अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 25/ मन्त्र 4
ऋषिः - ब्रह्मा
देवता - योनिः, गर्भः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - गर्भाधान सूक्त
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गर्भं॑ ते मि॒त्रावरु॑णौ॒ गर्भं॑ दे॒वो बृह॒स्पतिः॑। गर्भं॑ त॒ इन्द्र॑श्चा॒ग्निश्च॒ गर्भं॑ धा॒ता द॑धातु ते ॥
स्वर सहित पद पाठगर्भ॑म् । ते॒ । मि॒त्रावरु॑णौ । गर्भ॑म् । दे॒व: । बृह॒स्पति॑: । गर्भ॑म् । ते॒ । इन्द्र॑:। च॒ । अ॒ग्नि: । च॒ । गर्भ॑म् । धा॒ता । द॒धा॒तु॒ । ते॒ ॥२५.४॥
स्वर रहित मन्त्र
गर्भं ते मित्रावरुणौ गर्भं देवो बृहस्पतिः। गर्भं त इन्द्रश्चाग्निश्च गर्भं धाता दधातु ते ॥
स्वर रहित पद पाठगर्भम् । ते । मित्रावरुणौ । गर्भम् । देव: । बृहस्पति: । गर्भम् । ते । इन्द्र:। च । अग्नि: । च । गर्भम् । धाता । दधातु । ते ॥२५.४॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
गर्भाधान का उपदेश।
पदार्थ
(मित्रावरुणौ) प्राण और अपान वायु (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को [आधत्ताम्=अच्छे प्रकार पुष्ट करें−म० ३]। (देवः) प्रकाशमान (बृहस्पतिः) बड़े-बड़े लोकों का रक्षक सूर्य (गर्भम्) गर्भ को, (इन्द्रः) बिजुली (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को (च) और (धाता) धारण करनेवाला (अग्निः) और अग्नि (च) भी (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को (दधातु) पुष्ट करे ॥४॥
भावार्थ
प्रयत्न किया जावे कि श्वास-प्रश्वास, सूर्य, शारीरिक बिजुली अग्नि, आदि पदार्थ गर्भवती स्त्री के गर्भ को यथावत् पुष्ट करें ॥४॥
टिप्पणी
४−(गर्भम्) गर्भशिशुम् (ते) तव (मित्रावरुणौ) प्राणापानौ [आधत्ताम्] इति शेषः−म० ३। (गर्भम्) (देवः) प्रकाशमानः (बृहस्पतिः) बृहतां लोकानां रक्षकः सूर्यः (ते) (इन्द्रः) विद्युत् (च) समुच्चये (अग्निः) जाठराग्निः (च) अवधारणे (धाता) पोषकः (दधातु) पुष्णातु (ते) तव ॥
विषय
मित्रावरुणौ, इन्द्राग्नी
पदार्थ
१. (ते गर्भम्) = तेरे गर्भ को (मित्रावरुणौ) = मित्र और वरुण धारण करें, अर्थात् तू इस समय स्नेह व निषता की वृत्तिवाली बन। तब बालक भी इन्हीं वृत्तियोंवाला होगा। (देव:) = प्रकाशमय जीवनवाला (बृहस्पति:) = ब्रह्मणस्पति (गर्भम्) = तेरे गर्भ को धारण करे। तू देववृत्ति की तथा ज्ञान रुचितावाली बन तब बालक भी देववृत्ति व ज्ञान-रुचिता को लिये हुए होगा। २. (इन्द्रः च अग्नि: च) = बल व प्रकाश के देव (ते) = तेरे (गर्भम्) = गर्भ को धारण करें। तू बल व प्रकाश का सम्पादन करने की इच्छा व यत्न कर, तब सन्तान भी ऐसी ही होगी। (धाता) = वह सबका धारक प्रभुते (गर्भ दधातु) = तेरे गर्भ को धारण करे। पति कहता है कि मुझे क्या रक्षण करना, प्रभु ही रक्षा करेंगे। तू भी धारणात्मक वृत्तिवाली बनना। गर्भस्थ बालक भी इसी वृत्ति को लेकर जन्म लेगा।
भावार्थ
गर्भधारण करनेवाली माता 'स्नेह, निद्वेषता, दिव्यता, ज्ञान, बल, प्रकाश व धारणात्मक वृत्ति को धारण करे तब बालक भी इन्हीं वृत्तियों को लेकर उत्पन्न होगा।
भाषार्थ
(मित्रा-वरुणौ) दिन और रात्रि, बृहद् ब्रह्माण्ड का पति परमेश्वर (इन्द्रः) विद्युत् तथा यज्ञियाग्नि और धाता अर्थात् मेघ तेरे गर्भ का धारण पोषण करें।
टिप्पणी
[प्राकृतिक तथा आध्यात्मिक शक्तियां गर्भ के अनुकूल रहें। अहोरात्रौ मित्रावरुणो (तां० २५।१०।१०)।]
विषय
गर्भाशय में वीर्यस्थापन का उपदेश।
भावार्थ
(मित्रावरुणौ) मित्र और वरुण (ते गर्भं) तेरे गर्भ को पुष्ट करें (देवः) प्रकाशमान् (बृहस्पतिः) सूर्य (गर्भं) गर्भ को पुष्ट करे और (इन्द्रः च अग्निः च) इन्द्र = वायु और अग्नि भी (ते गर्भं) तेरे गर्भ को पुष्ट करें और (धाता) पोषक परमात्मा भी (ते गर्भं) तेरे गर्भ को (दधातु) पालित पोषित करे।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
ब्रह्मा ऋषिः। योनिगर्भो देवता। १-१२ अनुष्टुभः। १३ विराट् पुरस्ताद् बृहती। त्रयोदशर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Garbhadhanam
Meaning
O mother, let Mitra and Varuna, prana and apana energies hold and mature your foetus. Let divine and refulgent Brhaspati, the generous sun protect and promote your foetus. Let Indra and Agni, cosmic energy and vital heat of life, hold and nourish your foetus. Let Dhata, the omnipotent wielder and sustainer of the universe, sustain, promote and mature your foetus in the womb.
Translation
May the sun and the ocean (mitra-varuna pair) set the embryo within you; may the supreme Lord divine (Brhaspati) set the embryo; may the Lord resplendent (Indra) and adorable (Agni) set the embryo in you; may the sustainer Lord (dhātā) set the embryo within you.
Translation
Let Mitra-varunan, the hydrogen and oxygen gases protect your embryo, let powerful Brihaspati, the cloud protect it let sun and fire protect and set your embryo and let Dhatar, the air protect your embryo.
Translation
Let Prana and Apana, let the luminous Sun, let air and fire, let the Nourishing God, develop the child in thy womb.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
४−(गर्भम्) गर्भशिशुम् (ते) तव (मित्रावरुणौ) प्राणापानौ [आधत्ताम्] इति शेषः−म० ३। (गर्भम्) (देवः) प्रकाशमानः (बृहस्पतिः) बृहतां लोकानां रक्षकः सूर्यः (ते) (इन्द्रः) विद्युत् (च) समुच्चये (अग्निः) जाठराग्निः (च) अवधारणे (धाता) पोषकः (दधातु) पुष्णातु (ते) तव ॥
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