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अथर्ववेद के काण्ड - 4 के सूक्त 18 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 18/ मन्त्र 5
    ऋषिः - शुक्रः देवता - अपामार्गो वनस्पतिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - अपामार्ग सूक्त
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    अ॒नया॒हमोष॑ध्या॒ सर्वाः॑ कृ॒त्या अ॑दूदुषम्। यां क्षेत्रे॑ च॒क्रुर्यां गोषु॒ यां वा॑ ते॒ पुरु॑षेषु ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒नया॑ । अ॒हम् । ओष॑ध्या । सर्वा॑: । कृ॒त्या: । अ॒दू॒दु॒ष॒म् । याम् । क्षेत्रे॑ । च॒क्रु: । याम् । गोषु॑ । याम् । वा॒ । ते॒ । पुरु॑षेषु ॥१८.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अनयाहमोषध्या सर्वाः कृत्या अदूदुषम्। यां क्षेत्रे चक्रुर्यां गोषु यां वा ते पुरुषेषु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अनया । अहम् । ओषध्या । सर्वा: । कृत्या: । अदूदुषम् । याम् । क्षेत्रे । चक्रु: । याम् । गोषु । याम् । वा । ते । पुरुषेषु ॥१८.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 4; सूक्त » 18; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    राजा के धर्म का उपदेश।

    पदार्थ

    (अहम्) मैंने (अनया ओषध्या) इस ओषधिरूप [तापनाशक तुझ राजा] के साथ (सर्वाः कृत्याः) सब हिंसाओं को (अदूदुषम्) खण्डित कर दिया है, (याम्) जिस [हिंसा] को (क्षेत्रे) खेत में, अथवा (याम्) जिसको (गोषु) गौओं में (वा) अथवा (याम्) जिसको (ते) तेरे (पुरुषेषु) पुरुषों में (चक्रुः) उन लोगों ने किया था ॥५॥

    भावार्थ

    जो दुष्ट लोग प्रजा को किसी प्रकार से सतायें, प्रजा गण और राजपुरुष मिलकर दुष्टों का नाश करें ॥५॥

    टिप्पणी

    ५−(अनया ओषध्या) अनेन ओषधिरूपेण तापनाशकेन राज्ञा सह (अहम्) प्रजागणः (सर्वाः) (कृत्याः) हिंसाः (अदूदुषम्) दुषेर्ण्यन्तात् लुङि चङि रूपम्। दूषितवान् खण्डितवानस्मि (याम्) कृत्याम् (क्षेत्रे) शस्यवपनयोग्ये प्रदेशे (चक्रुः) कृतवन्तः शत्रवः (गोषु) गोषु मध्ये (वा) अथवा (ते) तव (पुरुषेषु) मनुष्येषु ॥

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    विषय

    कृत्यामात्र का दूषण

    पदार्थ

    १. (अहम्) = मैं (अनया) = इस (ओषध्या) = अपामार्ग नामक औषधि के द्वारा (सर्वाः कृत्या:) = सब प्रकार के रोगकृमियों से जनित शरीर के हिंसनों को (अदूदुषम्) = दूर करता हूँ। इन सब हिंसन कार्यों को दूषित करता हूँ। २. (याम्) = जिस हिंसन-क्रिया को (क्षेत्रे) = शरीररूप क्षेत्र में (चक्रुः) = करते हैं, (याम्) = जिसे (गोषु) = गौओं में (याम्) = जिसे (वाते) = वायु-सम वेगवाले अश्वों में करते हैं (वा) = और जिसे (पुरुषेषु) = हमारे किन्हीं भी व्यक्तियों में जिस हिंसन-कार्य को करते हैं, उस सब हिंसन कार्य को दूषित करके मैं दूर करता हूँ। ३. यहाँ 'गोषु' का भाव ज्ञानेन्द्रियों में करे तो 'वाते' का भाव [वा गती] कर्मेन्द्रियों में होगा। इनमें उत्पन्न किये गये हिंसन-कार्यों को भी मैं दूर करता हूँ।

    भावार्थ

    अपामार्ग ओषधि के प्रयोग से शरीर में-ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों में या अन्य व्यक्तियों में रोगकृमियों द्वारा जनित हिंसनों को हम दूर करते हैं।

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    भाषार्थ

    (अनया ओषध्या) इस औषधि द्वारा (अहम्) मैंने (सर्वा: कृत्या:) सब हिंस्रक्रियाओं को (अदूदुषम्) दूषित कर दिया है [उन्हें विकृत कर दिया है, कार्यासमर्थ कर दिया है।] (याम्) जिसे कि (चक्रु:) उन्होंने किया है (क्षेत्रे) खेत में, (याम्) जिसे कि (गोषु) गौओं [की गौशाला] में, (वा) या (याम्) जिसे (ते) तेरे (पुरुषेषु) पुरुषों में, पुरुषसमाज में किया है।

    टिप्पणी

    [इस मन्त्र में राजा के प्रति चिकित्सक का कथन है]

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    विषय

    ‘अपामार्ग’ विधान का वर्णन।

    भावार्थ

    (अनया) इस प्रकार की इस (ओषध्या) दुष्टों की दुष्टता को जलाने वाली रीति से मैं (सर्वाः कृत्याः) सब प्रकार की उन अनर्थकारी घातक क्रियाओं कों (अदूदुषम्) विनाश करूं। (यां) जिनको लोग (क्षेत्रे) खेतों में (गोषु) गौओं में (यां वा ते) या जिन को तेरे (पुरुषेषु) पुरुषों में (चक्रुः) दुष्ट लोग प्रयोग करते हैं।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    शुक्र ऋषिः। अपामार्गो वनस्पतिर्देवता। १-५, ७, ८ अनुष्टुभः। ६ बृहतीगर्भा अनुष्टुप्। अष्टर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Apamarga Panacea

    Meaning

    Thus by this curative and policy of peace I cleanse all deeds and correct all evils that they do in the field, among the cows or among the people, and this I do for you all.

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    Translation

    With this herb I have ruined all the vicious instruments of violence, which they had planted in the field or on kine or on men.

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    Translation

    I with this medicinal plant destroy, O man! all those bad applications of poisonous medicines which the wicked Use in your body, in your limbs and which they apply to your people.

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    Translation

    With the help of thine, O King, who assuages sufferings like medicine, I have removedall sorts of violence, they committed upon thy field, thy cattle and thy men.

    Footnote

    They: Ill-natured persons. I: A learned person.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ५−(अनया ओषध्या) अनेन ओषधिरूपेण तापनाशकेन राज्ञा सह (अहम्) प्रजागणः (सर्वाः) (कृत्याः) हिंसाः (अदूदुषम्) दुषेर्ण्यन्तात् लुङि चङि रूपम्। दूषितवान् खण्डितवानस्मि (याम्) कृत्याम् (क्षेत्रे) शस्यवपनयोग्ये प्रदेशे (चक्रुः) कृतवन्तः शत्रवः (गोषु) गोषु मध्ये (वा) अथवा (ते) तव (पुरुषेषु) मनुष्येषु ॥

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