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अथर्ववेद के काण्ड - 8 के सूक्त 6 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 16
    ऋषिः - मातृनामा देवता - मातृनामा अथवा मन्त्रोक्ताः छन्दः - पथ्यापङ्क्तिः सूक्तम् - गर्भदोषनिवारण सूक्त
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    प॑र्यस्ता॒क्षा अप्र॑चङ्कशा अस्त्रै॒णाः स॑न्तु॒ पण्ड॑गाः। अव॑ भेषज पादय॒ य इ॒मां सं॒विवृ॑त्स॒त्यप॑तिः स्वप॒तिं स्त्रिय॑म् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प॒र्य॒स्त॒ऽअ॒क्षा: । अप्र॑ऽचङ्कशा: । अ॒स्त्रै॒णा: । स॒न्तु॒ । पण्ड॑गा: । अव॑ । भे॒ष॒ज॒ । पा॒द॒य॒ । य: । इ॒माम् । स॒म्ऽविवृ॑त्सति । अप॑ति: । स्व॒प॒तिम् । स्त्रिय॑म् ॥६.१६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    पर्यस्ताक्षा अप्रचङ्कशा अस्त्रैणाः सन्तु पण्डगाः। अव भेषज पादय य इमां संविवृत्सत्यपतिः स्वपतिं स्त्रियम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    पर्यस्तऽअक्षा: । अप्रऽचङ्कशा: । अस्त्रैणा: । सन्तु । पण्डगा: । अव । भेषज । पादय । य: । इमाम् । सम्ऽविवृत्सति । अपति: । स्वपतिम् । स्त्रियम् ॥६.१६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 6; मन्त्र » 16
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    गर्भ की रक्षा का उपदेश।

    पदार्थ

    (पण्डगाः) पण्डाओं [तत्त्वविवेकियों] के निन्दक, (पर्यस्ताक्षाः) व्यवहार से गिरे हुए पुरुष (अप्रचङ्कशाः) न कदापि शासनकर्ता और (अस्त्रैणाः) न [हमारी] स्त्रियों में मिलनेवाले (सन्तु) होवें। (भेषज) हे भयनिवारक पुरुष ! [उसको] (अव पादय) गिरा दे, (यः) जो (अपतिः) पति न होकर (इमाम्) इस (स्वपतिम्) अपने पतिवाली (स्त्रियम्) स्त्री के पास (संविवृत्सति) आना चाहता है ॥१६॥

    भावार्थ

    राजा कुबुद्धि, व्यभिचारी, पतिव्रताओं के ठगनेवाले पुरुषों को यथावत् दण्ड देवे ॥१६॥

    टिप्पणी

    १६−(पर्यस्ताक्षाः) प्रच्युतव्यवहाराः (अप्रचङ्कशाः) अ+प्र+कश गतिशासनयोः हिंसने च यङ्लुकि, अच्। जपजभदह०। पा० ७।४।८६। बाहुलकात् नुक्। न कदापि शासकाः (अस्त्रैणाः) स्त्रीपुंसाभ्यां नञ्स्नञौ। पा० ४।१।८७। स्त्री-नञ्। न स्त्रीषु युक्ताः (सन्तु) (पण्डगाः) पण्डा तत्त्वगा बुद्धिर्यस्य स पण्डः। पण्डा-अर्शआद्यच्+गर्ह विनिन्दने-ड। पण्डगर्हकाः तत्त्वविवेकिनिन्दकाः (भेषज) हे भयनिवारक पुरुष (अव पादय) नीचैर्गमय (यः) खलः (इमाम्) (संविवृत्सति) वर्ततेः सनि। वृद्भ्यः। स्यसनोः। पा० १।३।९२। इति परस्मैपदम्। संवर्तितुं संगन्तुमिच्छति (अपतिः) पतिभिन्नः सन् (स्वपतिम्) स्वपतिना युक्ताम्। पतिव्रताम् (स्त्रियम्) ॥

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    विषय

    अस्त्रैणा: [सन्तु]

    पदार्थ

    १. (पर्यस्ताक्षा:) = जिनकी आँखे फिरी हुई हैं-टेढ़ी आँखवाले, (अप्रचङ्कशा:) = बिल्कुल लंगड़े-लूले (पण्डगा:) = नंपुसक लोग (अस्त्रैणा: सन्तु) = स्त्रियों से रहित हों-इन्हें विवाह का अधिकार न हो। २. हे (भेषज) = चिकित्सक राजवैद्य ! (यः) = जो (इमाम्) = इस (स्वपति स्त्रियम्) = अपने पति के साथ होनेवाली स्त्री को (अपतिः) = किसी का पति न होता हुआ (संविवृत्सति) = प्राप्त करने की इच्छा करता है, उस पुरुष को (अवपादय) = राष्ट्र से दूर कर। जो विवाहित न होकर अन्य स्त्रियों में वर्तना चाहते हैं, उन्हें राष्ट्र से दूर करना ही ठीक है।

    भावार्थ

    'पर्यस्ताक्ष, अप्रचश, पण्डग' लोग विवाह के अयोग्य हैं। जो गृहस्थ न बनकर पर-दाराओं में प्रवृत्त होते हैं, उन्हें राष्ट्र से निष्कासित करना ही ठीक है।

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    भाषार्थ

    (पर्यस्ताक्षाः) इधर-उधर के विषयों में आंखे भटकाने वाले (अप्रचङ्कशाः) अप्रशस्त गति वाले दुराचारी, या शासनविरोधी विप्लवकारी, (षण्डगाः) हिजड़ों के सदृश चालों वाले (अस्त्रैणाः सन्तु) निज स्त्रियों से विरहित कर दिये जांय। (यः) जो (अपतिः) पति न होता हुआ (स्वपतिं इमाम्, स्त्रियम्) निज पति वाली इस स्त्री के साथ (सं विवृत्सति) संवर्तन अर्थात् संभोग चाहता है उसे (भेषज) हे दण्डव्यवस्था रूपी औषध ! तू (अवपादय) अवाङ्मुख करके पटक दे। रोगपक्ष में स्त्रीकीटों को नरकीटों से पृथक् कर देना चाहिये। ताकि नए कीट उत्पन्न न हों।

    टिप्पणी

    [अप्रचङ्कशाः= अप्र (अप्रशस्त) चङ्कशाः गति वाले, (कश गतिशासनयोः अदादिः, यङ् लुगन्त)। अथवा अ (विरोधे) प्रचङ्कशाः (कश शासने)= प्रकर्षरूप में शासनविरोधी, विप्लवकारी। षण्डगाः= क्लीब सदृश गतिवाले, व्यवहार वाले परस्त्रीभोगियों को निज स्त्रियों से रहित करके उन्हें संभोगशून्य कर देना चाहिये। मन्त्र में वज, पिङ्ग का कथन नहीं केवल भेषज पद है]।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Foetus Protection

    Meaning

    All round watchers, moving around for prey, mere males who value no culture of manners should not be allowed to mix with women. O man of correct social manners, stop the man without wife who tries to mix with this woman dedicated to her husband.

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    Translation

    May those with distorted vision, not looking froward, and impotent remain without women. O herb, thrust him down, who not being a husband, seeks to violate this woman, true to her husband. (sleeping woman).

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    Translation

    Let the germs which have lesser sight, which havh distorted eyes, which move on the support of their hips, be deprived of their female companions. Let the healing plant cast away this germ which, though not being husband of this woman approaches her who is wedded to her husband.

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    Translation

    Squint-eyed, lame, sightless, impotent persons should remain womanless. O king, cast away him, who, not being her husband, would approach this woman wedded to her lord.

    Footnote

    Physically deformed and impotent persons should not he allowed to marry.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १६−(पर्यस्ताक्षाः) प्रच्युतव्यवहाराः (अप्रचङ्कशाः) अ+प्र+कश गतिशासनयोः हिंसने च यङ्लुकि, अच्। जपजभदह०। पा० ७।४।८६। बाहुलकात् नुक्। न कदापि शासकाः (अस्त्रैणाः) स्त्रीपुंसाभ्यां नञ्स्नञौ। पा० ४।१।८७। स्त्री-नञ्। न स्त्रीषु युक्ताः (सन्तु) (पण्डगाः) पण्डा तत्त्वगा बुद्धिर्यस्य स पण्डः। पण्डा-अर्शआद्यच्+गर्ह विनिन्दने-ड। पण्डगर्हकाः तत्त्वविवेकिनिन्दकाः (भेषज) हे भयनिवारक पुरुष (अव पादय) नीचैर्गमय (यः) खलः (इमाम्) (संविवृत्सति) वर्ततेः सनि। वृद्भ्यः। स्यसनोः। पा० १।३।९२। इति परस्मैपदम्। संवर्तितुं संगन्तुमिच्छति (अपतिः) पतिभिन्नः सन् (स्वपतिम्) स्वपतिना युक्ताम्। पतिव्रताम् (स्त्रियम्) ॥

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