ऋग्वेद - मण्डल 4/ सूक्त 52/ मन्त्र 6
आ॒प॒प्रुषी॑ विभावरि॒ व्या॑व॒र्ज्योति॑षा॒ तमः॑। उषो॒ अनु॑ स्व॒धाम॑व ॥६॥
स्वर सहित पद पाठआ॒प॒प्रुषी॑ । वि॒भा॒ऽव॒रि॒ । वि । आ॒वः॒ । ज्योति॑षा । तमः॑ । उषः॑ । अनु॑ । स्व॒धाम् । अ॒व॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
आपप्रुषी विभावरि व्यावर्ज्योतिषा तमः। उषो अनु स्वधामव ॥६॥
स्वर रहित पद पाठआऽपप्रुषी। विभाऽवरि। वि आवः। ज्योतिषा। तमः। उषः। अनु। स्वधाम्। अव ॥६॥
ऋग्वेद - मण्डल » 4; सूक्त » 52; मन्त्र » 6
अष्टक » 3; अध्याय » 8; वर्ग » 3; मन्त्र » 6
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अष्टक » 3; अध्याय » 8; वर्ग » 3; मन्त्र » 6
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनरुषर्वत्स्त्रीकर्त्तव्यकर्म्माण्याह ॥
अन्वयः
हे उष इव विभावरि शुभगुणे स्त्रि ! आपप्रुषी त्वं ज्योतिषा तम इव दोषान् व्यावोऽनु स्वधामव ॥६॥
पदार्थः
(आपप्रुषी) समन्तात् सर्वा विद्या व्याप्नुवती (विभावरि) प्रशस्तविविधप्रकाशयुक्ते (वि) (आवः) विरक्ष (ज्योतिषा) प्रकाशेन (तमः) अन्धकारम् (उषः) उषर्वत्सुप्रकाशे (अनु) (स्वधाम्) अन्नादिकम् (अव) रक्ष ॥६॥
भावार्थः
अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथोषाः स्वप्रकाशेनान्धकारं निवारयति तथैव विदुष्यः स्त्रियः स्वोत्तमस्वभावेन दोषान्निवार्य्य सुसंस्कृतान्नादिना सर्वान् संरक्षन्तु ॥६॥
हिन्दी (3)
विषय
अब उषा के तुल्य स्त्रियों के कर्त्तव्य कामों को कहते हैं ॥
पदार्थ
हे (उषः) प्रभात वेला के सदृश उत्तम प्रकाश और (विभावरि) प्रशंसित विविध प्रकाश से युक्त उत्तम गुणवाली स्त्री ! (आपप्रुषी) सब ओर से सर्व विद्याओं को व्याप्त तू (ज्योतिषा) प्रकाश से (तमः) अन्धकार के सदृश दोषों की (वि, आवः) विगतरक्षा अर्थात् रखने के विरुद्ध निकाल और (अनु, स्वधाम्) अनुकूल अन्न आदि की (अव) रक्षा कर ॥६॥
भावार्थ
इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे प्रभात वेला अपने प्रकाश से अन्धकार का निवारण करती है, वैसे ही विद्यायुक्त स्त्रियाँ अपने उत्तम स्वभाव से दोषों का निवारण करके उत्तम प्रकार संस्कारयुक्त अन्न आदि से सब की उत्तम प्रकार रक्षा करें ॥६॥
विषय
स्वधा का रक्षण
पदार्थ
[६] (विभावरि) = ज्ञान के प्रकाशवाली उषः ! तू (आपप्रुषी) = हमारे जीवनों में तेज का पूरण करती हुई (ज्योतिषा) = ज्ञान के प्रकाश से (तमः) = अज्ञानान्धकार को (व्यावत्) = दूर करनेवाली हो । [२] हे (उष:) = उषे! तू (अनु) = तेजस्विता व ज्योति को प्राप्त कराने के बाद (स्वधाम्) = आत्मधारणशक्ति को (अव) = हमारे में सुरक्षित कर ।
भावार्थ
भावार्थ- उषाकाल का जागरण हमें तेजस्विता व ज्ञान से पूरित करके आत्मधारण शक्ति से युक्त करता है।
विषय
पक्षान्तर में—उषा, तीव्र ताप शक्ति का वर्णन।
भावार्थ
जिस प्रकार (विभावरी आपप्रुषी तमः ज्योतिषा वि आवः, अनु स्वधाम् अवति) कान्ति से युक्त प्रभात वेला, उषा, व्यापती हुई या प्रकाश से अन्धकार को दूर करती है और अपने पीछे ‘स्वधा’ अर्थात् अपने को धारण करने वाले सूर्य को भी सुरक्षित रखती और प्रकट करती है उसी प्रकार हे (विभावरि) विशेष कान्ति से युक्त एवं विशेष विचार और क्रिया शक्ति से सम्पन्न स्त्री ! तू (ज्योतिषा) अपने ज्ञान-प्रकाश से (आ-पप्रुषी) सर्वत्र पूर्ण करती हुई (तमः वि आवः) शोक और दुःखों के अन्धकार को दूर कर । और हे (उषः) कान्तिमति कमनीये ! तू (स्वधाम्) अपने धारक, वा स्व अर्थात् धनैश्वर्य के धारक पति के (अनुअव) अनुकूल होकर उसका अनुगमन कर, उसकी आज्ञाकारिणी हो। वा (स्वधाम् अनु अव) अनुकूल अन्नादि पदार्थ की रक्षा कर ।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
वामदेव ऋषिः॥ उषा देवता॥ छन्द:- १, २, ३, ४, ६ निचृद्गायत्री । ५, ७ गायत्री ॥ सप्तर्चं सूक्तम् ॥
मराठी (1)
भावार्थ
या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जशी उषा स्वतःच्या प्रकाशाने अंधकार नष्ट करते, तसेच विदुषी स्त्रियांनी आपल्या उत्तम स्वभावाने दोषांचे निवारण करून उत्तम प्रकारे संस्कारयुक्त अन्न इत्यादींनी सर्वांचे उत्तम प्रकारे रक्षण करावे. ॥ ६ ॥
इंग्लिश (2)
Meaning
Bright and wide awake, inspiring the world with light and awareness, replete with the virtue of divinity, removing the veil of darkness with light, O dawn, protect us, protect and promote all, as you have the power and wakefulness.
Subject [विषय - स्वामी दयानन्द]
The duties of a woman are compared with the dawn.
Translation [अन्वय - स्वामी दयानन्द]
O virtuous woman! you are endowed with admirable multiform light and well-versed in (lit. pervading) various sciences, and shine like the dawn, with your light of knowledge. May you remove all our vices and defects like the darkness, and preserve well the foodstuff and other articles.
Commentator's Notes [पदार्थ - स्वामी दयानन्द]
N/A
Purport [भावार्थ - स्वामी दयानन्द]
As the dawn dispels all darkness by its light, in the same manner, highly learned woman should remove all vices and defects by their good temperament and thus protect all by preparing well-cooked good food.
Foot Notes
(आपप्रुषी) समन्तात्सर्वा विद्या व्याप्नुवती । पु- पालनपूरणयो:(जुहो०)। = Pervading all sciences from all sides. (विभावरि ) प्रशस्तविविधप्रकाशयुक्ते । भा-दीप्तौ (अदा० ) । = Endowed with various lights.
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