायः) वयं सुहृदः सन्तः (इन्द्रम्) परमैश्वर्यवन्तं पुरुषम् (ऊतये) अवनाय। रक्षणाय ॥

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    विषय

    योगे-योगे तवस्तरम्

    पदार्थ

    १. हम (सखायः) = उस प्रभु के सखा बनते हुए (इन्द्रम्) = उस परमैश्वर्यशाली सर्वशक्तिमान् प्रभु को (ऊतये) = रक्षण के लिए (वाजेवाजे) = प्रत्येक संग्राम में (हवामहे) = पुकारते हैं। २. उस प्रभु को हम पुकारते हैं जोकि (योगे)-= योगे-प्रत्येक मेल के अवसर पर (तवस्तरम्) = हमारे बलों को बढ़ानेवाले हैं। (जितना) = जितना प्रभु से हमारा सम्पर्क बढ़ता है, (उतना) = उतना हमारा बल बढ़ता है और संग्रामों में हम वियजी बनते हैं।

    भावार्थ

    प्रभु हमारे रक्षक हैं। प्रभु-सम्पर्क से शक्ति का वर्धन होता है।

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    भाषार्थ

    (योगेयोगे) राष्ट्र की प्रत्येक योजना में, तथा (वाजे-वाजे) प्रत्येक प्रकार के अन्नोत्पादनों में, (तवस्तरम्) शीघ्रकारी तथा वृद्धिकारक (इन्द्रम्) सम्राट् का (सखायः) हे मित्र प्रजाजनो! (हवामहे) हम सब सत्कारपूर्वक आह्वान करते हैं, (ऊतये) ताकि हमारी रक्षा और वृद्धि हो सके।

    टिप्पणी

    [तवः= तवतेः वृद्धिकर्मणः (निरु० ९.३.२५)। तवः बलनाम (निघं० २.९)। वाजः अन्ननाम (निघं० २.७)।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Rashtra

    Meaning

    O friends, in every joint programme of the nation in planning and development, in every battle of life, at every juncture, let us call upon the mighty and mightier Indra, the Ruler, swift and instant in action, for our defence, protection and progress.

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    Translation

    On every occasion, in every noble work, we invoke the resplendent God, the best among our friends, for our protection and happiness.

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    Translation

    O fellow men, we in every need and in every fray call for our protection the king who is mightiest of all.

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    Translation

    O friends, we seek the help of the mighty king, for whenever we wish to achieve new desired objects, at all occasions of wars or for protection.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    यह मन्त्र ऋग्वेद में है-१।३०।७, यजु०११।१४। तथा साम० पू०२।७।९ और उ०१।२।११ और आगे है-अथर्व०२०।२६।१॥७−(योगेयोगे) प्रत्यवसरम् (तवस्तरम्) तव इति बलनाम-निघ०२।९। अस्मायामेधास्रजो विनिः। पा०५।२।१२१। तवस्-विनि, ततस्तरप्, विनेच्छान्दसो लोपः। तवस्वितरम्। बलवत्तरम् (वाजेवाजे) प्रतिसंग्रामम् (हवामहे) आह्वयामः (सखायः) वयं सुहृदः सन्तः (इन्द्रम्) परमैश्वर्यवन्तं पुरुषम् (ऊतये) अवनाय। रक्षणाय ॥

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