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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 70 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 70/ मन्त्र 7
    ऋषिः - मधुच्छन्दाः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-७०
    2

    इन्द्र॒मिद्गा॒थिनो॑ बृ॒हदिन्द्र॑म॒र्केभि॑र॒र्किणः॑। इन्द्रं॒ वाणी॑रनूषत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्र॑म् । इत् । गा॒थिन॑: । बृ॒हत् । इन्द्र॑म् । अ॒र्केभि॑: । अ॒र्किण॑: ॥ इन्द्र॑म् । वाणी॑: । अ॒नू॒ष॒त॒ ॥७०.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्रमिद्गाथिनो बृहदिन्द्रमर्केभिरर्किणः। इन्द्रं वाणीरनूषत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्रम् । इत् । गाथिन: । बृहत् । इन्द्रम् । अर्केभि: । अर्किण: ॥ इन्द्रम् । वाणी: । अनूषत ॥७०.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 70; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    १-९ राजा और प्रजा के धर्म का उपदेश।

    पदार्थ

    (गाथिनः) गानेवालों और (अर्किणः) विचार करनेवालों ने (अर्केभिः) पूजनीय विचारों से (इन्द्रम्) सूर्य [के समान प्रतापी], (इन्द्रम्) वायु [के समान फुरतीले] (इन्द्रम्) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाले राजा] को और (वाणीः) वाणियों [वेदवचनों] को (इत्) निश्चय करके (बृहत्) बड़े ढंग से (अनूषत) सराहा है ॥७॥

    भावार्थ

    मनुष्य सुनीतिज्ञ प्रतापी, उद्योगी राजा के और परमेश्वर की दी हुई वेदवाणी के गुणों को विचारकर सबके सुख के लिये यथावत् उपाय करें ॥७॥

    टिप्पणी

    मन्त्र ७-९ आचुके हैं-अथ० २०।३८।४-६ तथा ४७।४-६ ॥ ७-९−एते मन्त्रा आगताः-अथ० २०।३८।४-६ तथा ४७।४-६ ॥

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    विषय

    व्याख्या देखो, अथर्व० २०.३८.४-६ या २०.४७.४-६॥

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    भाषार्थ

    देखो—२०.३८.४, तथा २०.४७.४॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    India Devata

    Meaning

    The singers of Vedic hymns worship Indra, infinite lord of the expansive universe, Indra, the sun, lord of light, Indra, vayu, maruts, currents of energy, and Indra, the universal divine voice, with prayers, mantras, actions and scientific research.

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    Translation

    The men describing the function end advantages of sun highly praise it, the men who are compitent with the knowledge of solar system maginify the glory of this sun and the voice so fall persons admire the sun.

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    Translation

    The men describing the function end advantages of sun highly praise it, the men who are competent with the knowledge of solar system magnify the glory of this sun and the voice so fall persons admire the sun.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    मन्त्र ७-९ आचुके हैं-अथ० २०।३८।४-६ तथा ४७।४-६ ॥ ७-९−एते मन्त्रा आगताः-अथ० २०।३८।४-६ तथा ४७।४-६ ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    ১-৯ রাজপ্রজাধর্মোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (গাথিনঃ) গায়ক এবং (অর্কিণঃ) বিচারশীল মনুষ্যগণ (অর্কেভিঃ) পূজনীয় বিচার-সমূহকে (ইন্দ্রম্) সূর্য [এর সমান প্রতাপী], (ইন্দ্রম্) বায়ু [এর সমান শীঘ্রগামী] (ইন্দ্রম্) ইন্দ্র [পরম ঐশ্বর্যবান রাজা] এর এবং (বাণীঃ) বাণীসমূহ [বেদবচন]কে (ইৎ) নিশ্চিতরূপে (বৃহৎ) যথার্থরূপে (অনূষত) প্রশংসা করেছে ॥৭॥

    भावार्थ

    মনুষ্য সুনীতিজ্ঞ, প্রতাপী, উদ্যোগী রাজার ব্যবহার এবং পরমেশ্বর প্রদত্ত বেদবাণীর গুণ-সমূহ বিচার করে সকলের সুখের জন্য যথাবৎ উপায় করুক॥৭॥ মন্ত্র ৪-৬ আছে-অ০২০।৩৮।৪-৬।

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    भाषार्थ

    দেখো—২০.৩৮.৪, তথা ২০.৪৭.৪॥

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