अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 7
ऋषिः - मातृनामा
देवता - मातृनामा अथवा मन्त्रोक्ताः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - गर्भदोषनिवारण सूक्त
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यस्त्वा॒ स्वप्ने॑ नि॒पद्य॑ते॒ भ्राता॑ भू॒त्वा पि॒तेव॑ च। ब॒जस्तान्त्स॑हतामि॒तः क्ली॒बरू॑पांस्तिरी॒टिनः॑ ॥
स्वर सहित पद पाठय: । त्वा॒ । स्वप्ने॑ । नि॒ऽपद्य॑ते । भ्राता॑ । भू॒त्वा । पि॒ताऽइ॑व । च॒ । ब॒ज: । तान् । स॒ह॒ता॒म् । इ॒त: । क्ली॒बऽरू॑पान् । ति॒री॒टिन॑: ॥६.७॥
स्वर रहित मन्त्र
यस्त्वा स्वप्ने निपद्यते भ्राता भूत्वा पितेव च। बजस्तान्त्सहतामितः क्लीबरूपांस्तिरीटिनः ॥
स्वर रहित पद पाठय: । त्वा । स्वप्ने । निऽपद्यते । भ्राता । भूत्वा । पिताऽइव । च । बज: । तान् । सहताम् । इत: । क्लीबऽरूपान् । तिरीटिन: ॥६.७॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
गर्भ की रक्षा का उपदेश।
पदार्थ
[हे स्त्री !] (यः) जो कोई (त्वा) तेरे पास (स्वप्ने) सोते में (भ्राता) भाई [सभाग] (च) और (पिता इव) पिता के समान (भूत्वा) होकर (निपद्यते) आ जावे। (बजः) बली [पुरुष] (तान्) उन सब (क्लीबरूपान्) हिजड़े [समान] रूपवाले (तिरीटिनः) घातकों को (इतः) वहाँ से (सहताम्) हरा देवे ॥७॥
भावार्थ
पति आदि सावधान रहें कि कोई छली पुरुष गर्भिणी को सोते में न सतावे ॥७॥
टिप्पणी
७−(यः) पुरुषः (त्वा) गर्भिणीम् (स्वप्ने) निद्रायाम् (निपद्यते) अभिगच्छति। प्राप्नोति (भ्राता) सहोदर इव (भूत्वा) विश्वासं जनयन् (पिता इव) जनक इव, तद्रूपधारी (च) (बजः) म० ३। बली पुरुषः (तान्) (सहताम्) अभिभवतु (इतः) अत्र (क्लीबरूपान्) षण्ढरूपधारिणः (तिरीटिनः) कृतॄपिभ्यः कीटन्। उ० ४।१८५। तॄ अभिभवे-कीटन्, मत्वर्थे इनि। अभिभवशीलान्। घातकान् ॥
विषय
गर्भिणी-रक्षण
पदार्थ
१. हे वरवर्णिनि! (य:) = जो पुरुष (भ्राता) = भाई (च) = अथवा पिता (इव भूत्वा) = पिता का-सा रूप बनाकर (स्वप्ने) = स्वप्नावस्था में (निपद्यते) = नीचभाव से तेरे समीप आता है, (तान्) = उन सब दुष्टभावयुक्त (क्लीबरूपान्) = नंपुसक (तिरीटिन:) = टेढ़े मार्ग पर जानेवाले पुरुषों को (बज:) = शक्तिशाली क्रियाशील पति (इतः सहताम्) = इस कुत्सित मार्ग से पराभूत करे।
भावार्थ
पति गर्भिणी युवति का इसप्रकार रक्षण करे कि कोई भी व्यक्ति छिपकर स्वप्नावस्था में भी उससे दुराचार न कर सके।
भाषार्थ
[हे स्त्री !] (भ्राता भूत्वा) भाई की तरह हो कर (च) और (पिता इव) पिता की तरह होकर, (यः) जो (स्वप्ने) स्वप्नावस्था में (त्वा) तुझे (निपद्यते) [कामवासना से] प्राप्त होता है, (तान्) ऐसे उन सब (क्लीबरूपान्) नपुंसकरूपी, (तिरीटिनः) टेढ़ी अर्थात् कपट चालों वालों को, (इतः) इस तेरे मस्तिष्क से, (बजः) वज [सर्षप] (सहताम्) पराभूत कर दे।
टिप्पणी
[मन्त्र में स्वप्नावस्था के दृश्य का वर्णन है। कामवासना सर्वप्राणि साधारण है। यह मानुषपुरुषों तथा मानुषस्त्रियों में भी है। स्वप्नावस्था में जैसे पुरुषों में कामवासना उद्बुद्ध हो जाती है वैसे स्त्रियों में भी उद्बुद्ध हो जाती है। स्वप्न में उद्बुद्ध घटनाएं वास्तविक नहीं होतीं। वे प्रायः उल्टी-पुल्टी होती हैं। स्त्री को पहले तो स्वप्न हुआ कि भाई और पिता आए हैं परन्तु स्वप्नावस्था में वे कामी कपटी पुरुषों के रूप में बदल गए। ऐसी स्वाप्निक मस्तिष्कावस्था को स्वस्थ करने के लिये वज-औषध का विधान मन्त्र में हुआ है। स्वप्नावस्था में प्राप्त ऐसे काल्पनिक व्यक्तियों को क्लीब कहा है, जोकि वस्तुतः भोग करने में अशक्त होते हैं, शक्तिविहीन होते हैं। इस प्रकार की अवस्था को आपन्न हुए अर्जुन को भी गीता में क्लीब कहा है। यथा “क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत् त्वय्युपयुज्यते" (गीता अध्याय २, श्लोक ३)। तिरीटिनः = तिरस् (कुटिल) +इट (गतौ) +इन्। मन्त्र में स्वाप्निक रोग के विनाश का वर्णन हुआ है]।
इंग्लिश (4)
Subject
Foetus Protection
Meaning
Whoever in the dream state disturbs and violates you in the garb of a brother or a father figure, let ‘baja’ ward off such surreptitious foolish presences from your mind. (The idea is that the expectant mother is a sacred presence to nature, to society, and even to her own self, because she is a human embodiment of mother nature herself and the sanctity of the mother must be protected, it must not be desecrated even in dream. And ‘baja’, a herb as well as a seed is an antidote for such mental disturbance.)
Translation
Whoever approaches you, while asleep, posing himself as (your) brother or (your) father, may the bajam (white mustard) chase them away, dressed as eunuchs moving about in secrecy.
Translation
Let the herb Baja drive away from here those impotent fatal disease-germs which comes to you in sleep like your brother and father, O woman !
Translation
O woman, whoever in thy brother’s shape or fathers comes to thee in sleep-let thy excellent, noble husband rout and chase them, who are eunuchs and sinful persons!
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
७−(यः) पुरुषः (त्वा) गर्भिणीम् (स्वप्ने) निद्रायाम् (निपद्यते) अभिगच्छति। प्राप्नोति (भ्राता) सहोदर इव (भूत्वा) विश्वासं जनयन् (पिता इव) जनक इव, तद्रूपधारी (च) (बजः) म० ३। बली पुरुषः (तान्) (सहताम्) अभिभवतु (इतः) अत्र (क्लीबरूपान्) षण्ढरूपधारिणः (तिरीटिनः) कृतॄपिभ्यः कीटन्। उ० ४।१८५। तॄ अभिभवे-कीटन्, मत्वर्थे इनि। अभिभवशीलान्। घातकान् ॥
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