ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 78/ मन्त्र 3
ऋषिः - स्यूमरश्मिर्भार्गवः
देवता - मरूतः
छन्दः - विराट्त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
वाता॑सो॒ न ये धुन॑यो जिग॒त्नवो॑ऽग्नी॒नां न जि॒ह्वा वि॑रो॒किण॑: । वर्म॑ण्वन्तो॒ न यो॒धाः शिमी॑वन्तः पितॄ॒णां न शंसा॑: सुरा॒तय॑: ॥
स्वर सहित पद पाठवाता॑सः । न । ये । धुन॑यः । जि॒ग॒त्नवः॑ । अ॒ग्नी॒नाम् । न । जि॒ह्वाः । वि॒ऽरो॒किणः॑ । वर्म॑ण्ऽवन्तः॑ । न । यो॒धाः । शिमी॑ऽवन्तः । पि॒तॄ॒णाम् । न । शंसाः॑ । सु॒ऽरा॒तयः॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
वातासो न ये धुनयो जिगत्नवोऽग्नीनां न जिह्वा विरोकिण: । वर्मण्वन्तो न योधाः शिमीवन्तः पितॄणां न शंसा: सुरातय: ॥
स्वर रहित पद पाठवातासः । न । ये । धुनयः । जिगत्नवः । अग्नीनाम् । न । जिह्वाः । विऽरोकिणः । वर्मण्ऽवन्तः । न । योधाः । शिमीऽवन्तः । पितॄणाम् । न । शंसाः । सुऽरातयः ॥ १०.७८.३
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 78; मन्त्र » 3
अष्टक » 8; अध्याय » 3; वर्ग » 12; मन्त्र » 3
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अष्टक » 8; अध्याय » 3; वर्ग » 12; मन्त्र » 3
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भाष्य भाग
हिन्दी (3)
पदार्थ
(वातासः-न ये) प्रबल वायु के समान जो जीवन्मुक्त विद्वान् हैं (धुनयः-जिगत्नवः) पापियों के कँपानेवाले तथा अग्रगन्ता जन (अग्नीनां जिह्वाः) अग्नियों की ज्वालाओं के समान (विरोकिणः) विशेष तेजस्वी (वर्मण्वन्तः-न योधाः) कवचवाले योद्धाओं के समान कर्मठ हैं, पापियों के विजय करने में (पितॄणां न शंसाः) वृद्धों के मध्य में प्रशंसनीय जैसे (सुरातयः) ज्ञानदाता हैं, वे सङ्गति करने योग्य हैं ॥३॥
भावार्थ
जो महानुभाव जीवन देनेवाले, पापों को दूर करनेवाले, आगे बढ़ानेवाले तेजस्वी कर्मठ प्रशंसनीय तथा ज्ञान के देनेवाले हैं, उनकी सङ्गति करनी चाहिए ॥३॥
विषय
वायुवद् बलशाली, अग्नि-ज्वालाओं के तुल्य तेजस्वी, और शुभ ज्ञानदाता हों।
भावार्थ
(ये) जो (वातासः न) प्रबल वायुओं के तुल्य (धुनयः) शत्रुओं को कंपाने वाले और (जिगत्नवः) आगे बढ़ने वाले हैं। जो (अग्नीनां जिह्वाः न) अग्नियों की लपटों के समान (वि-रोकिणः) विविध दीप्तियों, कान्तियों वाले और (योधाः न वर्मण्वन्तः) योद्धाओं के समान कवचों से सम्पन्न हों वे (शिमीवन्तः) उत्तम कार्यों से सम्पन्न (पितॄणां शंसाः) माता पिताओं और गुरुओं की वाणियों वा उपदेशों के समान (सुरातयः) सुख और शुभ ज्ञान देने वाले हों। अथवा (पितॄणां न) और वे माता पिता गुरु आदिकों के बीच (शं-साः) शान्तिदायक (सुरातयः) उत्तम दानशील हों।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
स्यूमरश्मिर्भार्गवः॥ मरुतो देवता॥ छन्दः– आर्ची त्रिष्टुप्। ३, ४ विराट् त्रिष्टुप्। ८ त्रिष्टुप्। २, ५, ६ विराड् जगती। ७ पादनिचृज्जगती॥ अष्टर्चं सूक्तम्॥
विषय
शत्रुकम्पक शूर
पदार्थ
[१] प्राणसाधक पुरुष वे हैं (ये) = जो कि (वातासः न) = वायुओं के समान (धुनयः) = शत्रुओं को कम्पित करनेवाले तथा (जिगत्नवः) = निरन्तर गतिशील होते हैं । [२] (अग्नीनां जिह्वाः न) = अग्नियों की लपटों के समान (विरोकिणः) = ये विशेषरूप से चमकनेवाले होते हैं। [३] (वर्मण्वन्तः योधाः न) = कवचधारी योद्धाओं के समान (शिमीवन्तः) = ये शौर्ययुक्त कर्मोंवाले होते हैं । [४] (पितॄणां शं साः न) = पितरों के उपदेशों की तरह (सुरातवः) = उत्तम ज्ञान के दानवाले होते हैं । जैसे पिता सदा कल्याणकर वाणी का ही उच्चारण करते हैं, उसी प्रकार ये प्राणसाधक सदा शुभ ही सलाह को देनेवाले होते हैं, ये सदा उत्तम ज्ञान को ही देते हैं ।
भावार्थ
भावार्थ - प्राणसाधक वायु के समान शत्रुओं को कम्पित करता हुआ गति करता है, अग्नि ज्वाला के समान चमकता है, शत्रुओं से मुकाबिला करनेवाले वीर योद्धा के समान होता है और पितरों की तरह हितकर ज्ञान को देनेवाला होता है ।
संस्कृत (1)
पदार्थः
(वातासः-न ये धुनयः-जिगत्नवः) प्रबलवायव इव ये मरुतो जीवन्मुक्ता विद्वांसः पापानां कम्पयितारोऽग्रे गन्तारः (अग्नीनां जिह्वाः-विरोकिणः) ये चाग्नीनां ज्वाला इव तेजस्विनः (वर्मण्वन्तः-न योधाः) कवचिनो योद्धार इव कर्मठाः सन्ति पापविजये (पितॄणां न शंसाः सुरातयः) वृद्धानां मध्ये प्रशंसनीया ज्ञानदातारः सन्ति, ते सङ्गमनीयाः ॥३॥
इंग्लिश (1)
Meaning
Stormy shakers are they of the stagnant as well as of the vibrant like winds, blazing like flames of fire, mighty strong like warriors clad in armour for battle, and profusely generous like blessings of the parents.
मराठी (1)
भावार्थ
जे महानुभाव जीवन देणारे, पापाला दूर करणारे, पुढे नेणारे तेजस्वी, कर्मठ, प्रशंसनीय व ज्ञान देणारे असतात त्यांची संगती केली पाहिजे. ॥३॥
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